यहाँ जान लीजिये कि कैसे गैलीलियन रूपान्तरण क्या है , Galilean transformation in hindi स्थिति का रूपांतरण , विस्थापन का समीकरण अथवा सूत्र कैसे ज्ञात करते है ?
गैलीलियन रूपान्तरण (Galilean Transformations) या एक जड़त्वीय निर्देश तन्त्र का दूसरे जड़त्वीय निर्देश तन्त्र के साथ संबंध
यदि किसी स्थिर निर्देश तन्त्र के सापेक्ष कण की स्थिति ज्ञात हो तो वे रूपान्तरण संबंध जिनके द्वारा किसी अन्य जड़त्वीय निर्देश तन्त्र के सापेक्ष कण की स्थिति ज्ञात की जा सके, उन्हें गैलीलियन रूपान्तरण कहते हैं। इन संबंधों के द्वारा दोनों निर्देश तन्त्रों के सापेक्ष कण की अन्य भौतिक राशियों जैसे वेग, त्वरण बल आदि के लिए भी रूपान्तरण संबंधं ज्ञात कर सकते हैं।
(i) स्थिति का रूपांतरण : मान लीजिये किसी स्थिर निर्देश तन्त्र S के सापेक्ष किसी कण P का स्थिति सदिश r और निर्देश x,y,z है तो निर्देश फ्रेम S के सापेक्ष कण P का स्थिति सदिश
OP = r = ix + jy + kz
यहाँ i , j और k तन्त्र S के अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश है |
(a) जब दोनों निर्देश तन्त्र प्रारंभ में संपातित है : यदि एक अन्य जडत्वीय निर्देश तन्त्र S’ , जो प्रारंभ में अर्थात t = 0 पर निर्देश तन्त्र S के साथ पूर्णतया संपातित (coincident) था , नियत वेग V से इस प्रकार गति कर रहा है कि निर्देश तन्त्र S’ के तीनों अक्ष X’ , Y’ और Z’ निर्देश तन्त्र S के तीनों अक्षों X,Y और Z के समान्तर रहें , चित्र तो t सेकंड पश्चात् O पर प्रेक्षक के सापेक्ष S’ के मूल बिंदु का स्थिति सदिश OO’ = Vt होगा | इस क्षण तंत्र S’ में कण P के स्थिति सदिश r’ और निर्देशांक x’ , y’ और z’ हों तो निर्देश तन्त्र S’ के सापेक्ष कण P का स्थिति सदिश –
OP = r’ = ix’ + jy’ + kz’
△OO’P में ,
सदिशों के त्रिभुज के नियम से ,
OP = OO’ + O’P
r = Vt + r’
अथवा r’ = r – Vt
समीकरण (3) कण के स्थिति सदिश का गैलीलियन रूपांतरण समीकरण कहलाता है |
यदि S के सापेक्ष जडत्वीय निर्देश तन्त्र S’ के वेग V के घटक X , Y और Z अक्षों के अनुदिश क्रमशः
Vx , Vy और Vz हो तो
V = i Vx + j Vy + k Vz
समीकरण 1 , 2 और 4 को 3 में रखने पर
(ix’ + jy’ + kz’) = (ix + jy + kz) – (iVx + jVy + kVz)
I , j , k के गुणांको की तुलना करने पर
X’ = x – Vxt
Y’ = y – Vyt
Z’ = z- Vzt
समीकरण 5 कण के निर्देशांकों में गैलीलियन रुपान्तरण समीकरण कहलाते है |
(b) जब दोनों निर्देश तंत्र प्रारम्भ में संपाती नहीं हैं. माना प्रारम्भ में t = 0 पर निर्देश तन्त्र S’ के मूल बिन्दु O’ का स्थिर निर्देश तन्त्र S के मूल बिन्दु के सापेक्ष स्थिति सदिश r0 है और यह नियत वेग V से इस तरह गति करना प्रारम्भ करता है कि इस तंत्र S’ के अक्ष सदैव तन्त्र S के अक्षों के समान्तर रहें, चित्र (9) | t सेकण्ड में यह निर्देश तंत्र S’ दूरी O’ O’ = V t तय कर लेगा। इस स्थिति में कण P का स्थिति सदिश r’ हो तो OP =O0,’ – 0,’O’ + O’P
r = ro + Vt + r’
r’ = (r – ro) – Vt
(ii) दो बिन्दुओं के मध्य विस्थापन का रूपान्तरण : माना किसी स्थिर निर्देश तन्त्र S में किन्ही दो बिन्दुओं P और Q के स्थिति सदिश क्रमशः r1 और r2 हैं |
इसलिए निर्देश तन्त्र S में इन बिंदुओं के बीच सदिश विस्थापन
PQ = d = (r2 – r1)
यदि किसी अन्य गतिशील निर्देश तन्त्र S’ में चित्र के अनुसार इन्ही दोनों बिन्दुओं के स्थिति सदिश r1 और r2 हो तो स्थिति सदिश के गैलीलियन रुपान्तरण समीकरण (3) से –
r1’ = r1 – Vt
r2’ = r2 – Vt
अत: निर्देश तन्त्र S’ में बिन्दुओं P एवं Q के मध्य सदिश दूरी
PQ = d’ = (r2’ – r1’)
समीकरण 7 और 8 के मान रखने पर –
d’ = (r2 – Vt) – (r1 – Vt)
= (r2 – r1)
d’ = d
इसलिए गैलीलियन रुपान्तरण में दो बिन्दुओं के बीच विस्थापन अथवा सदिश दूरी अचर (invariant) रहती है | इसे विस्थापन के गैलीलियन निश्चरता (galilean invariance of displacement) का नियम भी कहते हैं |