कैलोरी मूल्य (the caloric value in hindi) calorific value of foods in hindi meaning 1 ग्राम वसा में कितनी कैलोरी होती है

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the caloric value (कैलोरी मूल्य)

जन्तुओ की ऊर्जा आवश्यकता और भोजन का ऊर्जा घटक , ऊष्मा ऊर्जा के अनुमान के रूप में अभिव्यक्त की जाती है। क्योंकि ऊष्मा सभी ऊर्जाओं का अंतिम रूप है। यह प्राय: कैलोरी या जूल के रूप में प्रदर्शित की जाती है। यह ऊष्मा ऊर्जा की वह मात्रा है जो कि एक ग्राम पानी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए आवश्यक होती है। यह मात्रा ऊर्जा की बहुत कम मात्रा है।

कार्यिकी विज्ञ सामान्यतया इसकी माप के रूप में किलो कैलोरी या किलोजूल उपयुक्त करते है। एक किलोकैलोरी ऊर्जा की वह मात्रा है जो कि 1 kg पानी का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए आवश्यक होती है। पोषणविज्ञ पारंपरिक रूप से कैलोरी ऑफ़ जूल के रूप में Kcal प्रयुक्त करते है।

ऊष्मा की मात्रा जो बोम्ब कैलोरीमीटर (ऑक्सीजन से भरा धातु का बंद चैम्बर) में 1 g भोजन के पूर्ण दहन से मुक्त होती है इसकी gross calorific or gross energy value है। 1 g भोजन के दहन के कारण मुक्त हुई ऊर्जा की वास्तविक मात्रा भोजन का कार्यिकी मान है।

कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन और वसा की gross calorific value , 4.1 kcal/g , 5.65 kcal/g तथा 9.45 kcal/g है। इसके सम्बन्ध में इसका कार्यिकी मान 4.0 kcal/g , 4.0 kcal/g तथा 9.0 kcal/g है।

मानव की पोषण आवश्यकताऐ : मात्रा और कार्यों के आधार पोषण दो प्रकार का होता है।

1. वृहद पोषक तत्व (proximate principles of food) : ये ऊर्जा प्रदान करते है , उदाहरण : कार्बोहाइड्रेट , लिपिड और प्रोटीन।

2. सूक्ष्मपोषक तत्व (protective principles of food) : ये ऊर्जा प्रदान नहीं करते। जबकि इनकी कमी जंतुओं और मानव में विशिष्ट रोग और असमानतायें उत्पन्न करती है।

ऊर्जा उत्पादक पोषक तत्व

कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज के रूप में तुरंत उपापचित होता है जो प्राथमिक रूप से रासायनिक ऊर्जा के रूप में उपयोग किया जाता है और ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित होता है।

ग्लाईकोजन का संश्लेषण ग्लाइकोजेनेसिस कहलाता है।

यकृत कई घंटो के लिए रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बनाये रखने के लिए पर्याप्त ग्लाइकोजन संग्रहित कर सकता है।

दीर्घकालीन भूख की स्थिति में यकृत कोशिका एमिनो अम्ल और ग्लिस्रोल (वसा अणुओं का पचित उत्पाद) को ग्लूकोज में परिवर्तित करना शुरू कर देता है। इस प्रकार से ग्लूकोज का निर्माण ग्लूकोनिओजेनेसिस कहा जाता है।

प्रोटीन , उत्तकों के संरचनात्मक घटकों , चैनल के रूप में , वाहक के रूप में , नियमनकारी अणु और एंजाइम के रूप में उपयोग किया जाता है। प्रोटीन को ऊर्जा स्रोत के रूप में भी उपयोग किया जाता है। जब वह एमिनों एसिड में विखंडित होता है। 22 अमीनो अम्ल प्रोटीन घटकों के रूप में पहचाने गए है।

8 (बच्चो में 10) एमिनो एसिड मानव शरीर में संश्लेषित नहीं हो सकते है।

ये बाहर से भोजन द्वारा लिए जाते है। अत: ये आवश्यक एमिनो एसिड कहे जाते है। वसा अणु विशेषत: सान्द्र ऊर्जा संग्रहण के लिए उपयुक्त है।

एडिपोज उत्तकों की वसा कोशिका सामान्यतया शरीर का वसा डिपो कहलाती है। ट्राईग्लिसराइड इंधन के रूप में उपयोग किये जाते है। मानव शरीर अधिकांश लिपिड पर्याप्त मात्रा में संश्लेषित करने के योग्य है , अपवाद तीन पोलीअसंतृप्त वसायें , जैसे – लिनोलिक , लिनोलिनिक , अरेकीड़ोनिक अम्ल।

ये आवश्यक वसीय अम्ल मानव शरीर को भोजन द्वारा प्रदान किये जाते है।

मिनरल और विटामिन

लवण और विटामिन दोनों ही छोटे अणुओं के रूप में उपस्थित होते है। अधिकांशत: ये पाचन में आवश्यक नहीं होते है। मिनरल्स जल में घुलित लवणों के रूप में या कार्बनिक यौगिको के भाग के रूप में अन्तर्ग्रहित किये जाते है। अभी तक कुछ मिनरल्स ही पाचक रस और जठर रस के साथ अवशोषित होते है।
21 आवश्यक मिनरलों की मानव को आवश्यकता होती है। इनमे कुछ द्रव्य नियमन के लिए आवश्यक होते है। वही कुछ एंजाइम के घटकों की तरह कार्य करके उपापचय नियमन में सहायता करते है।
विटामिन्स सामान्य उपापचय , वृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते है। मानव , पादप कैरोटिन की सहायता से विटामिन A संश्लेषित कर सकता है जो कि पिली और हरी पत्तेदार सब्जियों में होता है।
विटामिन A मानव के रेटिनल वर्णक जैसे शलाका कोशिकाओं के रोडोप्सीन और शंकु कोशिकाओं के आयोडोप्सिन का निर्माण करता है।
मानव सूर्य के प्रकाश की पराबैंगनी किरणों की उपस्थिति में त्वचा में विटामिन D संश्लेषित कर सकता है। हालाँकि अधिकांश प्राणी ग्लूकोज से विटामिन C संश्लेषित कर सकते है। जबकि मानव नहीं कर सकता अत: इसकी मानव की डाईट में आवश्यकता होती है।
रासायनिक प्रकृति : विटामिन्स इनकी रासायनिक प्रकृति में भिन्न होते है। सामान्यतया इनमे एक जैसा कुछ नहीं होता। कुछ विटामिन एल्कोहल है , कुछ प्रोटीन , कुछ क्विनोन जबकि कुछ स्टीरॉल होते है।
प्रोविटामिन्स : ये ऐसे यौगिक है जो हमारे शरीर में विटामिन्स में परिवर्तित हो जाते है।
उदाहरण :
(i) इरगोस्टेरोल : यह भोजन में उपस्थित होता है और त्वचा में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में विटामिन D में परिवर्तित हो जाता है।
(ii) कैरोटिन : यह वर्णक है जो गाजर में उपस्थित होता है और यकृत और छोटी आंत में विटामिन A में परिवर्तित हो जाता है।

Vitamers

यह शब्द एक ही विटामिन के विभिन्न रूपों के लिए प्रयुक्त किया जाता है।  Vitamers को आइसोटेलिक विटामिन भी कहा जाता है।

उदाहरण :

(i) Vitamin A के A1 और AVitamers होते है।

(ii) Vitamin D के D1 , D2 और Dहोते है।

विटामिन विष : ये ऐसे यौगिक है जो कि विटामिन्स को हमारे शरीर से प्रतिस्थापित कर देते है। उदाहरण – एंटीबॉडी , सल्फा दवाएं विटामिन C को प्रतिस्थापित कर देती है। टेट्रासाइक्लिन और एम्पीसिलिन विटामिन B कॉम्प्लेक्स को प्रतिस्थापित कर देती है।