मधुकरण कर्मक (sweetener) , परिरक्षक (preservatives) , प्रति ऑक्सीकारक (anti oxidant)

भोजन में रसायन (chemical in food) : वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग खाद्य पदार्थ में किया जाता है , भोजन में रसायन कहलाता है। इन्हें निम्न रूपों में प्रयुक्त किया जाता है।

1. मधुकरण कर्मक (sweetener)
2. परिरक्षक (preservatives)

3. प्रति ऑक्सीकारक (anti oxidant)

 

1. मधुकरण कर्मक (sweetener) : वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग खाद्य पदार्थो में मीठे के रूप में किया जाता है , मधुकरण कर्मक कहलाते है। इन्हें निम्न दो भागो में बांटा गया है –
(a) inorganic sweeteners
या
प्राकृतिक मधुकर्मक (natural sweeteners)
(b) organic sweeteners
या
कृत्रिम मधुकर्मक (artificial sweeteners)
(a) inorganic sweeteners या  प्राकृतिक मधुकर्मक (natural sweeteners) : वे मधुकरण कर्मक जिन्हें प्रकृति से प्राप्त किया जाता है प्राकृतिक मधुकरण कर्मक कहलाते है।
उदाहरण : सुगर (गन्ने के रस से )
(b) organic sweeteners या  कृत्रिम मधुकर्मक (artificial sweeteners) : वे मधुकरण कर्मक जिन्हें कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में बनाया जाता है। कृत्रिम मधुकरण कर्मक कहलाते है।
इन्हें निम्न भागो में बांटा गया है –
  • एस्पार्टेम (aspartame)
  • सैकेरीन (saccharine)
  • सुक्रालोस (sucralose)
  • एलिटेन (alitame)

एस्पार्टेम (aspartame) : यह एस्पार्टिकएसिड व फेनील alanine का बना मिथाइल एस्टर होता है।

यह शर्करा से 100 गुना मीठा होता है।
यह उच्च ताप पर अस्थायी होता है।
इसका उपयोग ठन्डे पेय पदार्थ (ड्यू , पेप्सी , कोकाकोला , मेरिंडा) आदि में प्रयुक्त किया जाता है।
सैकेरीन (saccharine) : यह O-सुल्फो बेंजीन का बना यौगिक होता है। यह शर्करा से 600 गुना मीठा होता है।  इसका कोई भोजन मान नहीं होता है। 
यह करोडो मधुमय रोगियों के लिए जीवनदायी के रूप में कार्य करता है। इसे मधुमय रोगियों को चाय व दूध में मिलाकर दिया जाता है। 
इसका हमारी आहारनाल में पाचन नहीं होता है , इसका मुख्य उपयोग सस्ती टोफियाँ , सस्ती आइसक्रीम , सस्ते सरबत , पान मसाला , कोलगेट आदि इसके द्वारा बनाये जाते है। 
सेकेरिन की जल में विलेय व अविलेय संरचना निम्न अहि –
सुक्रालोस (sucralose) : यह सुक्रोज का बना ट्राई chlo व्युत्पन्न होता है। 
यह शर्करा से ६००गुना मीठा होता है। 
यह भोजन के ताप पर स्थायी होता है। 
इसे आजकल सबसे अधिक मात्रा में प्रयुक्त की जाती है। 

एलिटेन (alitame) : यह एमिनो अम्लो का बना व्युत्पन्न होता है। यह शर्करा से 2000 गुना मीठा होता है। यह उच्च ताप पर स्थायी होता है परन्तु इसके द्वारा मिठास का नियंत्रण नहीं किया जाता है।

 

नोट : नेक्टेरिन शर्करा से 50000 गुना मीठा है परन्तु इसके उपयोग पर प्रतिबन्ध है क्योंकि इससे गले का कैंसर हो जाता है।

2. परिरक्षक (preservatives)

वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग खाद्य पदार्थो को सूक्ष्म जीव जैसे -कवक व फफूंद से बचाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है , परिरक्षक कहलाते है।
इन्हें निम्न भागो में बांटा गया है –
(a) inorganic preservatives
(b) organic preservatives
(a) inorganic preservatives (अकार्बनिक परिरक्षक ) : वे परिरक्षक जिनके द्वारा कटे फल , माँस , ड्राई फ्रूट (सुख फल) व सब्जियां आदि को परिरक्षित करने हेतु किया जाता है , अकार्बनिक परिरक्षक कहलाते है। 
SO2
, Cl2
(b) organic preservatives (कार्बनिक परिरक्षक ) : यह निम्न होते है –
(i) सोडियम बेन्जोइट : इससे जैम , जैली , गुरब्बा आचार। 
(ii) प्रोपियोनेट : पापड़ , बिस्कुट , बैकरी आदि के परिरक्षित किया जाता है। 
(iii) सोबर्ट : सरस दुग्ध व पनीर को परिरक्षित किया जाता है। 
(iv) पेराबीन्स : इसके द्वारा टमाटर सॉस व चटनी को परिरक्षित किया जाता है। 
(v) पोटेशियम मेटा बाई सल्फोनेट : इसके द्वारा SO2 गैस प्राप्त होती है जो परिरक्षण का कार्य करती है। 
(vi) नमक , शर्करा , वनस्पति तेल आदि का उपयोग भी परिरक्षक के रूप में किया जाता है। 
परिरक्षक के गुण
  • इन्हें कम मात्रा में प्रयुक्त करते है। 
  • यह लम्बे समय तक प्रभावी रहते है। 
  • यह खाद्य पदार्थो के साथ क्रिया नहीं करते है। 
  • यह खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता को नहीं बदलते है। 
  • यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक नहीं होते है। 

3. प्रति ऑक्सीकारक (anti oxidant)

वे रासायनिक पदार्थ जो खाद्य पदार्थो में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया कर लेते है व खाद्य पदार्थ को खराब होने से बचाते है , प्रति ऑक्सीकारक कहलाते है।
यह खाद्य पदार्थ से ऑक्सीजन को हटाते है। यह खाद्य पदार्थ को खराब होने से बचाने में सहायक होते है।
उदाहरण : 2,3 di tertiary butyl hydroxy tolene (BHA )
प्रश्न : घी को खराब होने से बचाने के लिए उसमे कौनसा प्रति ऑक्सीकारक मिलाया जाता है ?
उत्तर : BHA

प्रति ऑक्सीकारक के गुण :

  • इसे कम मात्रा में प्रयुक्त करते है।
  • यह लम्बे समय तक प्रभावी रहता है।
  • यह खाद्य पदार्थ के साथ क्रिया नहीं करते है।
  • यह खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता को नहीं बदलते है।
  • यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक नही होते है

खाद्य रंजक [food dye’s] : वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग खाद्य पदार्थो को आकर्षक व रंगीन बनाने के लिए जाता है , खाद्य रंग कहलाते है।

इससे खाद्य पदार्थ सुन्दर दिखाई देता है।

उदाहरण : टेट्राजीन को मिठाईयो में पीले रंग हेतु मिलाते है।

नोट : भोजन रंगयुक्त मिठाइयाँ बच्चो के लिए हानिकारक होती है।

नोट : रंगीन मिठाइयाँ अस्थमा रोगियों के लिए हानिकारक होती है।