प्रश्न : वायु परिवहन व पाइपलाइन परिवहन किसे कहते है ?
उत्तर : वायु परिवहन : वायु परिवहन समताप मण्डल में किया जाता है , हवाई जहाज के द्वारा किया जाता है। इसमें महंगी व हल्की चीजो को ही भेजा जाता है जो जल्दी की नष्ट हो जाती है। उसका भी परिवहन होता है , यह बहुत ही महंगा होता है।
वायुमार्गो के प्रकार
- अंतरमहाद्विपीय ग्लोबिय वायुमार्ग
- महाद्वीपीय वायु मार्ग
- राष्ट्रीय वायुमार्ग
- प्रादेशिक वायुमार्ग
- स्थानीय वायुमार्ग
- सैनिक वे मार्ग
पाइपलाइन परिवहन : पाइपलाइन से मुख्यता गैस , तेल खनिज का परिवहन होता है , यह बहुत ही नवीनतम साधन है।
इसके लाभ –
- सस्ता साधन
- सुगम परिवहन
- उबड खाबड़ मार्ग में परिवहन
- ऊर्जा की बचत
- समुद्री जल में भी पाइपलाइन बिछाई जा सकती है।
- सुनिश्चित आपूर्ति
- समय की बचत
- प्रदूषण कम
1. विषुवत रेखा पृथ्वी को दो भागो में बांटती है।
2. दो देशांतर मिलकर पृथ्वी का वृहत वृत्त बनाते है।
वायु परिवहन : यह बहुत ही तिवृत्म साधन इसमें वह मूल्य वस्तुओ का ही आदान प्रदान होता है।
प्रश्न : विश्व के सन्दर्भ में वायु परिवहन का वर्णन करे।
उत्तर : महाद्वीपीय वायुमार्ग : उत्तरी गोलार्द्ध ये अंतर महाद्वीपीय वायुमार्ग की एक सुस्पष्ट पूर्व-पश्चिम पट्टी है। पूर्वी USA पश्चिम यूरोप दक्षिण-पूर्वी एशिया में वायुमार्ग का सघन जाल पाया जाता है। विश्व में कुल वायुमार्ग के 60 प्रतिशत भाग प्रयोग अकेला USA करता है , न्यूयार्क , लंदन , पेरिस एमस्टरडम और शिकागो केन्द्रीय बिंदु है , जहाँ से सभी महाद्वीपीय की ओर विकिरित होता है।
प्रश्न : संचार किसे कहते है ? संचार के विभिन्न साधनों का नाम लिखिए।
उत्तर : संचार : एक व्यक्ति जब अपने अपने विचार शुद्ध कि साधन से दुसरे व्यक्ति तक पहुचता है तो उसे संचार कहते है।
संचार के साधन
1. व्यक्तिगत
2. सार्वजनिक
1. व्यक्तिगत : पत्तादी दूरभाष , टेलीफोन , मोबाइल , फैक्स ई-मेल , इंटरनेट , फेसबुक , ट्विटर , watsapp
2. सार्वजनिक : रेडिओ , टेलीविजन , सिनेमा , जीपीएस , जीआईएस , उपग्रह , संचार पत्र , पत्रिकाएं व पुस्तके जनसभाएं आदि।अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International trade in hindi) :
व्यापार : वस्तु आदान-प्रदान व्यापार होता है।
अन्तराष्ट्रीय : एक राष्ट्रीय से दुसरे राष्ट्रीय में आदान व प्रदान किया जाता है , वह अन्तराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है।
इतिहास : पहले मृदा के चलने से पहले वस्तुओ का आदान-प्रदान होता है।
प्राचीन मार्ग : पहले व्यापार स्थलीय मार्ग से होता है।
पक्ष :
- परिमाण – वस्तु व सेवा
- सयोजन – किस किस प्रकार की वस्तु व सेवा
- दिशा – किस देश में किस देश की वस्तु व सेवा हो रही।
- संतुलन – जब व्यापार एक ही दिशा में होता , संतुलन में नहीं रहेगा।
आधार :
- अतिरिक्त उत्पादन
- जलवायु
- राष्ट्रीय संसाधनों की विविधता
- भौगोलिक संचरना में अंतर
- अधिक जनसंख्या कारक
- परिवहन
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का इतिहास
प्राचीन : इस काल में लोग वस्तुओ का आयात , निर्यात , पडोसी देशो से ही करते थे , इस काल में लोग पडोसी देशो पर आत्मनिर्भर थे।
मध्यकाल : वस्तुओ के साथ साथ सेवाओ का भी आदान-प्रदान होता था।
पुनर्जागरण काल : पुनर्जागरण काल में समुद्री मार्गो का विकास हुआ नए नए क्षेत्रो का विकास हुआ।
आधुनिक काल : वायुयान व स्पीड वाले जहाजो का विकास होने से देशो के मध्य वस्तुओ व सेवाओ का अधिक आयात-निर्यात होने लगे।
वर्तमान काल : वर्तमान काल में दूर संचार के साधनों का विकास हुआ।
लिखित की शुरुआत सर्वप्रथम एशिया में हुई फिर यूरोप में हुई।
प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहली बार राष्ट्र पर कर और संख्यात्मक प्रतिबन्ध लगाये। विश्व युद्ध के बाद के समय के दौरान लोगो ने व्यापार पर शुल्क कम करने के लिए GATT नामक संस्था का निर्माण किया GATT ने जनवरी को WTO का रूप लिया।
अन्तराष्ट्रीय व्यापार के आधार : इसके तात्पर्य है कि इसमें कौन-कौनसे कारक सम्मिलित है।
राष्ट्रीय संसाधनों में विभिन्नता : यूरोप पूंजीपत देश है , अफ्रीका निर्धन देश है। अफ्रीका में कच्चा पदार्थ प्राप्त है यूरोप अफ्रीका से कच्चा पदार्थ लेकर उसे मशीनों का निर्यात करना है।
भौगोलिक संरचना में अंतर : कही पर पर्वत , पठार मैदान है , कही पर नहीं है , इसलिए भोगोलिक संरचना भौगोलिक संरचना असमान है।
जलवायु : उष्णकटिबंधीय क्षेत्रो में चाय व गन्ने का उत्पादन करते है तथा क्षेत्रो में चुकंदर का उत्पादन करते है तथा आपस में आयात-निर्यात करते है।
जनसंख्या कारक : जहाँ ज्यादा जनसंख्या है , वहां रोजगार तथा संसाधन कम है , जहाँ जनसंख्या कम है। वहां रोजगार अधिक है –
अन्तराष्ट्रीय व्यापार के महत्वपूर्ण पक्ष :
परिणाम : इसमें वस्तुओ व सेवाओ का मूल्य ज्ञान किया जाता है।
संयोजन : किस किस प्रकार की वस्तु व सेवाएँ सम्मिलित होती है , उनमे समय के साथ बदलाव हुआ है , जैसे प्राचीन काल में अलग वस्तुओ का आयात-निर्यात होता था तथा वर्तमान काल में वस्तुओ का आयात-निर्यात होता है।
दिशा : प्राचीन काल में विकसित देश वस्तुओ व सेवाओ का निर्यात विकासशील देशो को करते थे लेकिन अब विकासशील भी विकास कर रहे है तथा विकासशील देश निर्यात करते है।
जैसे भारत जापान को।
पहले दिशा विकसित से क्रियाशील देश की और थी लेकिन अब विकासशील देशो की ओर हो गयी अत: समय के अनुसार दिशा में परिवर्तन हुआ।
संतुलन : जब कोई देश आयात ही आयात करेगा तो उसके व्यापार में कमी हो जाती है तथा उसके व्यापार में संतुलन तभी होगा जब वह देश आयात-निर्यात दोनों करे तथा व्यापार लम्बे समय तक जब ही चलेगा जब व्यापार में संतुलन हो।
अन्तराष्ट्रीय व्यापार के लाभ :
1. उत्पादन में वृद्धि : उत्पादन में किसी वस्तु को कम लागत में तैयार कर उस वस्तु का निर्यात किया जाता है तथा निर्यात किसी अन्तराष्ट्रीय देश में किया जाता है , वहां पर उस वस्तु के मूल्य बढ़ोतरी हो जाती है जैसे – भारत में चाय का उत्पादन किया है , चाय को यदि हम अन्तराष्ट्रीय देश में बेच देते है तो वहां पर चाय की मांग में वृद्धि हो जाती है।
2. राष्ट्रीय आय में वृद्धि : जब कोई व्यापार करते है तो हमें जिससे पैसे प्राप्त होते है , उन पैसो से अधिक व्यापार किया जाता है जिसमे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
3. अतिरेक का निर्गम : अन्तराष्ट्रीय व्यापार में संलंग्न होने से पहले जो संसाधन व्यर्थ पड़े होते है , अस्पार से वे भी प्रयोग में आने लगते है।
4. संसाधनों का कुशल प्रयोग : अन्तराष्ट्रीय व्यापार में प्रवृत देश प्राय: उन वस्तुओ के उत्पादन में विशिष्टीकरण प्राप्त करते है जिनके उत्पादन में वे अधिक कुशल होते है।
5. श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के लाभ : श्रम विभाजन एक देश से दूसरे देश में व्यापार करना तथा विशिष्टीकरण पूरे देश में विस्तार से व्यापार किया जाता है।
6. बाजार का विस्तार : अन्तराष्ट्रीय व्यापार से किसी देश की वस्तुओ और सेवाओ के बाजार की सीमा का विस्तार होता है जिसमे वस्तुओ तथा सेवाओ की आपूर्ति काफी विस्तृत क्षेत्र में होने लगती है।
7. बड़े पैमाने पर उत्पादन : विदेशी व्यापार के कारण बाजार क्षेत्र के विस्तार से देश को अपने प्राकृतिक संसाधनों का अनुकुलतम उपयोग करने की सुविधा प्राप्त होती है।
8. वस्तुओ एवं सेवाओ की उपलब्धता : अन्तराष्ट्रीय व्यापार से किसी देश के नागरिक उन वस्तुओ तथा सेवाओ का भी उपयोग कर सकते है जिनका उत्पादन उनके देश में नहीं होता है।
9. मूल्यों में समता : अन्तराष्ट्रीय व्यापार द्वारा वस्तुओ के मूल्यों से समता स्थापित होती है इसके परिणाम स्वरूप वस्तुएं कम मूल्य वाले स्थान से अधिक मूल्य वाले स्थान के लिए भेजी जाती है।
10. सांस्कृतिक लाभ : अन्तराष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न देशो के लोग सम्पर्क में आती है और एक-दुसरे की सांकृतियो भाषा ,धर्म परम्पराओ रीती रिवाजो आदि से परिचित होते है।
हानियाँ
अन्तराष्ट्रीय व्यापारिक संघठन
- माल द्वीप – मावे
- श्रीलंका – श्री जयवर्धनेपूरा
- भारत – नयी दिल्ली
- बंगलादेश – ढाका
- भूटान – थिम्पू
- नेपाल – काठमांडू
- पाकिस्तान – इस्लामाबाद
- अफगानिस्तान – काबुल