(suffix in hindi grammar meaning) प्रत्यय की परिभाषा क्या है ? प्रत्यय किसे कहते है , हिंदी व्याकरण , उदाहरण , भेद अथवा प्रकार , प्रश्न उत्तर ?
प्रत्यय (suffix)
उस अक्षर या अक्षरसमूह को प्रत्यय कहते हैं जो शब्दों के बाद लगाया जाता है। ‘प्रति $ अय‘ इन दो शब्दों से प्रत्यय बना है। प्रति = साथ में, पर बाद में, अय = चलने वाला। इस प्रकार प्रत्यय का अर्थ है ‘शब्दों के साथ, पर बाद में चलने वाला या लगने वाला। प्रत्यय शब्दों के पीछे जोड़ा जाता है। उपसगों की तरह प्रत्यय भी अविकारी शब्द या शब्दांश है । उदाहरण-.‘आई‘ प्रत्यय है जो ‘भला‘ शब्द के पीछे लगकर ‘भलाई‘ शब्द बनता है।
प्रत्यय के दो भेद होते हैं-दन्त और तद्धित। इन दोनों से शब्दों की रचना होती है।
कृदन्त-वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में प्रयुक्त होते हैं, कृत् प्रत्यय कहलाते हैं और कृत् प्रत्ययों के मेल से बने शब्द को कृदन्त कहते हैं। इन प्रत्ययों से क्रिया या पातु को नए रूप प्राप्त होते हैं तथा इन प्रत्ययों से संज्ञा और विशेषण बनते हैं। हिन्दी क्रियाओं के अन्त का ‘ना’ हटा देने पर जो अंश शेष रहता है वही धातु है। उदाहरण-चलना के चल और कहना कह पातु में ही प्रत्यय लगता है। कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं-
कृत प्रत्यय क्रिया शब्द संज्ञा
ऐया, वैया रखना, खेना खैया, खेवैया
हार होना होनहार ‘‘
छलना छलिया ‘‘
वाला गाना गानेवाला ‘‘
तव्य कृ कत्र्तव्य ‘‘
यत् दा देय ‘‘
अक कृ कारक ‘‘
अन नी नयन ‘‘
क्त भू भूत विशेषण
मान विद् विधमान ‘‘
संस्कृत के कृत् प्रत्यय और संज्ञाएँ
कृत प्रत्यय धातु संज्ञाएँ
आइष्इच्छा
अना विद वेदना
अना वन्द् वन्दना
अ कम् काम
आ पूज् पूजा
´ (डिं) यज् यज्ञ
ति शक् शक्ति
या मृगु मृगया
अकगैगायक
अ सृप् सर्प
अ दिव् देव
तृ भुज् भोक्तृ
उ तन् ् तनु
उ बन्ध बिन्धु
उक भिक्ष् भिक्षुक
ई त्यज् त्यागी
य कृत् कृत्य
संस्कृत के कृत् प्रत्यय और विशेषण
कृत प्रत्यय धातु विशेषण
मन सेव् सेवमान
तव्य वच् वक्तव्य
अनीय दृश् दर्शनीय
अनीय श्रु श्रवणीय
ंय दा देय
य पूज् पूज्य
बीवजं
हिन्दी के कृत् प्रत्यय
अ, अंत, अक्कड़, आ, आई, आड़ी, आलू, आऊ, अंकू, आक, आका, आकू, आन, आनी, आप, आपा, आव, आवट, आवना, आवा, आस, आहट, इयल, ई, इया, ऊ, एरा, ऐया, ऐत, ओड़ा, ओड़, औता, औती, औना, औनी, औटी, आवनी, औवल, क, का, की, गी, त, ता, ती, न्ती, न, ना, नी, वन, वाँ, वाला, वैया, सार, हार, हा इत्यादि। हिन्दी के इन कृत् प्रत्ययों से भाववाचक, करणवाचक, कत्तृवाचक, संज्ञाओं और विशेषण का निर्माण होता है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
कृत प्रत्यय धातु विशेषण
आवट सज सजावट
आहट चिल्ल चिल्लाहट
औता समझ समझौता
औती मान मनौती
अभरभार
अंत लड़़ लड़ंत
आई लड़ लड़ाई
औनी पीस पिसौनी
नी चाट चटनी
नी बेल बेलनी
ना बेल बेलना
आ झूल झूलना
आनी मथ मथानी
औटी कस कसौटी
त खप खपत
हारा रो रोवनहारा
हार रख राखनहार
आऊ टिक टिकाऊ
आक तैर तैराक
आका लड़ लड़ाका
आड़ी खेल खेलाड़ी
आलू झगड़ झगड़ालू
इया बढ़ बढ़िया
इयल अड़ अड़ियल
इयल मर मरियल
तद्धित प्रत्यय
वे प्रत्यय जो संज्ञा और विशेषण के अंत में लगते हैं, उन्हें तखित कहा जाता है और तद्धित के मेल से बने शब्द को ‘तद्धितांत’ कहा जाता है। कृदन्त और तद्धित में यही अन्तर है कि कृदन्त में मुख्यतः धातु या क्रिया के अंत में प्रत्यय लगता है जब कि तद्धित में संज्ञा या विशेषण के अंत में । कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं । विशेषण में तद्धित प्रत्यय जोड़ने से भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं:-
तद्धित प्रत्यय विशेषण भाववाचक संज्ञाएँ
ता मूर्ख मूखर्ता
ता बुद्धिमान्् बुद्धिमत्ता
इमा रक्त रक्तिमा
त्व वीर वीरत्व
अ गुरू गौरव
अ लघु लाघव
इसी प्रकार संज्ञाओं के अंत में तद्धित प्रत्ययों को जोड़कर विशेषण बनाए जाते हैं-
तद्धित प्रत्यय संज्ञा विशेषण
वान् धन धनवान्
लु तन्द्रा तन्द्रालु
उल पृथु पृथुल
ईय राष्ट्र राष्ट्रीय
इल तन्द्रा तन्द्रिल
अ निशा नैश
य तालु तालव्य
य ग्राम ग्राम्य
इक मुख मौखिक
मय आनन्द आनन्दमय
इत आनन्द आनन्दित
इष्ठ बल बलिष्ठ
निष्ठ कर्म कर्मनिष्ठ
र मुख मुखर
र मधु मधुकर
इन मल मलिन
इम रक्त रक्तिम
ईन कुल कुलीन
ल मांस मांसल
वी मेधा मेधावी
हिन्दी के तद्धित प्रत्यय
आ, आइँद, आई, ताऊ, आऊ, आका, आटा, आन, आना, आनी, आयत, आर, आरी, आरा, आड़ी, आल, इयल, आलू, आवट, आस, आसा, आहट, इन, इया, ई, ईला, उआ, ऊ, ए, एर, एरा, एड़ी, एली, एल, ऐत, ऐल, ऐला, एला, ओट, ओटा, ओं, औटी, औटा, औड़ा, औड़ी, औती, औता, ओला, क, की, जा, टा, टी, डी, ड़ा, ती, ता, त, नी, पना, पन, पा, री, ला, ली, ल, वंत, वाल, वाला, वाँ, वा, स, सरा, सा, सों, हर, हरा, हा, हारा, हला, हाल इत्यादि ।
तद्धित प्रत्यय संज्ञा-विशेषण भाववाचक संज्ञाएँ
आई चतुर चतुराई
आन चैड़ा चैड़ान
तद्धित प्रत्यय संज्ञा-विशेषण भाववाचक संज्ञाएँ
आवट आम अमावट
आस मीठा मिठास
पा बूढ़ा बुढ़ापा
पन लड़का लड़कपन
ती कम कमती
औती बाप बपौती
ई खेत खेती
तद्धित प्रत्यय संज्ञा-विशेषण ऊनवाचक संज्ञाएँ
इया खाट खटिया
ई ढोलक ढोलकी
टा चोर चोट्टा
टी बहू बहूटी
ड़ा बाछा बछड़ा
ड़ी टाँग टँगड़ी
री कोठा कोठरी
ली टीका टिकली