स्टीफन का नियम stefan’s law of radiation in hindi

(stefan’s law of radiation in hindi) स्टीफन का नियम : सन 1879 में जोसफ स्टीफन ने ऊष्मा संचरण या उत्सर्जन – अवशोषण पर कुछ प्रयोग किये जिनके आधार पर इन्होने अपना एक नियम दिया जिसे स्टीफन का नियम कहते है , इस नियम के अनुसार “किसी भी पृष्ठ द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा उर्जा का मान , परम शून्य ताप के चतुर्थ घात के समानुपाती होती है। ”
यहाँ अगर पृष्ठ आदर्श कृष्णिका है तो यह नियम अधिक स्पष्ट रूप से पाया जाता है।
1884 में जब स्टीफन के प्रयोगों का अध्ययन लुडविग बोल्टज़मान कर रहे थे तो उन्होंने भी इनके प्रयोग के आधार पर यह ही पाया कि किसी आदर्श कृष्णिका के प्रति एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड में उत्सर्जित विकिरण की मात्रा , परम ताप के चतुर्थ घात के समानुपाती होती है।

गणितीय विश्लेषण या नियम का सूत्र रूप

माना किसी आदर्श कृष्णिका के एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड उत्सर्जित विकरण उर्जा या ऊष्मा ऊर्जा का मान E है तथा परम ताप का मान T केल्विन है तो स्टीफन के नियम नियम के अनुसार “आदर्श कृष्णिका के प्रति एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड उत्सर्जित ऊष्मा विकिरण (E) , इसके परमताप (T) के चार घात के समानुपाती होगा “
अर्थात E , T के चार घात के समानुपाती होगा।
E ∝ T4
ऊष्मा विकिरण ऊर्जा (E) = σT4
यहाँ σ को स्टीफन नियतांक कहते है, और इस स्टीफन नियतांक का मान 5.67 x
10
-8 जूल/मी2-से K है।
नोट : यह बात याद रखे कि यह नियम केवल ब्लैक बॉडी अर्थात कृष्णिका के लिए ही लागू है।