किरचॉफ का ऊष्मा विनिमय नियम kirchhoff’s heat radiation law in hindi

(kirchhoff’s heat radiation law in hindi) किरचॉफ का ऊष्मा विनिमय नियम : जैसा की हमने पढ़ा कि केवल परम शून्य ताप के अलावा अन्य तापों पर वस्तु ऊष्मा का उत्सर्जन या अवशोषण करती है।

किरचॉफ ने बताया कि किसी दिए गए ताप पर सभी वस्तुओं या पिण्डो की उत्सर्जन क्षमता और ऊष्मा अवशोषण क्षमता के अनुपात मान नियत होता है और यह यह मान दिए गए ताप पर आदर्श कृष्ण पिंड (कृष्णिका) के उत्सर्जकता क्षमता के मान के बराबर होता है।

माना दिए गए ताप पर किसी पिंड की उत्सर्जन क्षमता का मान ε है और अवशोषण क्षमता का मान α है , अब मान लेते है है कि दिए गए ताप पर कृष्णिका पिंड की उत्सर्जन क्षमता का मान E है अत: किरचॉफ का ऊष्मा विनिमय नियम के अनुसार दिए गए ताप पर किसी पिंड की उत्सर्जन व अवशोषण क्षमता का अनुपात ,कृष्णिका पिंड की उत्सर्जकता क्षमता के बराबर होता है , इसे निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते है –

ε/α = E

अत: किरचॉफ के नियम के आधार पर यह भी कह सकते है कि ताप की साम्यावस्था पर हर वस्तु या पिंड की ऊष्मा उत्सर्जन और अवशोषण का मान बराबर होता है अर्थात उत्सर्जन ε = अवशोषण α

चूँकि हम जानते है कि हर वस्तु या पिंड का ऊष्मा अवशोषण और उत्सर्जन का मान ताप व तरंग दैर्ध्य पर भी निर्भर  करता है , अत: किरचॉफ का ऊष्मा विनिमय नियम निम्न प्रकार दिया जाता है “दिए गए ताप और तरंग दैर्ध्य पर किसी पिंड का ऊष्मा उत्सर्जन और अवशोषण का अनुपात नियत रहता है जो कृष्णिका पिंड के उत्सर्जकता क्षमता के मान बराबर होता है। अर्थात ε/α = E”

अत: हम दुसरे शब्दों में यह भी निष्कर्ष निकाल सकते है कि दिए गए ताप और तरंग दैर्ध्य पर जो पिंड जितना अच्छा अवशोषक होता है उतना ही अच्छा उत्सर्जक भी होता है।