क्वांटीकरण का स्पेक्ट्रमी परिमाण / बोर सिद्धांत द्वारा हाइड्रोजन परमाणु के रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या करना 

कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ :-
1. सामान्य अवस्था / आद्य अवस्था : परमाणु/अणु या आयन की न्यूनतम अवस्था को सामान्य अवस्था या आद्य अवस्था कहते है।
2. उत्तेजित अवस्था : सामान्य अवस्था को छोड़कर परमाणु की उच्च ऊर्जा अवस्था को उत्तेजित अवस्था कहते है।
3. उत्तेजन विभव / उत्तेजन ऊर्जा : सामान्य अवस्था से इलेक्ट्रॉन को किसी विशेष उत्तेजित अवस्था में पहुँचाने के लिए आवश्यक ऊर्जा को उत्तेजन विभव या उत्तेजन उर्जा कहते है।
4. आयनन विभव / आयनन ऊर्जा / आयनन एन्थैल्पी : किसी गैसीय उदासीन परमाणु के बाह्यतम कोश से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए दी गयी आवश्यक ऊर्जा को आयनन एन्थैल्पी कहते है।
5. पृथक्करण ऊर्जा : किसी विशेष उत्तेजित अवस्था से इलेक्ट्रॉन को पूर्ण रूप से बाहर निकालने के लिए दी गयी ऊर्जा को पृथक्करण ऊर्जा कहते है।

क्वांटीकरण का स्पेक्ट्रमी परिमाण / बोर सिद्धांत द्वारा हाइड्रोजन परमाणु के रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या करना

बोर सिद्धान्त से पहले रिडबर्ग ने तरंग संख्या ज्ञात करने का निम्न सूत्र दिया था –
रिडबर्ग ने RΗ का प्रायोगिक मान 1.0973731568508 × 107 प्रति मीटर पाया , यदि बोर सिद्धान्त के द्वारा भी उपरोक्त मान प्राप्त कर लिया जाए तो हाइड्रोजन परमाणु के रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या की जा सकती है।
माना एक इलेक्ट्रॉन दुसरे कोश से पहले कोश में आता है , यदि पहले कोश की उर्जा E1 और दूसरे कोश की ऊर्जा E2 है तो
△E = E2 – E1
E1 = – 2 π2mZ2e4/n12
h2
E2 = – 2 π2mZ2e4/n22
h2
उपरोक्त दोनों ,मान समीकरण में रखने पर 
△E = = 2πmZ2e4/h2[ 1/n12
– 1/n22 ]
जैसा की हम जानते है कि 
△E = hc/λ
इसलिए
hc/λ = 2πmZ2e4/h2[ 1/n12 – 1/n22 ]
हल करने पर हाइड्रोजन के लिए Z = 1 और स्थिर राशियों के मान रखने पर –
यहाँ स्थिर राशियों के मान को RΗ  द्वारा लिखा गया है जिसका मान 1.0973731568508 × 107 प्रति मीटर पाया गया है।

श्रेणियाँ

जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आता है तो निम्न श्रेणियां प्राप्त होती है –
1. यदि n1 =1 और  n2 = 2 , 3 , 4 , 5 , . . . . . . .  है तो  लाइमन श्रेणी।
2. यदि n1 =2 और  n2 = 3 , 4 , 5 , . . . . . . .  है तो बामर श्रेणी
3. यदि n1 =3 और  n2 =  4 , 5 , . . . . . . .  है तो पाश्चन श्रेणी।
4. यदि n1 = 4 और  n2 =   5 , 6 , 7 , . . . . . . .  है तो ब्रेकट श्रेणी।
5. यदि n1 = 5 और  n2 =   6 , 7 , . . . . . . .  है तो फूंड श्रेणी
6. यदि n1 = 6 और  n2 =    7 , 8 , 9 , . . . . . . .  है तोहम्फ्री श्रेणी।
नोट :
  • लाइमन श्रेणी = पैराबैंगनी क्षेत्र।
  • बामर श्रेणी = दृश्य क्षेत्र।
  • पाश्चन , ब्रेकट और फुण्ड श्रेणी = अवरक्त क्षेत्र।
  • हम्फ्री श्रेणी = दूर अवरक्त क्षेत्र।

बोर सिद्धांत की कमियां

  1. इस सिद्धान्त की सहायता से एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु या आयन के रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या की जा सकती है लेकिन जिन परमाणु या आयन में एक से अधिक इलेक्ट्रॉन होते है उनके रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं की जा सकती है।
  2. अच्छे स्पेक्ट्रमीदर्शी द्वारा रेखीय स्पेक्ट्रम को देखने पर यह पाया गया कि यह एक रेखा नहीं है बल्कि रेखाओं का समूह है।
  3. विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में यह रेखीय पुन: कई लाइन में विभक्त हो जाता है इसे स्पेक्ट्रम स्टार्क प्रभाव कहते है , इसकी व्याख्या बोर नहीं कर सके।
  4. चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में यह रेखीय स्पेक्ट्रम कई लाइन में विभक्त हो जाते है इसे जिमोन प्रभाव कहते है , बोर सिद्धांत के द्वारा इसकी व्याख्या भी नहीं की जा सकती है।

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