Solubility & factors of solid in liquid ठोस की द्रव में विलेयता तथा प्रभावित करने वाले कारक –

ठोस की द्रव में विलेयता : निश्चित ताप पर 100 ग्राम विलायक में किसी ठोस की खुली हुई वह अधिकतम मात्रा जिसे संतृप्त विलयन बनाया जा सके , वह ठोस की द्रव में विलेयता कहलाती है।

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नोट : जब ठोस अधिकतम मात्रा से कम मात्रा में घुला हुआ हो तो इस प्रकार बने विलयन को असंतृप्त विलयन कहते है।

नोट : जब ठोस कुछ अधिकतम मात्रा में घुला हुआ हो तो इस प्रकार बने विलयन को अतिसंतृप्त विलयन कहते है।

ठोसों की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक  : 

  1. विलेय तथा विलायक की प्रकृति :

समान समान को खोलता है , अतः आयनिक ठोस जैसे NaCl , KCl , Na2CO3 , आदि जल जैसे ध्रुवीय विलायकों में खुल जाते है , जबकि सहसंयोजक ठोस जैसे नैफ्थेलिन , एन्थ्रासीन आदि अध्रुवीय विलायको जैसे बेंजीन , CCl4

आदि में खुल जाते है।

  1. ताप

वे ठोस जिन्हे जल में खोलने पर ऊष्मा बाहर निकलती है , उनकी विलेयता ताप बढ़ाने से काम हो जाती है , जैसे  CaO , Na2COआदि।

वे ठोस प्रदार्थ जिन्हे जल में खोलने पर ऊष्मा अवशोषित होती है उनकी विलेयता ताप बढ़ाने से अधिक हो जाती है जैसे NaCl , KCl  , NH4Cl आदि।

  1. दाब 

ठोस तथा द्रव में सम्पीडियता का गुण बहुत कम होता है , अतः ठोस की द्रव में विलेयता पर दाब का कोई प्रभाव नहीं होता।

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