सरल हार्मोनिक दोलित्र मॉडल , अहार्मोनिक दोलित्र मॉडल simple harmonic oscillator model

(simple harmonic oscillator model in hindi) सरल हार्मोनिक दोलित्र मॉडल :

एक द्विपरमाणुक अणु में परमाणु ऐसे बंध से बंधे रहते है जो प्रत्यास्थ (elastic) होते है जिससे परमाणुओं के मध्य की दूरी एवं बन्ध कोण विकृत होते है , इसलिए कम्पन करते हुए द्विपरमाणुक अणु का मॉडल एक सरल आवर्त दोलित्र के समान होता है।
अत: द्विपरमाणुक अणु की गति सरल आवर्त दोलक की गति के समान माना जाता है , जिसमे हुक्स नियम के अनुसार प्रत्यास्थ बल विस्थापन के समानुपाती होता है।
अर्थात
f   x
f = -kx
यहाँ k = बल नियतांक है।
यहाँ समीकरण में ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है की प्रत्यानयन बल की दिशा विस्थापन के विपरीत होती है।
यहाँ x = साम्य स्थिति से विस्थापन।
इस विस्थापन के संगत स्थितिज ऊर्जा
y(x) =  Kx2/2

अहार्मोनिक दोलित्र मॉडल

निम्न कम्पन्न ऊर्जा स्तर पर द्विपरमाणुक अणु सरल हार्मोनिक दोलित्र मॉडल के समान कार्य करता है , परन्तु उच्च कम्पन उर्जा स्तर पर इसमें परिवर्तन होता है , जिससे हार्मोनिक दोलित्र नियम लागू नहीं होता।
फलस्वरूप कम्पन अहार्मोनिक हो जाते है।
हार्मोनिक दोलित्र में किन्ही दो ऊर्जा स्तरों के मध्य समान दूरी होती है , परन्तु प्रायोगिक रूप से स्पष्ट होता है की कम्पन्न क्वांटम संख्या v का मान बढ़ाने पर दो स्तरों के मध्य की दूरी कम होती जाती है , अत: एक द्विपरमाणुक अणु को अहार्मोनिक दोलक के रूप में मानते है।
selection rule : अहार्मोनिक दोलित्र में कम्पन संक्रमण के लिए चयन नियम निम्न है –
V = ±1 , ±2 , ±3
अर्थात संक्रमण में v के मान में परिवर्तन 1 से अधिक होता है।
संक्रमण की ऊर्जा :
1. v = 0 से v = 1  संक्रमण में जो रेखाएं बनती है ये कमरे के ताप पर प्राप्त होती है तथा इनकी तीव्रता अधिक होती है इसे मूल अवशोषण बैण्ड कहते है।
2. v = 0 से v = 2 संक्रमण की तीव्रता कम होती है इसे प्रथम , ओवरटोन कहते है।
3. v = 0 से v= 3 संक्रमण की तीव्रता और भी कम होती है इसे द्वितीय ओवर टोन कहते है और यही प्रक्रिया जारी रहती है।
4. v = 1 से v = 2,3,4 से संक्रमण उच्च ताप पर सम्पन्न होता है इसे हॉट बैण्ड कहते है।