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रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी , रैले प्रकीर्णन , प्रभाव Raman spectroscopy , चिरसम्मत (classical) सिद्धांत

By   May 9, 2018
Raman spectroscopy in hindi (रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी) : खोजकर्ता – सी.वी रमन एवं के.एंड कृष्णन।
region : आपतित विकिरण दृश्य क्षेत्र की होती है , एवं प्रकिर्णित विकिरण IR क्षेत्र की होती है।
यह एक विशेष प्रकार की स्पेक्ट्रोस्कोपी है जो अणुओं के आपतित विकिरणों के अवशोषण के बारे में बताने के साथ साथ प्रकाश की प्रकिर्णित विकिरणों के बारे में भी बताती है।
जब एकवर्णी प्रकाश किरण किसी पदार्थ जैसे ठोस द्रव या गैस पर गिरती है तो इसका काफी भाग पारगत हो जाता है एवं कुछ भाग प्रकिर्णित हो जाता है।
प्रकिर्णित विकिरण की आवर्ती सामान्यत: आपतित विकिरण की आवर्ती के समान होती है इस प्रकार के प्रकीर्णन को रैले प्रकीर्णन कहते है।
c.v raman ने आपतित विकिरण के लम्बवत प्रकिर्णित विकिरणों को स्पेक्ट्रो ग्राफ द्वारा एवं बताया की प्रकिर्णित विकिरण भी कई लाइनों से युक्त होती है , जिनकी आवर्ती आपतित विकिरण की आवर्ती से कम या अधिक होती है इस प्रकार के प्रकीर्णन को रमन प्रभाव कहते है।

प्रकाश के प्रकीर्णन में रमन प्रभाव को निम्न प्रकार दर्शाया जाता है –

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आपतित विकिरण के समान आवर्ती पर प्राप्त विकिरणों को रैले रेखाएं कहते है व इसके दोनों तरफ प्राप्त रेखाओं को रमन लाइने कहते है।
वे स्पेक्ट्रम रेखाएँ जिनकी आवर्ती आपतित विकिरणों की आवर्ती से कम होती है उन्हें स्टॉक रेखाएं कहते है , जिनकी आवर्ती अधिक होती है उन्हें एन्टीस्टॉक रेखाएँ कहते है।
एन्टीस्टॉक रेखाओं की तीव्रता स्टॉक रेखाओ से कम होती है।
रैले व रमन रेखाओं के बीच आवर्ती के अंतर को रमन शिफ्ट कहते है।
v = v1 – v2
यहाँ
v1 = आपतित विकिरण की आवर्ती
v2 = प्रकिर्णित विकिरण की आवर्ती

ध्रुवणता की संकल्पना / रमन प्रभाव का चिरसम्मत (classical) सिद्धांत :

इस सिद्धान्त के अनुसार जब किसी अणु को विद्युत क्षेत्र में रखते है तो अणु में ऋणावेश एवं नाभिक विकीर्त हो जाता है जिससे अणु ध्रुवित हो जाता है फलस्वरूप अणु में प्रेरित द्विध्रुव आघूर्ण (ui) उत्पन्न हो जाता है।

नोट : वे पदार्थ जो केवल रैले रेखाएं देते है अर्थात जिनके लिए कम्पन या घूर्णन से अणु की ध्रुवणता में परिवर्तन नहीं होता वे रमन सक्रीय होते है।

किसी पदार्थ रमन सक्रीय होने के लिए आवश्यक शर्त यह होती है की अणुओं की घूर्णन तथा कम्पन्न गतियों के कारण उनकी ध्रुवणता में परिवर्तन होना चाहिए अर्थात केवल वे ही पदार्थ रमन सक्रीय होते है जिनकी ध्रुवणता अणुओं के कम्पन या घूर्णन से परिवर्तित होती है।

अत: H2 , O2 , N2 आदि द्वि परमाण्वीय अणु जो IR inactive होते है परन्तु इनमे कम्पन से ध्रुवणता में परिवर्तन होने से ये रमन सक्रीय हो जाते है।