सती प्रथा के विरुद्ध कानूनी प्रतिबंध किसने लगाया या सती प्रथा का अंत किस गवर्नर ने किया sati system was abolished by whom

sati system was abolished by whom in hindi सती प्रथा के विरुद्ध कानूनी प्रतिबंध किसने लगाया या सती प्रथा का अंत किस गवर्नर ने किया ?

 “सती‘‘ के विरुद्ध
भारतीय बुर्जुआ वर्ग, जो पाश्चात्यकरण के फलस्वरूप जन्मा था, जाति बहुदेववाद, मूर्ति-पूजा, जीववाद, पर्दा-प्रथा, बाल-विवाह, सती-प्रथा आदि के विरुद्ध अभियान छेड़कर समाज-सुधार करने के प्रयास में था। ये, उनके अनुसार, ‘पूर्व-आधुनिक‘ या आदि समाज के तत्त्व थे। विदेशी धर्म-प्रचारकों ने इन्हें “हिन्दू बर्बरता‘‘ के उदाहरणों का छद्म नाम देकर कर औपनिवेशिक ताकतों के शासन हेतु एक खासा आधार प्रदान कर दिया। राममोहन राय और विद्यासागर वांछित प्रशासनिक व कानूनी समर्थन प्राप्त करने में इसी की वजह से सफल हुए। 1817 में, पंडित मृत्युजय विद्यालंकार ने घोषित किया कि सती को कोई “शास्त्रीय‘‘ अनुमति नहीं है। एक वर्ष बाद गवर्नर विलियम बैंटिंक ने अपने प्रान्त, नामतः बंगाल, में सती-प्रथा निषिद्ध कर दी। इस निषेध को सती निषेध अधिनियम, 1929 के रूप में भारत के अन्य भागों में सती निषेध अधिनियम, पहुँचने में 11 वर्ष लग गए।

बोध प्रश्न 2
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए रिक्त स्थान का प्रयोग करें।
ख) अपने उत्तरों की जाँच इकाई के अन्त में दिए गए आदर्श उत्तरों से करें ।
1) औपनिवेशिक काल में अधिकारों के लिए महिलाओं के प्रथम संघर्ष पर संक्षेप में लिखें।
2) राष्ट्रवादी संघर्ष में पुराणी अज्ञावती की क्या भूमिका थी?
3) स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान महिलाओं ने ‘‘स्वराज‘‘ और “स्वाधीनता‘‘ को कैसे परिभाषित किया?

बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) ये घटनाएँ: 1907 में मैडम कामा ने स्टुटगार्ट में सोशलिस्ट इण्टर-नेशनल की कांग्रेस में ‘‘वन्दे मातरम्‘‘ ध्वज फहरायाय 1913 में कुमुदिनी मित्रा को बुडापेस्ट में अंतर्राष्ट्रीय नारी-मताधिकार सम्मेलन में आमंत्रित किया गयाय सरोजिनी नायडू, सरला देवी तथा हरदेवी रोशनलाल भी महिलाओं के मुद्दों को उठाने वाली प्रथम महिलाओं में थीं।
2) आर्य समाज के सदस्य के नाते उन्होंने लगभग पूरे पंजाब का भ्रमण किया और महिलाओं से निवेदन किया कि वे अपने पुत्रों को सरकारी नौकरियों में जाने के लिए न प्रेरित करें बल्कि ‘‘स्वदेशी‘‘ बनने के लिए करें।
3) उनके मतानुसार “स्वराज‘‘ व ‘‘स्वाधीनता‘‘ का क्रमशः अर्थ है- स्व-शासन, तथा “स्वयं पर शासन करने की शक्ति व सत्ता‘‘।

कुछ उपयोगी पुस्तकें व लेख
कुमार, राधा, दि हिस्ट्री ऑव डूइंग, काली फॉर विमिन, नई दिल्ली, 1993 ।
गेल ओमवेद्त: कल्चरल रिवोल्ट इन् ए कॅलोनियल सोसाइटी।
गेल ओमवेद्त: वी विल स्मैश दिस प्रीजन।
लिडिल, जोआना तथा जोशी, रमा (सं.), डॉक्टर्स ऑव इण्डियेन्डेन्स: जैण्डर, कास्ट एण्ड क्लास, काली फॉर विमिन, नई दिल्ली, 1986।
संहारी, कुमकुम तथा वैद, सुरेश (सं.), रीकास्टिंग विमिन: ऐल्सेज इन कॅलोनियल हिस्ट्री, काली फॉर विमिन, नई दिल्ली, 1989।

शब्दावली
आमूल परिवर्तनवादी ः रिवाजी अथवा पारम्परिक से एक विचारणीय प्रस्थान द्वारा लक्षणान्वितय उग्र परिवर्तन के विकारों, व्यवहारों व नीतियों से जुड़ा एक राजनीतिक गुट ।
औपनिवेशिक ः एक उपनिवेश अथवा उसके अभिलक्षणों से संबंधित उपनिवेश किसी साम्राज्यिक शक्ति अथवा साम्राज्यिक मानसिकता द्वारा अधिगृहीत व शासित एक राज्य क्षेत्र एवं राष्ट्र है ।
पाश्चात्यकरण ः उच्चरूप से औद्योगीकृत देशों, सामान्यतः पश्चिमी गोलार्द्ध में, की परम्पराओं व आधुनिकतम संस्कृति में ढलना अथवा उनको अंगीकार कर लेना।
बहुविवाह प्रथा ः एक ही समय में एक से अधिक पत्नियाँ रखने की रूढ़ि।
मताधिकार ः वोट देने का अधिकार (राजनीतिक मामलों में अथवा सरकार के निर्माण हेतु)।
मध्यवर्ग ः निजी परिसम्पत्ति हितों व उपभोक्तावाद द्वारा प्रभावित सामाजिक व्यवहार एवं राजनीतिक विचारों वाला।
नारी अधिकारवादी विचार ः इस धारणा से जन्मे विचार कि महिलाएँ राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक अधिकारों के संबंध में पुरुषों के समान हैं।
लिंग ः इस समाविष्ट धारणा के साथ पुरुष व स्त्री के बीच सामाजिक रूप से स्थापित मतभेद कि जीवन के हर पहलू में स्त्रियाँ पुरुषों से निकृष्ट हैं।
सुधार ः संशोधन उसका जो दोषपूर्ण, पापमय, अनैतिक अथवा भ्रष्ट हैय किसी कुप्रथा, अन्याय अथवा त्रुटियों का निराकरण अथवा ठीक करने का कार्य।