salt hydrolysis in hindi example लवण जल अपघटन क्या है एक उदाहरण दीजिए

लवण जल अपघटन क्या है एक उदाहरण दीजिए salt hydrolysis in hindi example ?

लवण जल अपघटन (Salt Hydrolysis)

वह अभिक्रिया जो किसी लवण के जल के साथ संयोग करने पर उसको संगत अम्ल तथा क्षार में परिवर्तित कर देती है, लवण जल अपघटन कहलाती है। यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया का विलोम है। उदाहरणार्थ- •

जल अपघटन के पश्चात प्राप्त विलयन अम्लीय अथवा क्षारीय हो सकता है। यह जल अपघटन के पश्चात बने अम्ल तथा क्षार की आपेक्षिक सांन्द्रता पर निर्भर करता है ।

जल का आयनन H+ तथा OH- आयनों में बहुत कम मात्रा में हो पाता है। जल की शुद्ध अवस्था में उसमें [H’] = [OH-] अतः जल शुद्ध अवस्था में उदासीन होता है।

लवण प्रबल विद्युत अपघट्य होते हैं। जल में घुलने पर उनका धनायनों तथा ऋणायनों में आयनन हो जाता है। लवण का धनायन अथवा ऋणायन जल के क्रमशः OH- आयन या H’ आयन से संयोग करके विलयन की हाइड्रोजन आयन सांद्रता को बदल देता है और विलयन अम्लीयता अथवा क्षारीयता दर्शाने लगता है।

कुल लवणों के ऋणायन जल के H+ आयनों से क्रिया करके विलयन के H+ आयनों की सान्द्रता को कम कर देते हैं। चूंकि [H’] तथा [OH] का गुणनफल (Kw) स्थिर रहता है इसलिए विलयन में [OH ] बढ़ जाती है और विलयन क्षारीय हो जाता है। उदाहरणार्थ-

वह अभिक्रिया जिसमें लवण का धनायन या ऋणायन जल के साथ संयोग करके विलयन की हाइड्रोजन आयन सान्द्रता को बदल देता है तथा विलयन अम्लीयता या क्षारीयता प्रदर्शित करने लगता है, लवण जल अपघटन कहलाती है।

लवणों को चार भागों में बांटा जा सकता है-

1. प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बना लवण- जैसे NaCl, KNO3 आदि ।

2. प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बना अलण- जैसे NH4 Cl, C6H5NH3+CI- आदि ।

3. दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बना लवण – जैसे CH3COON तथा KCN आदि ।

4. दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बना लवण- जैसे CH3COONH4 आदि ।

 प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लवणों का जल अपघटन (Hydrolysis of salts of strong acids with strong base):-

इस प्रकार के लवणों का जल अपघटन नहीं होता। लवण के जल अपघटन से प्राप्त अम्ल तथा क्षार प्रबल होने के कारण प्रबल विद्युत अपघट्य होते है और उनका पूर्ण आयनन हो जाता है। इस प्रकार विलयन की H या OH- आयनों की सान्द्रता में कोई परिवर्तन नहीं होता। विलयन उदासीन रहता है। यह कहा जा सकता है कि लवण के आयनन से प्राप्त धनायनों और ऋणायनों में जल के H+या OH- आयनों से संयोग की प्रवृति नहीं होती क्योंकि इनके संयोग से बने उत्पादों का पूर्ण आयनन हो जाता है। उदाहरणार्थ-

6.30.2 प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवणों का जल अपघटन (Hydrolysis of salts of strong acid with week base):-

प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवणों के कुछ उदाहरण NH4Cl, (NH4 ) 2SO4. Ca(NO3)2 तथा AICI, आदि है। अमोनियम क्लोराइड के जल अपघटन पर विचार कीजिए-

NH,CI जल में घुलने पर NH4+ तथा CI-देता है। NH4+’आयन जल के साथ अभिक्रिया करके ‘ उससे OH- आयन लेकर कम आयनन वाला क्षार NH4OH बनाता है। अतः विलयन में OH- आयनों की सांद्रता कम हो जाती है। चूंकि H’ तथा OH- आयनों की सांद्रता का गुणनफल स्थिर रहता है अतः H’ आयनों की सांद्रता बढ़ जाती है। इस प्रकार, एक अम्लीय विलयन प्राप्त होता है।

प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण का जलीय विलयन अम्लीय (Acidic) होता है। ● अमोनिया क्लोराइड के जल अपघटन की अभिक्रिया को निम्न प्रकार प्रदर्शित कर सकते हैं-

इस प्रकार के लवणों में लवण के धनायन का जल अपघटन होता है। अतः इसे धनायनिक जल अपघटन (Cationic hydrolysis) भी कहते हैं।

(1) प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण के जल अपघटन स्थिरांक (K) दुर्बल क्षार के आयनन स्थिरांक (K) तथा जल के आयनिक गुणनफल (K) में सम्बंध- (Relation between Kh, Kg and Kq):- प्रबल और दुर्बल क्षार के लवणों के जल अपघटन का साम्य निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-

जल का आधिक्य तथा इसका विद्युत अपघटन कम होने के कारण इसकी आयनन के बाद और आयनन के पूर्व की सान्द्रताएं समान अर्थात् स्थिर मानी जा सकती है। अतः K. [HOH ] = एक नया स्थिरांक = Kh (जल अपघटन स्थिरांक) होता है।

समीकरण (63) में बने दुर्बल क्षार BOH का आयनिक साम्य निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-

BOH = B+ + OH-

इस साम्य से दुर्बल क्षार का आयनन स्थिरांक

उपर्युक्त व्यंजक (vi) से स्पष्ट है कि क्षार के दुर्बल होने पर जल अपघटन स्थिरांक Kh का मा बढ़ेगा क्योंकि क्षार के दुर्बल होने पर Kb का मान कम होता है। Kw स्थिर है। अतः जल अपघटन की मात्रा भी बढ़ेगी ।

(2) प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण की जल अपघटन की मात्रा (Degree of hydrolysis of the salt of strong acid with weak base)- माना कि प्रारम्भ में इस लवण का एक ग्राम मोल V लिटर विलयन में उपस्थित है तथा लवण के जल अपघंटन की मात्रा h है। इसके जल अपघटन के साम्य समी. (63) में जल अपघटन से पूर्व तथा जल अपघटन के बाद साम्य सांद्रताओ को निम्न प्रकार प्रदर्शित कर सकते हैं

व्यंजक (viii) से स्पष्ट है कि प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण की एक निश्चित ताप पर जल अपघटन की मात्रा लवण के विलयन की तनुता (V) के बढ़ने अर्थात् सांद्रता (c) का मान कम होने पर बढ़ती है।

ताप बढ़ने पर Kb की अपेक्षा Kw का मान बहुत अधिक बढ़ता है। अतः एक निश्चित सान्द्रता पर लवण के जल अपघटन की मात्रा ताप बढ़ने पर बढ़ जाती है।

(3) प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण के जलीय विलयन की हाइड्रोजन आयन सांद्रता तथा pH जल अपघटन के साम्य समीकरण ( 64 ) से विलयन की हाइड्रोजन आयन सांद्रता

दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लवणों का जल अपघटन (Hydrolysis of salts of weak acid and strong base) :- सोडियम ऐसीटेट तथा पोटैशियम सायनाइड आदि इस प्रकार के लवण के उदाहरण है। सोडियम ऐसीटेट के जल अपघटन पर विचार कीजिये। जब इसे जल में घोला जाता है तो यह Nat तथा CH3 COO- आयनों में पूर्णतया अपघटित हो जाता है। CH3COO ऋणायन जल से संयोग कर उससे H+ आयन लेकर कम आयनित CH3COOH बना देता है। इस प्रकार यह विलयन से H+ आयनों की सांद्रता कम कर देता है। जल के आयनिक गुणनफल K का मान स्थिर रखने के लिये OH- आयनों की सांद्रता बढ़ जाती है। इस प्रकार विलयन क्षारीय हो जाता है।

अतः दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लवण का जलीय विलयन क्षारीय (Basic) होता है।

इस जल अपघटन साम्य को निम्न प्रकार प्रदर्शित कर सकते हैं-

CH3COONa+H2O

इस साम्य से स्पष्ट है कि इसमें ऋणायन का जल अपघटन होता है। अतः यह ऋणात्मक जल अपघटन भी कहलाता है।

(1) जल अपघटन स्थिरांक (Kh), दुर्बल अम्ल के आयनन स्थिरांक (Ka) तथा जल के आयनिक गुणनफल (Ka) में सम्बन्ध (Relation between Kh, Ka and Kw):- दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार के लवण के जल अपघटन का साम्य निम्न लिखा जा सकता है:-

व्यंजक (xiii) से स्पष्ट है कि अम्ल की दुर्बलता बढ़ने पर अर्थात K का मान कम होने पर जल अपघटन स्थिरांक का मान बढ़ता है।

(2) दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार के लवण की जल अपघटन की मात्रा (h)- माना कि प्रारंभ में लवण का एक ग्राम मोल V लिटर विलयन में उपस्थित है तथा लवण के जल अपघटन की मात्रा h है। समी. (65) में विभिन्न सांद्रताए निम्न प्रकार होगी-

उपर्युक्त व्यंजक (xiv) से स्पष्ट है कि किसी निश्चित तापक्रम पर लवण की तनुता (V) बढ़ने अर्थात सांद्रता (c) कम होने पर जल अपघटन की मात्रा बढ़ती है। किसी निश्चित सांद्रता पर ताप बढ़ने पर जल अपघटन की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि K की अपेक्षा Kw का मान ताप बढ़ने पर अधिक बढ़ता है।

(3) दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार से बने लक्षण के जलीय विलयन की हाइड्रोजन आयन सांद्रता तथा PH जल अनपघटन के साम्य समी. (66) से

दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवणों का जल अपघटन (Hydrolysis of salts of weak acid and weak base) :- इस प्रकार के लवण अमोनियम ऐसीटेट (CH3COONH4) पर विचार कीजिए। अमोनियम ऐसीटेट जल में घुलने पर NH+ तथा CH3COO- आयनों में पूर्णतया आयनित हो जाता है। इसके NH4′ आयन तथा CH3COO- आयन जल के क्रमश: OH- तथा H+ आयनों से अभिकृत होकर क्रमशः कम आयनित NH4OH तथा CH3COOH बनाते हैं। इस प्रकार विलयन से H+ तथा OH- आयन दोनों की ही सान्द्रता कम हो जाती है। यदि दोनों आयनों की सान्द्रता समान रूप से कम होती है तो विलयन लगभग उदासीन रहता है और इसकी pH का मान लगभग 7.0 होता है। यद्यपि लवण के जल अपघटन की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। इस अभिक्रिया साम्य को निम्न प्रकार प्रदर्शित कर सकते

(1) दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण के जल अपघटन स्थिरांक (Kh), दुर्बल अम्ल के आयनन स्थिरांक (Ka), दुर्बल क्षार के आयनन स्थिरांक (Kb) तथा जल के आयनिक गुणनफल (K) में सम्बन्ध (Relation between Kh, K, Kg and Ko

किसी दुर्बल अम्ल HA तथा दुर्बल क्षार BOH से बने लवण BA का जल अपघटन साम्य निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-

(2) दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के लवण की जल अपघटन की मात्रा:- माना कि लवण का एक ग्राम मोल V लिटर विलयन में घोला जाता है। यदि जल अपघटन की मात्रा ‘h’ है तो साम्य में विभिन्न सांद्रताएं निम्न प्रकार होगी-

उपर्युक्त व्यंजक (xxii) से स्पष्ट है कि लवण जितने अधिक दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बना होगा उसका उतना ही अधिक जल अपघटन होगा। इस लवण के जल अपघटन पर विलयन की तनुता (V) अर्थात् सांद्रता (c) का कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि जल अपघटन की मात्रा का व्यंजक V तथा c के पदों से मुक्त हैं।

ताप बढ़ाने पर Kw का मान Ka तथा Kb की अपेक्षा अधिक बढ़ता है। अतः ताप बढ़ाने पर जल अपघटन की मात्रा बढ़ेगी। (3) दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार से बने लवण के जलीय विलयन की हाइड्रोजन आयन सांद्रता तथा pH –

इस प्रकार के लवण के जलीय विलयन में H+ आयन दुर्बल अम्ल HA के आयनन से प्राप्त होते हैं। अतः

यदि दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के आयनन स्थिरांक समान हों तो लवण के जलीय विलयन की pH = 7 होगी। इस प्रकार जल अपघटन होते हुये भी विलयन उदासीन रहेगा ।

यदि क्षार की तुलना में अम्ल दुर्बल है अर्थात् Kb > Ka या pKa > pKb तो pH का मान 7.0 से अधिक होगा। यदि pK <p Kb तो pH का मान 7.0 से कम होगा ।

इस प्रकार के लवण के जलीय विलयन की pH लवण की सांद्रता पर निर्भर नहीं करती ।

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