S खण्ड के तत्व s block elements in hindi , क्षारीय धातु , इलेक्ट्रॉनिक विन्यास , भौतिक गुण , रासायनिक गुण 

(s block elements in hindi) S खण्ड के तत्व : वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन ‘s’ उपकोश में जाता है उन्हें ‘S’ खण्ड के तत्व कहते है।
ये तत्व आवर्त सारणी के पहले व दूसरे वर्ग में आते है , पहले वर्ग के तत्वों को क्षारीय धातु कहते है तथा इनका बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास nS1 होता है।
दुसरे वर्ग के तत्वों को क्षारीय मृदा धातु कहते है तथा इनका बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास nS2 होता है।
IA
IIB
1
2
3Li
4Be
11Na
12mg
19K
20Ca
37Rb
38Sr
55Cs
56Ba
87Fr
88Ra
क्षारीय धातु : क्षारीय धातु अत्यधिक सक्रीय होने के कारण मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती है परन्तु संयुक्त अवस्था में ये धातु हैलाइड , ऑक्साइड , नाइट्रेट , बोरेन आदि के रूप प्रकृति में पायी जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : क्षारीय धातुओं के बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन S कक्षक में पाया जाता है।  यह इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक दूर होने के कारण आसानी से त्यागा जा सकता है।  अत: ये तत्व प्रबल विद्युत धनी होते है तथा एक संयोजी आयन बनाते है।
परमाणु क्रमांक
प्रतिक
नाम
इलेक्ट्रॉनिक
विन्यास
3
Li
लिथियम
2[He] 2s1
11
Na
सोडियम
10[Ne] 3s1
19
K
पोटेशियम
18[Ar] 4s1
37
Rb
रुबिडियम
36[Kr] 5s1
55
Cs
सीजियम
54[Xe] 6s1
87
Fr
फ्रान्सियम
86[Rn] 7s1

भौतिक गुण

1. परमाणु तथा आयनिक त्रिज्या : क्षार धातुओं के परमाणुओं का आकार आवर्त सारणी में अपने आवर्त में सबसे बड़ा होता है तथा परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ साथ परमाणु का आकार भी बढ़ता जाता है।
एक इलेक्ट्रॉन त्यागने के बाद बने संयोजी आयन का आकार अपने जनक परमाणु से सदैव कम होता है क्योंकि
  • इलेक्ट्रॉन त्यागने पर बने आयन का संयोजी कोश पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है।
  • इलेक्ट्रॉन की तुलना में प्रोटोनो की संख्या में वृद्धि के कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है जिससे आयन का आकार छोटा हो जाता है।
2. घनत्व : क्षार धातुओं के घनत्व बड़े परमाणु आकार के कारण अपने आवर्त में कम होते है। वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाण्वीय आकार के साथ साथ द्रव्यमान में वृद्धि होती है अत: धातुओं के घनत्व बढ़ते जाते है।
अपवाद : पोटेशियम का घनत्व अपने बड़े आकार तथा रिक्त d कक्षकों के कारण Na से कम होता है।
3. गलनांकक्वथनांक : क्षार धातुओं के गलनांक व क्वथनांक कम होते है क्योंकि इनके बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण इनके मध्य दुर्बल धात्विक बंध पाए जाते है।
4. आयनन एन्थैल्पी : क्षार धातुओं की आयनन एंथैल्पी का मान अपने आवर्त के अन्य तत्वों की तुलना में बहुत कम होता है।
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है क्योंकि परमाणु का आकार बढ़ता है। बाह्यतम इलेक्ट्रॉन की नाभिक से दूरी बढती जाती है अत: इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
कम आयनन ऊर्जा के कारण क्षार धातुएं प्रबल विद्युत धनी होती है।
क्षार धातुओं की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी का मान प्रथम आयनन एन्थैल्पी से अधिक होता है क्योंकि
  • संयोजी आयन का आकार नाभिकीय आवेशों में वृद्धि के कारण छोटा होता है।
  • संयोजी आयन का विन्यास स्थायी (ns2 np6) होता है।
5. ज्वाला परिरक्षण : क्षार धातु तथा इनके लवण ऑक्सीकारक ज्वाला को अभिलाक्षणिक रंग प्रदान करते है।
Li = किरमजी लाल
Na = सुनहरी पिला
K = हल्का बैंगनी
Rb = लाल बैंगनी
Cs = नीला
कम आयनन ऊर्जा के कारण क्षार धातुओं के बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन आसानी से उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चले जाते है।  जब ये इलेक्ट्रॉन पुनः अपनी निम्न अवस्था में आते है तो ऊर्जा का उत्सर्जन करते है अत: ये ज्वाला को अभिलाक्षनिक रंग प्रदान करते है।
6. प्रकाश विद्युत प्रभाव : दृश्य प्रकाश के धातु सतह से टकराने पर इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन की घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते है।
कम आयनन ऊर्जा के कारण रुबिडियम तथा सीजियम का प्रयोग प्रकाश विद्युत सेल में इलेक्ट्रोड के रूप में किया जाता है।
7. अपचायक गुण : क्षार धातुओं के अपचयन विभव के मान कम होते है।  सोडियम से सीजियम तक अपचायक प्रकृति बढती है।
लिथियम प्रबलतम अपचायक होते है क्योंकि लिथियम आयन का आकार छोटा होने के कारण इसकी जलयोजन क्षमता का माना अधिक होता है।

क्षार धातुओं के रासायनिक गुण

क्षार धातुओं के परमाणुओं का आकार बड़ा तथा कम आयनन ऊर्जा के कारण ये धातुएं अत्यन्त क्रियाशील होती है तथा इसकी क्रियाशीलता वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर बढती जाती है।
1. ऑक्सीजन के साथ क्रियाशीलता : क्षार धातुओ को वायु की उपस्थिति में रखने पर ये मलिन हो जाती है क्योंकि इनकी सतह पर धातु ऑक्साइड तथा हाइड्रोक्साइड की परत बन जाती है।  क्षार धातुओं का जब ऑक्सीजन में  दहन करते है तो विभिन्न प्रकार के ऑक्साइड बनते है।
लिथियम ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके सामान्य ऑक्साइड बनाता है।
सोडियम ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके परोक्साइड बनाता है।
जबकि अन्य क्षारीय धातु ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके सुपर ऑक्साइड बनाते है।
2Li + ½ O2 → Li2O
2Na + O2 → Na2O2

M + O2 → MO2

2. जल के साथ क्रियाशीलता : क्षार धातुएं जल तथा अन्य अम्लीय हाइड्रोजन परमाणु युक्त यौगिको के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।

 

2Na + 2H2O → 2NaOH + H2
2Na + 2HX → 2NaX + H2

2Na + एसिटिलीन सोडियम एसीटीलाईड

वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धन विद्युती गुण बढ़ते जाते है अत: जल के साथ क्रियाशीलता बढती है।
3. डाइ हाइड्रोजन से क्रियाशीलता : क्षारीय धातुएँ इससे क्रिया करके हाइड्राइड बनाती है।
2Na +
H2 → 2NaH
क्षारीय धातुओं के हाइड्राइड ठोस आयनिक तथा प्रबल अपचायक होते है।  आयनिक तथा प्रबल अपचायक गुण वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर बढ़ते जाते है।
4. हैलोजन से क्रियाशीलता : क्षारीय धातुएँ हैलोजन के साथ क्रिया करके हैलाइड बनाती है।
2M + X2 → 2MX
जहाँ m = Li , Na , K , Rb , Cs

2Na + Cl2 → 2NaCl

5. द्रव अमोनिया के साथ क्रियाशीलता : सभी क्षारीय धातुएं द्रव अमोनिया में विलेय होकर गहरे नीले रंग का विलयन बनाती है , यह विलयन विद्युत चालकता प्रदर्शित करता है।
विलयन का नीला रंग अमोनिकृत इलेक्ट्रॉन के कारण होता है।  यह दृश्य प्रकाश से ऊर्जा का अवशोषण करके विलयन को नीला रंग प्रदान करता है।
विलयन की विद्युत चालकता अमोनिकृत धनायन तथा अमोनिकृत इलेक्ट्रॉन के कारण होती है।
6. ओक्सो अम्लों के लवण : ओक्सो अम्ल वे होते है जिनमें जिस परमाणु पर अम्लीय प्रोटोन से युक्त हाइड्रोक्सील समूह होता है। उसी परमाणु पर ओक्सो समूह जुड़ा रहता है।  सभी क्षारीय धातुएं ओक्सो अम्लो के साथ लवण बनाते है , ये लवण जल में घुलनशील होते है तथा ताप स्थायी होते है।
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धन विद्युती गुण बढ़ता जाता है अत: क्षार धातु कार्बोनेटो का स्थायित्व भी बढाते है।
Li2CO3
< Na2CO3 < K2CO3 < Rb2CO3 < CS2CO3
Li2CO3 ताप के प्रति कम स्थायी होता है क्योंकि लिथियम का आकार छोटा होने के कारण यह बड़े CO3 आयन को ध्रुवित कर अधिक स्थायी यौगिक बनाता है।