वैज्ञानिक संकेतन , परिभाषा , नियम क्या है , व्याख्या , पूर्णांकन का नियम , rounding off numbers , Scientific notation in hindi

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वैज्ञानिक संकेतन : अनिश्चितता को वैज्ञानिक संकेतन द्वारा हटाया जा सकता है।

वैज्ञानिक संकेतन में संख्या को चर घातांकीय रूप में लिखते है।
अर्थात N x 10n
यहाँ N = एक अशून्य अंक है जो दशमलव के बायीं ओर स्थित है , n = एक पूर्णांक है।
प्रश्न : निम्न को वैज्ञानिक संकेतन के रूप में लिखो –
1.
8005
Ans : 8.005 x 103
2.
3800
Ans : 3.800 x 103
3.
0.00016
Ans : 1.6 x 10-4
4.
0.063
Ans : 6.3 x 10-2
5.
70078
Ans : 7.0078 x 104
6.
323.15
Ans : 3.2315 x 102

सार्थक अंक

जब किसी मापना का परिणाम शुद्ध रूप से प्राप्त होता है तब उस मापन में अर्थपूर्ण अंको की संख्या सार्थक अंक कहलाती है।
इसी परिणाम में जितने अधिक सार्थक अंक होते है उनमें उतनी ही कम अनिश्चितता होती है।
सार्थक अंक ज्ञात करने के नियम :
  1. सभी अशून्य अंक तथा दो अशून्य अंको के मध्य उपस्थित शून्य सार्थक अंक होते है।
उदाहरण : 768 में सार्थक अंक 3 है।
6001 में सार्थक अंक 4है।
2. प्रथम अशून्य अंक के बायीं ओर स्थित शून्य अंक को सार्थक अंक नहीं मानते है।
उदाहरण : 0.0237 में सार्थक अंक 3 है।
0.06023 में सार्थक अंक 4 है।
3. यदि किसी संख्या के अंत में शून्य है तथा यह शून्य दशमलव के दाई ओर स्थित हो तो शून्य सार्थक अंक होते है।
उदाहरण : 0.600 में सार्थक अंक 3 है।
0.06 में सार्थक अंक = 1
4. पूर्णांकन का नियम :
  •  यदि किसी अंक को पूर्णांकित करते समय जिस अंक को हटाया जाता है , यदि वह 5 कम हो तो शेष संख्या में परिवर्तन किये बिना उसे हटा देते है।
उदाहरण : 1.7432 को पूर्नांकन के बाद = 1.743
1.6934 को पूर्णांक करने पर = 1.693
  • यदि अंतिम हटाया गया अंक 5 से अधिक हो तो शेष संख्या के अन्तिम अंक में 1 अंक बढ़ा दिया जाता है।
उदाहरण : 1.7437 को पूर्णांक करने पर = 1.744
1.689 को पूर्णांक करने पर = 1.69
  • यदि अंतिम हटाया गया अंक 5 है तथा उससे पहले विषम अंक होने पर उसमें एक अंक जोड़ दिया जाता है तथा सम अंक होने पर उसमे कोई परिवर्तन नहीं करते है।
उदाहरण : 1.675 को पूर्णांक करने पर = 1.68
1.745 को पूर्णांक करने पर = 1.74
5. जोड़ तथा बाकी का नियम : 
  • संख्याओ के जोड़ और बाकी में दशमलव के बाद उतने ही स्थान तक सार्थक अंक होते है जितने किसी अवयवी संख्या में दशमलव के पश्चात् न्यूनतम सार्थक अंक होते है।
6. गुणा और भाग का नियम : गुणा तथा भाग की गणनाओं में अंतिम परिणाम उनके ही सार्थक अंको में व्यक्त किया जाता है जितने सार्थक अंक न्यूनतम सार्थक अंको वाली संख्या में होते है।
उदाहरण : 2.5 x 1.25 = 3.15 या 3.1
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