(rotational kinetic energy and work done in hindi) घूर्णन गतिज ऊर्जा व घूर्णन में किया गया कार्य : किसी भी पिण्ड में विद्यमान गतिज ऊर्जा पिण्ड में गति के कारण होती है और पिंड की इस गति में घूर्णन गति भी शामिल है , अर्थात घूर्णन गति कर रहे पिण्ड में इसकी घूर्णन गति के कारण इसमें गतिज ऊर्जा होती है और पिंड की इस उर्जा को घूर्णन गतिज ऊर्जा कहते है।
घूर्णन गति कर रहे पिण्ड की गतिज ऊर्जा का मान पिण्ड के कोणीय वेग और पिंड के जड़त्व आघूर्ण पर निर्भर करता है।
किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण यह प्रदर्शित करता है कि उसके घूर्णन गति को कितनी आसानी से परिवर्तित किया जा सकता है और जडत्व आघूर्ण को अंग्रेजी के I द्वारा प्रदर्शित किया जाता है और इसका मात्रक kg∙m2 होता है।
घूर्णन गतिज ऊर्जा का मात्रक जूल होता है।
घूर्णन गति कर रहे किसी वस्तु की घूर्णन गतिज ऊर्जा को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
यहाँ K = घूर्णन गतिज ऊर्जा
I = पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण
w = पिण्ड का कोणीय वेग
यदि वस्तु का कोणीय वेग का मान इकाई के बराबर हो अर्थात w = 1 तो
K = I/2
I = 2K
अर्थात जब कोई पिण्ड किसी अक्ष के परित: एकांक (इकाई) कोणीय वेग से घूर्णन कर रही हो तो अक्ष के परित: पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण का मान , गतिज ऊर्जा के दोगुने के बराबर होता है।
घूर्णन में किया गया कार्य (work done in rotation)
घूर्णन गति कर रहे किसी दृढ़ पिण्ड द्वारा किया गया कार्य उस पर आरोपित बल आघूर्ण और इस बल आघूर्ण के कारण उत्पन्न कोणीय विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
माना किसी वस्तु पर कार्यरत बल आघूर्ण T है तथा इस बल आघूर्ण के कारण उत्पन्न कोणीय विस्थापन का मान θ है तो घूर्णन द्वारा किया गया कार्य का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
घूर्णन द्वारा किया गया कार्य = बल आघूर्ण x कोणीय विस्थापन
W = T x θ