प्रशीतक या रेफ्रिजरेटर क्या है , सिद्धांत , कार्यविधि , कौनसी गैस काम आती है (Refrigerator in hindi)

(Refrigerator in hindi) प्रशीतक या रेफ्रिजरेटर क्या है , सिद्धांत , कार्यविधि , कौनसी गैस काम आती है : हम ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम पढ़ चुके है जिसके अनुसार जब किसी ठंडी वस्तु को गर्म वस्तु के सम्पर्क में लाया जाता है तो ठंडी वस्तु गर्म होने लगती है और गर्म वस्तु ठण्डी होने लगती है।

और हम यह भी पढ़ चुके है कि इसी सिद्धांत पर ऊष्मा इंजन भी इसी सिद्धांत पर कार्य करता है।

लेकिन प्रशीतक ऊष्मा इंजन के बिल्कुल विपरीत सिद्धान्त पर कार्य करता है।

प्रशीतक में एक वाष्प अवस्था में गैस काम में ली जाती है तो वस्तु से ऊष्मा उत्सर्जित करने में मदद करती है और वस्तु को ठण्डा कर देती है।

अर्थात जैसे उष्मा इंजन में जैसे इंजन स्रोत से ऊष्मा ले रहा था और कुछ कार्य करने के बची ऊष्मा को सिंक में दे देता है वैसे ही यहाँ होगा लेकिन इसका बिल्कुल विपरीत होगा।

यहाँ प्रशीतक सिंक अर्थात वस्तु से ऊष्मा लेता है और इस ऊष्मा का कुछ भाग कार्य में परिवर्तित करने के बाद बची ऊष्मा को गर्म वस्तु अर्थात स्रोत मे दे देता है जिससे सिंक (वस्तु) और अधिक ठंडा हो जाता है।

प्रशीतक या रेफ्रिजरेटर की कार्यप्रणाली या कार्य विधि (working of Refrigerator)

प्रशीतक या रेफ्रिजरेटर के दो हिस्से होते है एक जहाँ बर्फ जमती है और दूसरा जहाँ वस्तुएं ठंडी होती है लेकिन बर्फ नहीं जमती है।  फ्रिज के दोनों हिस्से ही ऊष्मा विनमय के लिए चारो तरफ से पाइप से घिरे हुए होते है। प्रशीतक के नीचे एक भारी धातु की बनी युक्ति लगी रहती है जिसे कम्प्रेसर कहते है इस कम्प्रेसर को चलाने के लिए एक इलेक्ट्रिक मोटर लगी रहती है। और जिन पाइप के द्वारा अधिक ऊष्मा विनिमय की आवश्यकता होती है वो पाइप कुंडलित होती है।
रेफ्रिजरेटर का पूरा सिस्टम अमोनिया गैस पर आधारित रहता है और यह गैस लगभग -32 डिग्री सेल्सियस पर वाष्पित हो जाती है।
प्रशीतक या रेफ्रिजरेटर की क्रिया विधि शुरू होती है कम्प्रेसर से , सबसे पहले अमोनिया गैस को संपीडित किया जाता है , इसके लिए दाब को बढाया जाता है जिससे अमोनिया गैस बहुत अधिक गर्म हो जाती है। यह गर्म गैस फ्रिज के पीछे लगे कुंडलित पाइप से गुजारी जाती है जहाँ अतिरिक्त गर्मी को मुक्त किया जाता है , यही कारण होता है कि फ्रिज के पीछे अधिक गर्मी होती है। ऊष्मा (गर्मी) त्यागने के बाद अमोनिया गैस ठंडी हो जाती है जिससे यह वाष्प से तरल में बदल जाती है।
यह तरल अमोनिया इसके बाद विस्तार वाल्व (expansion valve) में जाती है जहाँ यह और अधिक ठंडी हो जाती है , यह ठंडी अमोनिया , कुंडलित पाइप से होकर तेजी से गति करती है जिससे यहाँ की वाष्प का ताप कम होता जाता है और वस्तुएं ठंडी हो जाती है।

प्रशीतक या रेफ्रिजरेटर के भाग (parts of refrigerator)

इसके तीन मुख्य भाग होते है –
1. स्रोत (source)
2 कार्यकारी पदार्थ (used substance)
3. सिंक (sink)
1. स्रोत (source)
यह ऊष्मा का भण्डार होता है या दुसरे शब्दों में कहे तो इसमें बहुत अधिक ऊष्मा ग्रहण करने की क्षमता होती है , यह एक ऐसा स्त्रोत होता है जिसे कितनी भी ऊष्मा दी जा सकती है।
2 कार्यकारी पदार्थ (used substance) 
ऐसा पदार्थ जो वस्तुओं को ठंडा करने में इस्तेमाल होता है , प्रशीतक , रेफ्रिजरेटर या फ्रिज में सामान्यत: अमोनिया और फ्रीओन गैस काम में आती है , कभी कभी यह प्रश्न पूछ भी लिया जाता है कि प्रशीतक या रेफ्रिजरेटर या फ्रिज में कौनसी गैस काम में आती है ?
3. सिंक (sink)

यह एक ऐसी वस्तु या स्रोत होती है जिससे कितनी भी ऊष्मा ली जा सकती है अर्थात इसमें अनन्त उष्मा त्यागने की क्षमता होती है।

प्रशीतक की शीतलन क्षमता

इसे प्राय: β से व्यक्त किया जाता है , इसका मान ज्ञात करने के लिए ठंडी वस्तु से निकाली गयी ऊष्मा तथा इसके लिए किये गए कार्य के अनुपात को ही शीतलन क्षमता कहते है –
शीतलन क्षमता (β) = वस्तु द्वारा निकाली गयी ऊष्मा / किया गया कार्य