वास्तविक गैस किसे कहते है , परिभाषा क्या है , उदाहरण , सूत्र , समीकरण या वान्डरवाल गैस समीकरण (real gases in hindi )

(real gases in hindi ) वास्तविक गैस किसे कहते है , परिभाषा क्या है , उदाहरण , सूत्र , समीकरण या वान्डरवाल गैस समीकरण : वे गैसें जो सामान्य प्रकृति की होती है तथा चार्ल्सबॉयल , दाब आदि नियमों की पालना नहीं करती है उन्हें वास्तविक गैसें कहते है।
वास्तविक गैसों के उदाहरण : जैसा की हम जानते है कि ठण्डी गैस या हवा जो सामान्य दाब पर आदर्श गैस की तरह व्यवहार करती है , यदि उसी गैस के लिए यदि दाब या ताप का मान बढ़ा दिया जाए तो गैस के कणों के मध्य क्रियाएं बढती है और परिणामी गैस अब आदर्श गैस की भाँती व्यवहार नहीं करती और न ही आदर्श गैस से सम्बंधित नियमों की पालना करती है , इस गैस को ही वास्तविक गैस कहते है।
किसी भी गैस के लिए pV/RT को संपीडन गुणांक कहते है और किसी आदर्श गैस के लिए संपीडन गुणांक का मान 1 होता है।
जब किसी ग्राफ पर संपीडन गुणांक और दाब के मध्य , आदर्श गैस और वास्तविक गैसों के लिए अलग अलग ग्राफ खिंचा जाए तो हम देखेंगे की दोनों समान प्राप्त नहीं होते है , इससे सिद्ध होता है कि वास्तविक गैसें , आदर्श गैस समीकरण की पालना नहीं करती है और अलग होती है।
जैसा कि हमने ऊपर उदाहरण में पढ़ा है कि जब किसी आदर्श गैस को उच्च ताप या दाब दिया जाए तो यह आदर्श गैस समीकरण की पालना नहीं करती और वास्तविक गैस की तरह कार्य करती है।
अत: जब किसी वास्तविक गैस को निम्न दाब और उच्च तापमान पर रखा जाए तो वास्तविक गैस भी आदर्श गैस की तरह कार्य करती है और आदर्श गैस समीकरण का पालन भी करती है लेकिन जब दाब को उच्च कर दिया जाए और ताप को निम्न तो वास्तविक गैस , आदर्श गैस की तरह व्यवहार नहीं करती है और न ही आदर्श गैस समीकरण का पालन करती है।

वास्तविक गैस समीकरण या वान्डरवाल गैस समीकरण (real gas equation)

वास्तविक गैसों के लिए समीकरण ज्ञात करने के लिए जोहान्स डाइडरिक वान डर वाल्स ने आदर्श गैस समीकरण में कुछ बदलाव किये और इन दो संशोधनों के बाद हमें वास्तविक गैस के लिए समीकरण प्राप्त हुई।
1. पहला बदलाव (आयतन संशोधन ) : आदर्श गैस समीकरण में गैस के कणों को , गैस के आयतन की तुलना में नगण्य माना गया था लेकिन वास्तविक गैस के कण अत्यंत सूक्ष्म जरुर होते है लेकिन इनके आयतन को नगण्य नहीं माना गया।
माना गैस का आयतन V तथा गैस के अणुओं का आयतन b है तो गैस का प्रभावी आयतन का मान (V – b) होगा।
2. दूसरा बदलाव (दाब का संशोधन ) : आदर्श गैस समीकरण में गैसों को अक्रिय माना गया था लेकिन वास्तविक गैसों के कणों (अणुओं) के मध्य अन्तराण्विक बल कार्य करता है और इस बल के कारण , वास्तविक गैस के अणुओं द्वारा बर्तन की दिवार पर लगाया गया बल तथा दाब का मान में कमी आ जाती है , मान लेते है कि दाब के मान में a कमी हो जाती है तो गैस का का दाब p के स्थान पर (p + a) हो जाता है।
अत:  वान डर वाल्स समीकरण (n  मोल के लिए )
यदि n = 1 ( एक मोल के लिए)