इस नियम के अनुसार –
“एक निश्चित ताप पर किसी विलयन में उपस्थित किसी वाष्पशील पदार्थ का आंशिक वाष्प दाब , उस पदार्थ की मोल भिन्न के समानुपाती होता है , यही राउल्ट का नियम है। ”
यह नियम यह भी बताता है कि किसी विलयन का कुल वाष्प दाब , अलग अलग पदार्थों के कारण वाष्पदाब के योग के बराबर होता है।
माना किसी विलयन में दो वाष्पशील पदार्थ उपस्थित है जिन्हें हम A तथा B द्वारा व्यक्त करेंगे , यहाँ A पदार्थ का आंशिक दाब PA है तथा पदार्थ B का आंशिक वाष्पदाब PB है।
माना A पदार्थ के मोल भिन्न XA है।
तथा B पदार्थ के मोल भिन्न XB है।
राउल्ट के अनुसार किसी विलयन में उपस्थित किसी वाष्प शील पदार्थ का आंशिक दाब , उस पदार्थ के मोल भिन्न के समानुपाती होता है।
अत: राउल्ट के नियमानुसार –
A पदार्थ के लिए
PA ∝ XA
PA = PA0 XA
B पदार्थ के लिए
PB ∝ XB
PB = PB0 XB
राउल्ट के नियम की सीमाएं
आदर्श तथा अनादर्श विलयन (Ideal and non ideal solutions)
जब दो द्रव परस्पर पूर्णतया विलयशील होते हैं तो वे किसी भी अनुपात में मिलाने पर सच्चा विलयन (true solution) बनाते हैं | इस प्रकार के द्रव दो प्रकार के विलयन बनाते हैं – आदर्श विलयन और अनादर्श विलयन |
आदर्श अथवा अनादर्श विलयन क्या है ? इसे समझने के लिए हमें राउल्ट नियम का अध्ययन करना होगा |
राउल्ट का नियम किसे कहते हैं ? (Raoult’s Law)
द्रवों के कुछ उच्च ऊर्जा वाले अणु गति करते हुए द्रव की सतह से बाहर निकल जाते हैं , यह प्रक्रम वाष्पीकरण (vaporization) कहलाता है जिससे धीरे धीरे करके द्रव पदार्थ वाष्प अवस्था में बदलता जाता है | यदि वाष्पीकरण की प्रक्रिया को एक बंद पात्र में संपन्न कराया जाए तो कुछ समय पश्चात् साम्यावस्था में वाष्प के अणुओं द्वारा द्रव की सतह पर एक दाब स्थापित हो जाता है जिसे वाष्प दाब (vapour pressure) कहते हैं | सन 1887 में राउल्ट के विलयनों के लिए एक नियम दिया जिसे राउल्ट नियम (raoult law) कहते हैं तथा इस नियम के अनुसार , “किसी अवाष्पशील विलेय पदार्थ के विलयन का वाष्प दाब ps उसमें उपस्थित विलायक की मोल भिन्न x0 के समानुपाती होता है |”
अर्थात ps ∝ x0
अथवा ps = x0p0
(जहाँ po = शुद्ध विलायक का वाष्प दाब)
वाष्पशील विलेय पदार्थ की स्थिति में विलयन का वाष्प दाब विलेय और विलायक दोनों के वाष्पदाबों के योग के बराबर होता है |
द्रव द्रव विलयनों के लिए राउल्ट का नियम निम्नलिखित प्रकार से लागू होता है –
माना कि विलयन में द्रव A के na मोल और द्रव B के nb मोल विद्यमान हैं | माना कि शुद्ध द्रव A का वाष्प दाब poA और शुद्ध द्रव B का वाष्प दाब poB हैं | A तथा B के विलयन में माना कि द्रव A और B के आंशिक दाब क्रमशः pA और pB हो तो राउल्ट के नियमानुसार ,
PA = poA X xA
PB = poB X xB
जहाँ xA और xB क्रमशः A एवं B की मोल भिन्न हैं |
अत:
XA = na /na+nb
XB = nb /na+nb
विलयन का कुल वाष्प दाब
P = pA + pB
= (poA X xA) + (poB X xB)
अत: यदि किसी विलयन के लिए pA अथवा pB को xA अथवा xB के विरुद्ध आलेखित किया जाए तो I अथवा II प्रकार के सीधी रेखा में वक्र प्राप्त होते हैं | ये वक्र बिंदु poA या p0B से गुजरते हैं जहाँ xA या xB का मान इकाई होता है तथा बिंदु poA और poB को मिलाने से वक्र III प्राप्त होती है | इसे निम्न चित्र द्वारा प्रदर्शित किया गया है |
जिन विलयनों पर राउल्ट नियम को लागू किया जा सकता है , वे आदर्श विलयन (ideal solutions) कहलाते है | ऐसे विलयनों के लिए वाष्प दाब के मान poA और poB के मध्य होते हैं तथा poA और poB को जोड़ने वाली रेखा (III) पर स्थिति होते हैं | इसके विपरीत जिन विलयनों पर राउल्ट का नियम लागू न किया जा सके उन्हें अनादर्श विलयन (non ideal solutions) कहते हैं | इन विलयनों के वाष्प दाब वक्र III के ऊपर अथवा नीचे स्थित होते हैं |