ओजोन परत से संबंधित प्रश्न , वायुमंडल से संबंधित प्रश्न उत्तर question and answer on atmosphere in hindi संरचना से सम्बन्धित प्रश्न और उनके उत्तर दीजिये |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : ओजोन परत सीधी प्रभावित हो रही है –
(1) ऑटोमोबाइल से
(2) कारखानों से
(3) सुपरसोनिक जैट से
(4) इनमे किसी से नहीं
उत्तर : (3) सुपरसोनिक जैट से
प्रश्न 2 : पृथ्वी के वायुमण्डल पर ओजोन की उपस्थिति उत्तरदायी है –
(1) प्रकाश संश्लेषण की उच्च दर के लिए
(2) पराबैंगनी किरणों के पृथ्वी पर पहुँचने से रोकने में सहायक
(3) पृथ्वी की बढ़ते तापक्रम के लिए उत्तरदायी
(4) ऊर्जा आपूर्ति के लिए
उत्तर : (3) पृथ्वी की बढ़ते तापक्रम के लिए उत्तरदायी
प्रश्न 3 : ओजोन परत नष्ट होती है –
(1) क्लोरोफ्लोरो कार्बन से (CFC)
(2) CO2 से
(3) SO2 से
(4) NH3 से
उत्तर : (1) क्लोरोफ्लोरो कार्बन से (CFC)
प्रश्न 4 : समुद्र तल से 32 से लेकर 80 किलोमीटर तक की ऊंचाई के वायुमंडलीय भाग को कहते है ?
(1) ट्रोपोमंडल
(2) ओजोनमंडल
(3) आयनमंडल
(4) बहिर्मंडल
उत्तर : (2) ओजोनमंडल
प्रश्न 5 : वायुमंडल की इस परत का ताप लगभग समान रहता है और इसमें हल्की गैसों की परतें पायी जाती है –
(1) आयनमण्डल
(2) बहिर्मण्डल
(3) स्ट्रेटोमण्डल
(4) ट्रोपोमण्डल
उत्तर : (3) स्ट्रेटोमण्डल
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :
1. वायुमण्डल की समताप मंडल का ओजोन स्तर सूर्य किरणों के हानिकारक . . . . . .. . . . . . .. . . . .को पृथ्वी पर पहुँचने से रोकता है |
उत्तर : पराबैंगनी विकिरणों
2. मौसम सम्बन्धी परिवर्तन , हवाओं का चलना , आंधी – तूफ़ान का आना , बादलों का बनना , वर्षा होना आदि . . . . . . . .. . . . . भाग में होता है |
उत्तर : क्षोभमण्डल (ट्रोपोस्फियर)
3. पृथ्वी तल से लगभग 800 से 1000 किलोमीटर की ऊँचाई तक . . . . .. . . . .. . . . .. विद्यमान है |
उत्तर : वायु
4. वातावरण में ओजोन का निर्माण आणविक . . . . . .. . . . .. . पर सूर्य के प्रकाश के प्रभाव से होता है |
उत्तर : ऑक्सीजन
5. . . .. . . . .. . . . .. . में वायु अत्यधिक हल्की होती है क्योंकि वायु के कण विस्तार से फैले हुए है |
उत्तर : बहिर्मंडल (एक्सोस्फीयर)
निबंधात्मक और लघुरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1 : ओजोन परत क्या है ? उसकी हमारे वायुमंडल में भूमिका पर चर्चा कीजिये |
प्रश्न 2 : वायुमंडल क्या है ? उसके विभाजन करते हुए ओजोन परत के विषय में बताइए |
प्रश्न 3 : ओजोन परत के हास से होने वाले दुष्प्रभावों पर सविस्तार चर्चा करो |
प्रश्न 4 : सी.ऍफ़.सी. रसायन की चर्चा करते हुए ओजोन के क्षय के मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 5 : टिप्पणी लिखिए –
(अ) सी.एफ.सी.
(ब) अंटार्कटिका और ओजोन क्षय
(स) विकसित राष्ट्र और सी.ऍफ़.सी.
(द) जलवायु पर ओजोन क्षय का प्रभाव
(य) मौसम पर ओजोन क्षय का प्रभाव
(र) कार्बन डाइ ऑक्साइड और ओजोन क्षय
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- पृथ्वी के चारों ओर लगभग 16 किलोमीटर की ऊँचाई तक वायुमंडल का जो भाग है उसे क्षोभमंडल कहते है। मौसम सम्बन्धी परिवर्तन और हवाओं का चलना , बादलों का बनना , तापक्रम में परिवर्तन होना आदि इसी क्षोभमण्डल में होता है।
- समतापमंडल समुद्र तल से 18 किलोमीटर से 32 किलोमीटर ऊँचाई तक पाया जाता है। इस परत में बादल नहीं पाए जाते है और हल्की गैसों की परतें पाई जाती है। इसमें आँधी तूफान इत्यादि भी नहीं आते है।
- वायुमंडल की समतापमण्डल का ओजोन स्तर सूर्य किरणों के हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों को पृथ्वी पर पहुँचने से रोकता है। वायुमंडल में ओजोन की मात्रा केवल 0.000002% ही होती है अर्थात यदि इसे पृथ्वी सतह पर फैलाया जाए तो यह केवल 3 किलोमीटर की तह ही बन पायेगी। इस लेशमात्र गैस की लगभग 95 प्रतिशत समतापमंडल और क्षोभमंडल में पाई जाती है।
- वातावरण में ओजोन का निर्माण आणविक ऑक्सीजन पर सूर्य के प्रकाश के प्रभाव से होता है। ऐसी लगभग 200 प्रकाश रासायनिक क्रियायें ज्ञात है जिसमें इस गैस का हास होता है।
- 1930 में अमीकी वैज्ञानिक डॉ. थॉमस मिजले ने अमेरिकी कैमिकल सोसाइटी के समक्ष C.F.C का पहला संश्लेषण प्रस्तुत किया। उस समय इसकी उपयोगिता ने सारे विश्व में तहलका मचा दिया। यह रंगहीन , गंधहीन , विषहीन , अग्निरोधी , निष्क्रिय , लम्बे समय तक स्थाई रहने वाला और सस्ता पदार्थ शीतलीकरण उद्योग पर छा गया। तब एक शीतलीकरण अमोनिया और गंधक पर निर्भर था।
- लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित हुआ सन 1974 में जब दूसरे अमेरिकी वैज्ञानिक ऍफ़. शेरवुड रॉलेंड ने यह स्पष्ट कर दिया कि ध्रुवों पर ओजोन परत में छिद्र होने के लिए प्रमुख रूप से C.F.C गैस जिम्मेदार होती है।
- कार्बन टेट्रा क्लोराइड और क्लोरोफॉर्म जैसे रसायन भी समतापमण्डल में क्लोरिन बढाते है। C.F.C. से मुक्त हुआ क्लोरिन का एक परमाणु ओजोन के 10 हजार अणुओं को तोड़ने की सामर्थ्य रखता है।
- अन्य कारणों में ही वायुमंडल में विद्यमान नाइट्रोजन और क्लोरिन के ऑक्साइड्स भी एक कारण समझे जाते है , जो कि विभिन्न स्रोतों में प्रवेश कर जाते है। नाइट्रोजन के 5 ऑक्साइड होते है। इनमें से नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का स्रोत मुख्यतः समुद्र , जीवाश्म इंधनों का जलना , उर्वकयुक्त खेत और जंगल आदि है।
- सन 1970 के दशक से वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका महाद्वीप के ऊपर ओजोन परत में कमी पाई है जो प्रतिवर्ष अगस्त महीने से अक्टूबर तक व्याप्त रहती है। समय के साथ ओजोन परत में ओजोन की मात्रा कम होती गयी। 1987 में वैज्ञानिकों ने स्पष्टतया देखा कि अंटार्कटिका के ऊपर तो ओजोन इतनी कम हो गयी कि मानो ओजोन परत में छिद्र हो गया हो।
- जो हास पहले सिर्फ अंटार्कटिका के ऊपर देखा गया था , वह अब कम मात्रा में आर्कटिका के ऊपर भी देखा जा रहा है। सूर्य की किरणों के साथ आने वाली घातक पराबैंगनी किरणों को ओजोन परत अवशोषित कर लेती है। यदि कुछ पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाती है तो वह जीवों और वनस्पति जगत के लिए निम्नलिखित रूप से हानिकारक साबित हुई है :
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और ब्रोंकाइटिस , निमोनिया , अल्सर आदि रोग हो जाते है।
- आँखों में सूजन और घाव होना तथा मोतियाबिंद
- समुद्री खाद्य श्रृंखला गड़बड़ा सकती है।
- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मंद पड़ सकती है।
- वायुमण्डल पर पड़ने वाले प्रभाव
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा में वृद्धि हो जाती है।
- मौसम पर प्रभाव पड़ता है।
- जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।