यौगिक का वर्ग
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क्रियात्मक समूह
की संरचना |
IUPAC समूह
पूर्वलग्न |
IUPAC अनुलग्न
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कार्बोक्सिलिक
अम्ल |
-COOH
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कार्बोक्सी
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-oic acid
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सल्फोनिक अम्ल
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–SO3H
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सल्फो
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`sulphonic acid
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एनहाइड्राइड
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-COOCO
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-oic anhydride
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एस्टर
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-COOR
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Oate
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एसिड हैलाइड
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-COX
(X = F , Cl , Br , I)
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Halo कर्बोनिल
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-आयल हैलाइड
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एमाइड
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-CONH2 , -CONR , -CONHR
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कार्बेमोयल
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-एमाइड
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आइसो सायनाइड
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-NC
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आइसो सायनो
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-आइसो नाइट्राइल
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सायनाइड
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-CN
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सायनो
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नाइट्राइल
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एल्डीहाइड
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-CHO
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फ़ॉमिल या ओक्सो
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-ऐल (-al)
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कीटोन
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-CO
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ऑक्सो
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-one (-ओन)
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एल्कोहल
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-OH
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हाइड्रोक्सी
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-ol (-ओल)
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थायो एल्कोहल
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-SH
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मरकैप्टो
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-thiol या –थायोल
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amine
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-NH2
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एमीनो
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एमीन
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alkene
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C=C
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-ईन
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alkyne
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C≡C
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-आइन (-yne)
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alkane
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C-C
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-ane (-एन)
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सहसंयोजक बंध का विखण्डन : कार्बनिक यौगिको की वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें उपस्थित सहसंयोजक बंध के टूटने को सहसंयोजक का बन्ध विखंडन कहते है।
बंध विखंडन के प्रकार : सहसंयोजक बन्ध का विखण्डन दो प्रकार का होता है –
1. समांश विखण्डन (homolysis)
2. विषमांश (heterolysis)
1. समांश विखण्डन (homolysis) : जब बंध के दोनों इलेक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं पर समान रूप से वितरित हो जाते है तो इस विखण्डन को समांश विखंडन कहते है।
इस विखंडन में मुक्त मूलको का निर्माण होता है।
विषम इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण ये अनुचुम्बकीय गुण दर्शाते है तथा ये अत्यंत क्रियाशील होते है।
मुक्त मूलक निम्नलिखित पदार्थो की उपस्थिति में बनते है।
(i) उच्च ताप (ii) अध्रुवीय विलायक
(iii) परॉक्साइड की उपस्थिति (iv) अधिक ऊर्जा युक्त विकिरण
कार्बनिक मुक्त मूलक में कार्बन परमाणु sp2 संकरित अवस्था में होता है अत: इसकी संरचना समतल त्रिकोणीय तथा σ बंध कोण 120 डिग्री होता है।
अयुग्मित इलेक्ट्रॉन p कक्षक में रहता है।
यदि विषम इलेक्ट्रॉन 10 , 20 , 30 कार्बन पर उपस्थित हो तो मुक्त मूलक भी 10 , 20 , 30 मुक्त मूलक कहलाते है।
नोट : मुक्त मूलकों के स्थायित्व का क्रम निम्न होता है –
30 > 20 > 10 मुक्त मूलक
2. विषमांश (heterolysis) : जब बंध के दोनों इलेक्ट्रॉन किसी एक ही परमाणु के द्वारा ग्रहण किये जाते है तो इस विखण्डन को विषमांश विखंडन कहते है।
विषमांश विखण्डन से आयनों का निर्माण होता है।
(A) कार्ब धनायन या कार्बो कैटायन (carbo cation) : धनावेशित कार्बनिक स्पिसिज जिसमें एक ऐसा कार्बन परमाणु होता है जिसके संयोजकता कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते है तथा एक इलेक्ट्रॉन युग्म अनुपस्थित रहता है उसे कार्ब धनायन कहते है।
कार्ब धनायन अत्यधिक क्रियाशील होते है एवं अस्थायी होते है इसमें धनावेशित कार्बन परमाणु का sp2 संकरण होता है इसलिए इसकी संरचना समतल त्रिकोणीय व बंध कोण 120 डिग्री का होता है।
यदि धनावेश 10 , 20 , 30 कार्बन पर उपस्थित होता है तो उसे 10 , 20 , 30 कार्ब धनायन कहते है।
नोट : कार्ब धनायन के स्थायित्व का क्रम निम्न है –
30 > 20 > 10 कार्ब धनायन
(B) कार्ब ऋणायन या कार्ब ऐनायन (carb anion) : ऋणावेशित कार्बनिक स्पिसिज जिसमें एक ऐसा कार्बन परमाणु उपस्थित होता है जिसके संयोजकता कोश में 8 इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते है , इनमें से 2 इलेक्ट्रॉन एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के रूप में उपस्थित होते है , वह कार्ब ऋणायन कहलाता है।
ये अत्यधिक क्रियाशील एवं अस्थायी होते है।
इसमें कार्बन परमाणु का संकरण sp3 होता है , चार sp3 संकरित कक्षक अतिव्यापन में भाग नहीं लेता है।
मैथिल कार्ब ऋणायन की संरचना अमोनिया के समान पिरेमिड होती है व बंध कोण 120 डिग्री होता है।
यदि ऋणायन 10 , 20 , 30 कार्बन पर उपस्थित हो तो उसे 10 , 20 , 30 कार्ब ऋणायन कहते है।
नोट : कार्ब ऋणायन के स्थायित्व का क्रम निम्न होता है –
1 > 2 > 3 कार्ब ऋणायन
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