तने में प्राथमिक असंगत संरचनाएँ (primary anomalous structure in stem in hindi) in dicot stem

(primary anomalous structure in stem in hindi in dicot stem) तने में प्राथमिक असंगत संरचनाएँ : द्विबीजपत्री पौधों में अनेक सदस्य ऐसे पाए जाते है जिनमें शुरू से ही तने में असामान्य अथवा असंगत संरचनाएं पायी जाती है जैसे वल्कुट अथवा मज्जा में संवहन बंडलों की उपस्थिति असंगत संरचनाओं के तौर पर परिलक्षित होते है क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में संवहन बंडल सदैव परिरंभ के नीचे और वलय में पाए जाते है। अत: इस प्रकार की विसंगति को प्राथमिक असंगत संरचनाएं कहा जा सकता है। इसके अतिरिक्त एकबीजपत्री पौधों के तनों की आंतरिक संरचना में संवहन बंडलों का एक वलय के रूप में पाया जाना भी प्राथमिक असंगत संरचनाओं के उदाहरण है।

द्विबीजपत्री और एकबीजपत्री तनों की आंतरिक संरचना में मिलने वाली प्राथमिक असंगत संरचनाओं का संक्षिप्त विवरण आगे निम्नलिखित प्रकार से है –
(1) द्विबीजपत्रियों में बिखरे हुए बंडल (scattered vascular bundles in dicot) : द्विबीजपत्री तनों की संरचना में संवहन बंडल प्राय: एक वलय में व्यवस्थित पाए जाते है लेकिन कुछ आद्य कुलों के पौधों जैसे रेननकुलेसी में थेलिक्ट्रम और एनीमोन , निम्फिएसी में निम्फिया , पाइपेरेसी में पेपेरोमिया , पाइपर आदि के तनों की आंतरिक संरचना में संवहन बंडल एक बीजपत्री तनों के समान बिखरी हुई अवस्था में पाए जाते है।
(2) एक बीजपत्रियों में वलय में संवहन बंडल (vascular bundles in ring in monocot) : भरण ऊतक में बिखरे हुए संवहन बंडलों का पाया जाना एकबीजपत्री तनों की आंतरिक संरचना का एक प्रारूपिक लक्षण होता है लेकिन कुछ एकबीजपत्री पौधों के तनों में जैसे ट्रिटीकम , एसफ़ोडिलस और रेमस आदि में संवहन बंडल द्विबीजपत्री तनों के समान वलय में व्यवस्थित पाए जाते है। कुछ पौधों में केन्द्रीय मज्जा अनुपस्थित होती है और इनके स्थान पर खोखली गुहा पायी जाती है जैसे ट्रिटिकम।
(3) वल्कुटी संवहन बंडल (cortical vascular bundles) : कुछ द्विबीजपत्री तनों की आंतरिक संरचना में संवहन बंडल वल्कुट में भी पाए जाते है। ऐसे संवहन बंडलों को वल्कुटी बंडल कहते है।
संवहनी पौधों के लगभग 38 कुलों के सदस्यों में वल्कुटी संवहन बण्डल पाए जाते है। वल्कुटी बंडल युक्त प्रमुख तनों के उदाहरण है – निक्टेंथस , केस्यूराइंस , इरीन्जीयम और लेथाइरस सेटाइवस आदि।
वनस्पतिशास्त्रियों के अनुसार वल्कुट में उपस्थित संवहन बंडलो की आकारिकीय प्रवृत्ति पर्ण चिन्ह बंडलों के समकक्ष कही जा सकती है जो कि पर्णवृन्त में प्रवेश करने के पहले कुछ दूर तक वल्कुट में से गुजरते है।
द्विबीजपत्री पौधों में उपस्थित वल्कुटीय संवहन बंडलों में भी अनेक प्रकार की भिन्नताएँ देखी जा सकती है। प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित प्रकार से है –
(i) निक्टेंथस के तने में उलटे विलोम वेजाकार संयुक्त और बाह्यआदिदारुक संवहन बंडल पाए जाते है।
(ii) केस्युराइना तने में उपस्थित वल्कुटी संवहन बंडल द्विबीजपत्रियो के प्रारूपिक संवहन बंडलों के समान संयुक्त समपाशर्वी , वर्धी , अन्त: आदिदारुक और वलय में उपस्थित होते है। वल्कुटी बंडलों की वलय के बंडल अन्त:त्वचा के नीचे पाए जाने वाले सामान्य बंडलों की वलय में व्यवस्थित बंडलों के एकांतर रूप में पाए जाते है।
(iii) लोबेलिया तने में वल्कुटी बंडल पाए जाते है। इन वल्कुटी बंडलों में फ्लोयम बीच में और जाइलम इसे चारों ओर से घेरे हुए होता है। इस प्रकार के संवहन बंडलों को फ्लोयम केंद्री संवहन बंडल कहते है।
(iv) केलेन्को में उपस्थित वल्कुटी बंडल में जाइलम बीच में पाया जाता है और फ्लोयम इसे चारों ओर से घेरे रहता है। इस प्रकार के संवहन बंडलों को जाइलम केंद्री बंडल कहते है।
(4) मज्जा बंडल (medullary bundles) : द्विबीजपत्री पौधों में लगभग 40 कुलों के सदस्यों की आंतरिक संरचना में मज्जा में उपस्थित कुछ मृदुतकी कोशिकाएं विभाज्योतकी होकर एधा का निर्माण करती है। यह कैम्बियम सिमित मात्रा में संवहन बंडल बनाती है। इन्हें मज्जा पूल कहते है। ये निश्चित वलय में अथवा बिखरी हुई अवस्था में पाए जाते है। तने की पूरी लम्बाई में इन संवहन बंडलों की संख्या सदैव सुनिश्चित रहती है। विभिन्न द्विबीजपत्री पौधों में तने की आंतरिक संरचना में मज्जा बंडलों के अनेक वलय उपस्थित हो सकते है। इन बंडलों की व्यवस्थायें और संगठन निम्न प्रकार से होते है –
(i) एकाईरेंथस आस्पेरा : आंधी झाडा के पर्व में पूरी लम्बाई में दो मज्जा बंडल केन्द्रीय भाग में व्यवस्थित होते है लेकिन पर्व सन्धि क्षेत्र में यह दोनों बंडल जुड़कर एक उभयजाइलमी संवहन बंडल का निर्माण करते है।
(ii) बोरहाविया तने में मज्जा के केन्द्रीय भाग में दो बड़े संवहन बंडल या मज्जा बंडल आमने सामने उपस्थित होते है। इसके बाहर वलय में 6 से 14 तक छोटे मज्जा बंडल पाए जाते है। कभी कभी इसके अतिरिक्त एक तीसरा वलय भी (परिधीय वलय) उपस्थित हो सकता है जिसमें 15 से 20 परिधीय संवहन बंडल पाए जाते है। कुछ वनस्पतिशास्त्रियों के अनुसार यह परिधीय बंडल पर्ण चिन्ह बंडलों के समकक्ष संरचनायें है। सभी मज्जा बंडल संयुक्त समपाशर्वी और खुले हुए होते है और यह सिमित मात्रा में द्वितीयक वृद्धि भी प्रदर्शित करते है।
(iii) एमरेन्थस , मिराबिलिस और बोगेनविलिया में समस्त मज्जा बंडल बिखरी हुई अवस्था में पाए जाते है और यह संयुक्त , समपाशर्वी और खुले प्रकार के होते है।
(iv) अरेलिएसी कुल के अरेलिया नामक पौधे के तने में मज्जा बंडल प्रतिलोमित प्रकार के और वलय में उपस्थित होते है।
वार्सडेल के अनुसार मज्जा में बिखरे हुए संवहन बंडलों का पाया जाना एक आद्य लक्षण है जो एकबीजपत्री पौधों में तो आज भी पाया जाता है लेकिन द्विबीजपत्री तनों में यह आद्य लक्षण नहीं पाया जाता फिर भी कुछ पौधों में यह लक्षण मज्जा बंडलों के रूप में आज भी पाया जाता है।
 जेफरी और जोशी के अनुसार द्विबीजपत्री पौधों में मज्जा बंडलों का विकास कार्यिकी आवश्यकताओं के अनुसार हुआ है अत: इनका निर्माण एक आधुनिक लक्षण है।

5. जाइलम में वाहिकाओं की अनुपस्थिति (absence of vessels in xylem)

आवृतबीजियों के जाइलम में वाहिकाओं की उपस्थिति इनका प्रमुख लक्षण है लेकिन कुछ आद्य आवृतबीजियो जैसे बुबिया , ड्रीमीस , ट्रोकोडेड्रांन , एक्सोस्पर्मम और टेट्रासेंट्रोन आदि अनेक वंशों में वाहिकाएँ अनुपस्थित होती है। कुछ जलीय पौधों के तनों में भी जाइलम के अपहासित हो जाने से वाहिकाएं नहीं पायी जाती है जैसे युट्रिकुलेरिया , हाइड्रिला और सिरेटोफिल्लम आदि। यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि आद्य द्विबीजपत्री पौधों में वाहिकाओं की अनुपस्थिति विकासीय प्रवृत्तियों के अनुसार होती है। जबकि जलीय पौधों में वाहिकाओं की अनुपस्थिति परिस्थितिकीय कारणों से होती है।

6. जाइलम और फ्लोयम के पृथक बंडल (separate xylem and phloem bundles)

कुछ द्विबीजपत्री पौधों में तनों के संयुक्त समपाशर्वीय , खुले हुए संवहन बंडलों के मध्य ऐसे संवहन बंडल भी पाए जाते है जो केवल जाइलम अथवा फ्लोयम के बने होते है।
जैसे – रेननकुलेसी कुल के पियोनिया में सामान्य संवहन बंडलों के साथ केवल जाइलम से बने बंडल पाए जाते है। इसके विपरीत , अमरबेल के तने में सामान्य बंडलों के मध्य केवल फ्लोयम द्वारा बने हुए संवहन बंडल पाए जाते है।

7. एक से अधिक रम्भो का पाया जाना (polystelic condition)

आद्य द्विबीजपत्री पौधों के तने की आंतरिक संरचना में बहुरम्भीय स्थिति का पाया जाना एक सामान्य लक्षण है। इस प्रकार की स्थिति में संवहन बंडलों के चारों ओर इनकी पृथक परिरंभ और अन्त:त्वचा अलग अलग पायी जाती है। जैसे निम्फिया के तने में। प्राइमुला के तने की आंतरिक संरचना में सामान्य वलय के संवहन बंडल अलग अलग हो जाते है और प्रत्येक बंडल केस्पेरियन पट्टिका युक्त अपनी अंत:त्वचा और परिरंभ से घिरा हुआ रहता है।

8. अन्त: जाइलमी फ्लोयम / मज्जा फ्लोयम (intraxylary phloem / medullary phloem)

इस संरचना वाले बंडल द्विबीजपत्री पौधों के कुलों में पाए जाते है। अन्तराजाइलमी फ्लोयम की उत्पत्ति क्योंकि प्राकसंवहनी ऊतक से होती है , अत: यह प्राथमिक प्रकार का फ्लोयम माना जाता है। इस फ्लोयम में चालनी नलिकाएं कम संख्या में पायी जाती है और फ्लोयम रेशे अनुपस्थित होते है। मज्जा की परिधि और जाइलम के अन्दर उपस्थित इस फ्लोयम का संगठन निम्नलिखित प्रकार से हो सकता है –
(1) कुछ पौधों जैसे लेप्टाडिनिया केलोट्रोपिस और केप्सीकम में अन्त: जाइलमी फ्लोएम छोटे छोटे चक्रों के रूप में पाया जाता है।
(2) अनार और युकेलिप्टस में अन्तराजाइलमी फ्लोएम एक पूर्ण वलय के रूप में पाया जाता है।

9. आन्तरिक संवहन बंडल (internal vascular bundles)

पी. माहेश्वरी के अनुसार पोलीगोनेसी कुल के कुछ सदस्यों जैसे रयूमेक्स ओरियेन्टिलस और रयूमेक्स क्रिस्पस आदि के तनों की आंतरिक संरचना में एक सामान्य संवहन बंडल वलय दृढोतकी आच्छद के द्वारा घिरा हुआ पाया जाता है और इसी के अन्दर एक तरफसामान्य बंडल का वलय और भी पाया जाता है। इस प्रकार दो संवहन बंडलों के वलय एक ही दृढोतकी आच्छद से घिरे हुए होते है। अत: भीतर वाले संवहन बण्डल वलय को आंतरिक संवहन बंडल वलय कहते है।
आंतरिक बंडल वलय को मज्जा बंडल इसलिए नहीं माना जाता क्योंकि इनका निर्माण मज्जा में उपस्थित मृदुतकी कोशिकाओं से नहीं होता अपितु इनकी उत्पत्ति तो उन प्राक संवहनी कोशिकाओं से होती है जो सामान्य संवहन बंडल वलय का निर्माण करती है। अत: प्रोफ़ेसर माहेश्वरी के अनुसार इनको आन्तरिक संवहन बण्डल ही समझा जाना चाहिए।

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1 : फ्लोयम का कार्य है –
(a) कार्बनिक खाद्य संवहन
(b) जल का संवहन
(c) खनिज संवहन
(d) म्यूसीलेज स्त्राव
उत्तर : (a) कार्बनिक खाद्य संवहन
प्रश्न 2 : जिम्नोस्पर्म्स के फ्लोएम में –
(अ) चालानी कोशिकाएं
(ब) सहकोशिका अनुपस्थित
(स) रेशे अनुपस्थित
(द) मृदुतक अनुपस्थित होते है
उत्तर : (ब) सहकोशिका अनुपस्थित
प्रश्न 3 : जिम्नोस्पर्म्स के जाइलम में –
(अ) वहिनिकाएं नहीं होती
(ब) रेशे नहीं होते
(स) वाहिकाएं नहीं होती
(द) मृदुतक नहीं होते
उत्तर : (स) वाहिकाएं नहीं होती
प्रश्न 4 : उभय फ्लोयमी संवहन पूल पाए जाते है –
(अ) मक्का में
(ब) सूर्यमुखी में
(स) ड्रेसीना में
(द) कुकुरबीटा में
उत्तर : (द) कुकुरबीटा में
प्रश्न 5 : प्राथमिक जाइलम का निर्माण होता है –
(अ) प्राकेम्बियम से
(ब) संवहन केबियम से
(स) काग एधा से
(द) अंतरपूलिय एधा से
उत्तर : (अ) प्राकेम्बियम से