(moving charge in hindi ) गतिमान आवेश की परिभाषा क्या है ? एक गतिमान आवेश उत्पन्न करता है moving electric charge produces magnetic field ?
गतिमान आवेश की परिभाषा : जब कोई आवेश गति कर रहा होता है तो उस स्थिति में उस आवेश को गतिशील आवेश या गतिमान आवेश कहते है | जब आवेश एक नियत वेग से गतिशील होता है तो उसे सामान्य गतिशील आवेश कहा जा सकता है लेकिन जब वह एक त्वरण के साथ गति करता है तो उसे त्वरित आवेश कहा जाता है |
एक गतिमान आवेश उत्पन्न करता है ? : एक गतिमान आवेश चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है | लेकिन यहाँ याद रखे की गतिमान अवस्था का अभिप्राय है उसमें त्वरण शून्य है अर्थात वह एक नियत वेग से गति कर रहा है |
दूसरी तरफ जब वह एक त्वरण से गतिशील है तो उस स्थिति में वह चुम्बकीय क्षेत्र और चुम्बकीय विकिरण दोनों उत्पन्न करता है |
गतिमान आवेश द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र (magnetic field due to a moving charge in hindi) : माना कोई आवेश +q कागज के तल में v वेग से गति कर रहा है। इसके कारण गति से θ कोण की दिशा में r दूरी पर स्थित बिंदु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B का मान ज्ञात करना है। चूँकि आवेश की गति से ही विद्युत धारा उत्पन्न होती है , अत: आवेश को एक काल्पनिक चालक के अन्दर गतिशील मान लेते है। यदि आवेश △t समय तक गतिशील माना जाए तो काल्पनिक चालक की तुल्य लम्बाई –
△l = v.△t
तथा तुल्य धारा I = q/△t
अत: बायो सावर्ट के नियम से P बिंदु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता –
B = u0.I. △l.sinθ/4π.r2
चूँकि I = q/△t और △l = v.△t
अत:
B = u0.( q/△t). v.△t.sinθ/4π.r2
या
B = (u0/4π).qv sinθ/ r2
इस चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा , v और r के तल के लम्बवत ऊपर की तरफ (दाए हाथ की हथेली के नियम नंबर 1 से ) होगी।
यदि आवेश ऋणात्मक है तो इससे उत्पन्न B की दिशा नीचे की तरफ होगी।
यदि आवेशित कण की गति r त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर हो रही है तो चित्र के अनुसार θ = 90° होगा अत: मार्ग के केंद्र O पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B = (u0/4π).qv sinθ/ r2
B = (u0/4π).qv sin90/ r2
B = (u0/4π).qv/ r2
लोरेन्ज बल (lorentz force)
विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों में एक साथ गतिमान आवेश पर लगने वाले बल (अर्थात Fe + Fm) की लोरेंज बल कहते है।
माना किसी स्थान पर विद्युत क्षेत्र E और चुम्बकीय क्षेत्र B एक साथ लगे हुए है तथा इस स्थान से q आवेश से युक्त कोई कण गतिमान है तो कण पर लगने वाला विद्युत बल
Fe = qE
एवं
चुम्बकीय बल
Fm = qvB
अत:
कण पर लगने वाला कुल बल
FT = Fe + Fm
या
FT = qE + qvB
इस समीकरण को ही लोरेन्ज बल समीकरण कहते है।
वेग फ़िल्टर (velocity filter in hindi)
वेग फिल्टर को एक साथ लम्बवत कार्य करने वाले विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों को भिन्न भिन्न वेगों से गतिमान आवेशों के पुंज में से एक निश्चित वेग के कणों को फ़िल्टर करने के लिए प्रयुक्त कर सकते है।
माना एक गतिमान आवेशित कण परस्पर लम्बवत विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों के लम्बवत प्रवेश करे तो यह हो सकता है कि विद्युत और चुम्बकीय बल एक दुसरे को निरस्त कर दे ऐसी दशा में कण दोनों क्षेत्रों से अविक्षेपित रहकर निकल जायेगा। इस स्थिति में
Fe + Fm = 0
या
qE + qvB = 0
q[E + v.B] = 0
E + v.B = 0
E = -v x B = B x v (सदिश)
या
E = B.v.sin90 क्योंकि v ⟂ B
या
E = Bv
अत:
E/B = v
कण के इस व्यवस्था से गुजरने को वेग फ़िल्टर कहते है।
वेग फिल्टर के उपयोग
इस विधि का उपयोग विशिष्ट आवेश के मापन में किया जाता है।
- द्रव्यमान स्पेक्ट्रोस्कोप वेग फ़िल्टर के सिद्धांत पर कार्य करता है। यह एक ऐसा उपकरण है जिससे आवेशित कणों को छाँटा जाता है अर्थात आयनों को उनके विशिष्ट आवेश के अनुसार बाँटा जाता है।
प्रश्न : एक ऐसे क्षेत्र में आवेशित कणों का एक पुंज बिना विचलित हुए 1000 मीटर प्रति सेकंड के वेग से गतिमान है जहाँ विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र एक दुसरे के लम्बवत है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र 3T हो तो विद्युत क्षेत्र की गणना कीजिये।
उत्तर : दिया गया है –
V = 1000 m/s , B = 3T , E = ?
अत: आवेशित कणों के अविचलन के लिए
V = E/B
E = v.B
E = 1000 x 3 = 3000 V/m