सामाजिक गतिशीलता का राजनीतिक परिणाम political result of social mobility in hindi

political result of social mobility in hindi  सामाजिक गतिशीलता का राजनीतिक परिणाम क्या है ?

सामाजिक गतिशीलता का राजनीतिक परिणाम
राजनीतिक व्यवहार पर सामाजिक गतिशीलता के परिणामों का प्रभाव स्तरीकरण गतिविज्ञान के माध्यम से भी देखा जा सकता है। यह प्रायः इस बात पर निर्भर करता है कि स्तरीकरण व्यवस्था से किस आयाम का विरोध किया जा रहा है। प्रायः यह देखा गया है कि श्रेष्ठ सामाजिक स्थिति (या उच्च वर्ग) को उठने वाले (जिन्हें प्रायः नव-धनाढ्य वर्ग कहा जाता है) श्रेष्ठ वर्ग द्वारा विरोध किया जाता है तो उनके आक्रमण को रोकने के लिए सभी प्रतिरोध प्रस्तुत किए जाते हैं। ऐसा उच्च व्यावसायिक और उपभोग गतिशीलता की अवधि में होता है। उच्च वर्ग को डर होता है कि ऐसे पारंपरिक मूल्य फिर आरोपित न हो जाएँ जिनके साथ उनकी प्राप्त मूल्यवान स्थिति को पुनः परिभाषित करने वाले अविवेकपूर्ण तत्व सम्बद्ध हो । यद्यपि नव-धनाढ्यों द्वारा श्रेष्ठ स्थिति में प्रवेश के लिए काफी आमदनी, शिक्षा, व्यावसायिक स्तर, तथा अन्य मानदंड प्राप्त कर लिए जाते हैं तो भी पुराने श्रेष्ठ वर्ग चारित्रित प्रश्रय वाले अन्य पारंपरिक मानदंड जैसे सगोत्रता, जातीय उत्पत्ति, खाने-पीने का पाश्चात्य शिष्टाचार आदि लागू कर देते हैं ताकि उनकी उच्च स्थिति और सम्बद्धता को मना किया जा सके। इस प्रकार कहा जा सकता है कि व्यावसायिक गतिशीलता से सामाजिक गतिशीलता नहीं होती। पुराने श्रेष्ठ वर्ग के ये कार्य नव-गतिशील महत्वाकांक्षी लोगों को सामाजिक प्रक्रिया की उपयुक्तता में विश्वास न करने के लिए प्रेरित करते हैं तथा वे उनकी संस्कृति के खुलेपन और लोकतांत्रिक रूप पर प्रश्न खड़े करने लगते हैं। इस प्रकार, अस्वीकृत होने पर वे स्थिति के वैकल्पिक प्रतीक बना लेंगे जैसे विभिन्न मानव जातीय एसोसिएशन (उदाहरण के लिए, भारत में दलित एसोसिएशन), राजनीतिक दल (जैसे समाजवादी दल या राष्ट्रीय जनता दल), आवासीय स्थल (जैसे अम्बेडकर नगर), विश्वविद्यालय, विद्यालय तथा मनोरंजन स्थल आदि। यह प्रक्रिया पुराने श्रेष्ठ वर्ग और नवधनाढ्य वर्ग दोनों में उनके मतदान के समय दिखाई देगी। पुराना श्रेष्ठ वर्ग जो अपने पारंपरिक सांस्कृतिक तत्वों को एकत्रित एवं मजबूत करता है अपने व्यावहारिक दृष्टिकोण में घोर रूढ़िवादी बन जाएगा। इस प्रकार, घोर श्दक्षिण पंथश् को सामाजिक दर्ग की स्थिति की असुरक्षा की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है। जबकि दूसरी तरफ, नव-गतिशीलत महत्वाकांक्षी उस राजनीतिक दल को समर्थन देंगे जो पुराने श्रेष्ठ वर्ग का विरोध करता हो। इस प्रकार, गतिशील महत्वाकांक्षियों द्वारा बनाए गए दबाव व्यक्तियों को और अधिक उग्र राजनीतिक विचारधारा अपनाने के लिए पहले से ही तैयार करेगा।

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उपर्युक्त प्रक्रिया से सम्बद्ध है फ्रेंज न्यूमैन (1955) का राजनीति का षड्यंत्र सिद्धांत जो सामाजिक वर्ग की असुरक्षा के असंगत तत्वों को दर्शाता है। जब कोई व्यक्ति या वर्ग-विशेष अपनी लक्ष्य स्थिति को प्राप्त करने में असमर्थ रहता है या नीचे की तरफ गतिशीलता को महसूस करता है तो इसके लिए वह अपनी अयोग्यता में या अपनी स्तरीकरण व्यवस्था में कारण ढूँढने की अपेक्षा अपनी सामाजिक बुराइयों के लिए दूसरे वर्ग पर आरोप लगाते हैं। इस दूसरे वर्ग में किसी अज्ञात दुष्ट वर्ग के षड्यंत्र की कल्पना होती है। और अन्यत्र आरोप लगाकर वे सोचते हैं कि जितना अच्छा वे कर सकते थे उन्होंने किया और वे निरंतर स्तरीकरण व्यवस्था पर कायम रहते हैं जो उन्हें समाज में मूल्यवान स्थिति प्रदान करता है। इस प्रकार, वे अपने समाज की सामाजिक संरचना में होने वाले वास्तविक परिवर्तनों की गणना नहीं करते। इस प्रकार, ऐसे अविवेकी सिद्धांतों पर जोर देने वाले व्यक्तियों के राजनीतिक व्यवहार में भी ऐसी प्रवृत्तियाँ झलकती हैं। इससे वे राजनीतिक क्षेत्र में ऐसे काल्पनिक या वास्तविक लक्ष्य वर्गों के विरुद्ध अपनी शक्ति को एकत्रित करने की प्रवृत्ति अपना लेते है।

बहुत बार सामाजिक गतिशीलता की स्थिति विसंगति उत्पन्न कर देती है। कहने का अर्थ है कि आवश्यक नहीं कि एक क्षेत्र में गतिशीलता अनिवार्यतः दूसरे सभी क्षेत्रों में भी गतिशीलता पैदा करे। उदाहरण के लिए एस.एम. लिपसेट ने लसकेचवान (कनाडा) के प्रदेश में लोगों के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन करते हुए पाया कि सोशलिस्ट पार्टी (समाजवादी दल) के नेता या तो व्यापारी या व्यावसायिक थे। यद्यपि वे उच्च व्यावसायिक और आमदनी वाली श्रेणी से संबंधित थे, फिर भी वे सामाजिक क्रम में निम्न-वर्गीय समझे जाते थे क्योंकि वे मुख्यतः गैर-एंग्लो सैक्सन वंश (उनकी आबादी 90 प्रतिशत थी) से थे। फिर भी, ‘उच्च स्थिति तथा उच्च वर्ग वाले एंग्लो सैक्सन आबादी ने गैर-एंग्लो सैक्सन वर्ग का आर्थिक शोषण नहीं किया। इसके बावजूद वे उच्च व्यावसायिक और आमदनी वालों को प्रायः मिलने वाले विशेषाधिकारों से वंचित थे। इस प्रकार दोनों समूहों के मध्य गहरी दरार थी। उनकी स्थितियाँ ऐसी थीं कि अल्पसंख्यक वर्ग (गैर-एंग्लो सैक्सन वर्ग) ने उच्च वर्ग (एंग्लो सैक्सन वर्ग) का विरोध करने वाले राजनीतिक दल के साथ वैचारिक रूप से सम्बद्ध होना अच्छा माना। इस प्रकार, कुंठित महत्वाकांक्षियों के उग्र राजनीतिक विचारों के कारण स्थिति में विसंगति उत्पन्न हुई।

इसी विचारधारा में रोबर्ट माइकेल ने प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व यूरोपीय सामाजिकता का विश्लेषण किया। यहूदियों ने यूरोपीय सामाजिकता आंदोलन में प्रसिद्ध स्थिति प्राप्त की थी। वे वैध रूप से पूरी तरह मुक्त थे तब भी संपूर्ण पूर्वी यूरोप और जर्मनी में सामाजिक रूप से उनके साथ भेदभाव किया जा रहा था। यद्यपि वे आर्थिक रूप से बहुत अमीर थे, फिर भी प्रचलित व्यवस्था में उनके अनुरूप कोई सामाजिक या राजनीतिक लाभ सुनिश्चित नहीं था। केवल समाजवादिता का आदर्श राज्य ही उनकी पीड़ा और अस्वीकृति की भावना को समझता था। यहूदियों का यह व्यवहार हाल ही के समय तक भी मौजूद था। उदाहरण के लिए, स्कैनडिनेविया में जहाँ यहूदी विरोधी भावना अपेक्षाकृत कम है और यहूदी निरंतर अच्छी सामाजिक स्थिति प्राप्त करते जा रहे हैं। आशा की जाती है कि वे पहले जितनी सीमा तक वामपंथी राजनीतिक झुकाव नहीं रखेंगे।

स्थिति में यह विसंगति अनेक सामाजिक स्थितियों में क्रम परिवर्तन और मिश्रण तथा राजनीतिक क्षेत्र में उनके वैचारिक तत्वों की तरफ ले जा सकती है। अतः एक व्यक्ति. सामाजिक, आर्थिक, सांख्यिकीय तथा राजनीतिक हालातों के आधार पर विद्यमान निम्नलिखित में से कोई भी मिश्रण देख सकता है।

1) जब किसी सामाजिक वर्ग की स्थिति उसकी व्यावसायिक अथवा आर्थिक स्थिति से कमजोर होती है तो राजनीतिक झुकाव वामपंथी होता है। सामान्य परिस्थितियों के बावजूद समूह का दृष्टिकोण रूढ़िवादी होता है।
2) जब एक सामाजिक समूह की स्थिति विघटित होती है तो आर्थिक एवं सामाजिक रूप से प्रबल वर्ग के विरुद्ध मौलिक स्थिति लाने के लिए राजनीतिक रूप से उसका झुकाव वामपथी हो जाता है।
3) जब किसी सामाजिक वर्ग की स्थिति उसकी व्यावसायिक और आर्थिक स्थिति से उच्च होती है तो राजनीति में झुकाव दक्षिणपंथी हो जाता है।
4) जब नव-धनाढ्य वर्ग कभी-कभी पुराने श्रेष्ठ वर्ग की अपेक्षा अधिक रूढ़िवादी हो जाता है तो राजनीति में झुकाव दक्षिणपंथी हो जाता है क्योंकि वे सामाजिक क्रम में ऊपर आना चाहते हैं तथा पुराने श्रेष्ठ वर्ग द्वारा यह स्वीकृत हो जाता है।
5) जब किसी सामाजिक वर्ग की उच्च स्थिति को नई गतिशीलता के हमले से चुनौती मिलती है तो राजनीति में झुकाव अत्यधिक दक्षिणपंथी हो जाता है। उदाहरण के लिए, जब पुराना श्रेष्ठ वर्ग नव-धनाढ्य वर्ग के लिए अपनी श्रेणी में उनके प्रवेश को बंद कर देता है।
6) किसी सामाजिक वर्ग की पुरानी लेकिन अवनत होती उच्च स्थिति के कारण उसका दृष्टिकोण अधिक लचीला हो जाता है जो राजनीति में झुकाव वामपंथी हो जाता है।

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सामाजिक गतिशीलता का एक अन्य परिणाम जिसके बारे में पी.ए.सोरोकिन (1927) प्रत्यक्ष उल्लेख करता है और जो जी.मोसका (1939) तथा वी.पैरेटो (1935) के ‘श्रेष्ठ वर्ग के संचलन‘ सिद्धांत में अप्रत्यक्ष रूप से निहित है, वह है-निम्न स्तर से उच्च स्तर में नियुक्ति। मोसका और पेरेटो के ‘श्रेष्ठ वर्ग संचलन‘ के सिद्धांत के अनुसार श्रेष्ठ वर्ग में जब श्रेष्ठता तत्व समाप्त हो जाते हैं तो वे निम्न स्तर में से श्रेष्ठ गुण वाले व्यक्तियों को नियुक्त कर लेते हैं। यह प्रक्रिया निरंतर चलती है। यदि ऐसा नहीं होगा तो उच्च स्तर में विकृत तत्वों की संख्या बढ़ जाएगी जिसका संपूर्ण समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, निचले स्तर में श्रेष्ठ घटक गतिशीलता अवसरों के अभाव में एकत्रित हो जाएंगे। एकत्रित क्रिया में वे विकृत अल्प-संख्यक शासक को हटाकर शासन की बागडोर संभाल लेते हैं। यहाँ तक कि सोरोकिन ने गतिशीलता के अभाव में उच्च वर्ग में अधिक विकृत घटकों के नकारात्मक प्रभावों का उल्लेख किया है।

मेसकाने सामाजिक गतिशीलता के परिणामस्वरूप् आधुनिक लोकतांत्रिक समाजों में एक नए सामाजिक वर्ग-मध्य वर्ग- के प्रादुर्भाव को देखा है। वह मध्य वर्ग को उस मध्य स्तर के रूप में देखता है जहाँ से प्रायः श्रेष्ठ वर्ग अपने रिक्त स्थान भरने के लिए नए योग्य पात्रों का चयन करता है। इस तरीके से निम्न स्तर में महत्वाकांक्षी और बुद्धिमान व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा पूरी कर पाते है। इस प्रकार उपरोक्त से देखा जा सकता है कि सामाजिक गतिशीलता के राजनीतिक परिणाम संपूर्ण समाज के प्रक्रियात्मक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

बोध प्रश्न 2
1) नए गतिशील महत्वाकांक्षी द्वारा (नव-धनाढ्य वर्ग) उच्च वर्ग में जाने के प्रयास करने पर क्या होता है? लगभग पाँच पंक्तियाँ लिखिए।
2) राजनीतिशास्त्र के षड्यंत्र सिद्धांत का क्या अर्थ है? पाँच पंक्तियों में वर्णन कीजिए।
3) गतिशील समाज में श्स्तरीय विसंगतिश् की कौन-सी राजनीतिक शाखाएँ हैं? पाँच पंक्तियों में संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
4) श्रेष्ठ वर्ग का संचलन सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में कैसे सहायता करता है? पाँच पंक्तियों में वर्णन कीजिए।

बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) जब नव-गतिशील महत्वाकांक्षी लोग उच्च वर्ग की श्रेणी में आने का प्रयास करते हैं तो उच्च वर्ग को भय होता है और वे उनके प्रवेश को रोकने के लिए अनेक रुकावटें लगाते हैं। ये रूकावटें इतनी अधिक होती हैं कि वे पारंपरिक मानदंडों का आश्रय भी ले लेते हैं ताकि नव-गतिशील व्यक्तियों के प्रवेश को रोका जा सके।
2) सामाजिक वर्ग की असुरक्षा के अतार्किक तत्व का प्रतिपादन फ्रेंज न्यूमैन द्वारा किया गया। उसने ‘राजनीति के षड्यंत्र सिद्धांत‘ का उल्लेख किया। इसमें सामाजिक बुराइयों के लिए बुराई करने वाले अज्ञात वर्ग पर आरोप लगाया जाता है।
3) एक गतिशील समाज में स्तर विसंगति सामाजिक वर्ग के विशेष वर्गों या किसी संपूर्ण सामाजिक वर्ग से जुड़े सामान्य राजनीतिक व्यवहार में परिवर्तन की तरफ ले जाती है। इस प्रकार इसकी झलक हमें व्यक्तियों और वर्गों के मतदान करने के व्यवहार में दिखाई देती है।
4) श्रेष्ठ व्यक्तियों का संचलन सामाजिक क्रम में महत्वाकांक्षी और बुद्धिमान व्यक्तियों को उन्नति के अवसर प्रदान करता है। इस प्रकार, कुंठित महत्वाकांक्षाओं को समाप्त करता है। अतः दार की प्रबलता को कम करता है और श्रेष्ठ व्यक्तियों को शामिल कर सामाजिक क्रम को अबाधित रूप से नया रूप प्रदान करता है।