प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी (platinum resistance thermometer in hindi)

(platinum resistance thermometer in hindi) प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी : यह एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से किसी ताप का मापन प्लेटिनम के तार के प्रतिरोध द्वारा किया जाता है। इस युक्ति में लगा प्लेटिनम का तार या प्लेटिनम का टुकड़ा एक ताप के सेंसर की तरह व्यवहार कार्य कारता है , इस प्रकार की युक्ति की संवेदनशीलता , रेंज आदि का निर्धारण , इनके निर्माण के समय तय कर दिया जाता है कि इस युक्ति की संवेदनशीलता इतनी होगी और यह इस रेंज के ताप के लिए बेहतर है या उपयोग की जा सकती है।
यह तापमापी बहुत अधिक उपयोग में लाया जाता है और इसके द्वारा 200 डिग्री सेल्सियस से लेकर 1000 डिग्री सेल्सियस ताप का मापन भली प्रकार से किया जा सकता है।

प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी कैसे कार्य करता है ?

जैसा की हम जानते है कि प्रकृति में विभिन्न प्रकार की धातुएं जैसे प्लेटिनम , कॉपर , सिल्वर , एलुमिनियम इत्यादि होती है जिनका विद्युत प्रतिरोध ताप के साथ साथ रैखिक रूप से परिवर्तित होता है और इन धातुओं का यही गुण इनको तापमापी में ताप के सेंसर के रूप में प्रयुक्त करवाता है जिसकी सहायता से ताप के मापन किया जाता है।
धातुओं का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए इनमे धारा प्रवाहित की जाती है और फिर वोल्टमीटर की सहायता से विभव का मान ज्ञात कर लिया जाता है और इनके प्रतिरोध में परिवर्तन के आधार पर ताप की गणना की जाती है।

प्लेटिनम को अधिक उपयोग में क्यों लाया जाता है ?

प्लेटिनम की धातु का प्रतिरोध ताप गुणांक का मान तथा गलनांक का मान बहुत अधिक होता है जिसके कारण तापमापी में प्लेटिनम धातु का उपयोग अधिक किया जाता है।
मान लेते है कि तापमापी में प्लेटिनम धातु के प्रयोग में हमें शून्य डिग्री सेल्सियस ताप पर प्रतिरोध R0 मिलता है , 100 डिग्री सेल्सियस पर प्रतिरोध R0 मिलता है तथा किसी अज्ञात ताप t पर प्रतिरो Rt है तो हमें अज्ञात ताप t  का मान ज्ञात करना है जिसे हम निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करते है –
t = {(Rt– R0)/(R100 – R0)}x 100