फिनोल का सामान्य सूत्र –
CnH2n-1OH
जहाँ n = 6
फिनोल क्रियात्मक समूह की संरचना –
कार्बन का संकरण = SP2
ऑक्सीजन का संकरण = SP3
संरचना का नाम = V आकार
बन्ध कोण = 109 डिग्री
अयुग्मित इलेक्ट्रॉन = 2 जोड़े (4 इलेक्ट्रॉन)
निर्माण विधि (preparation method of phenol) :
(A) प्रयोगशाला विधि :
(i) बेंजीन डाइ एजोलियम क्लोराइड के जल अपघटन द्वारा : बेंजीन डाइ एजोनियम लवण को अम्लीय माध्यम में जल के साथ उबालने पर फिनोल प्राप्त होता है।
(ii) बेंजीन द्वारा : बेन्जीन की अभिक्रिया ऑलियम (SO3 + H2O) के साथ कराने पर बेंजीन सल्फोनिक अम्ल बनता है जो NaOH क्षार से क्रिया करके सोडियम phenoxide बनाता है जो डाई HCl से क्रिया करके फिनॉल देता है।
(iii) हैलोएरीन द्वारा या क्लोरो बेंजीन द्वारा : क्लोरो बेन्जीन की अभिक्रिया 623K ताप व 3 वायुमण्डलीय दाब व निर्जल ZnCl2 उत्प्रेरक की उपस्थिति में NaOH के साथ करवाने पर सोडियम फिलाक्साइड बनता है , यह डाइ HCl द्वारा अपघटित होकर फिनोल का निर्माण करता है।
(iv) सेलिसिलिक अम्ल द्वारा : सेलिसिलिक अम्ल की अभिक्रिया सोडा लाइम (NaOH + CaO) के साथ करवाने पर सोडियम फिनॉक्साइड बनता है जो Dilute
HCl द्वारा अपघटित होकर फिनोल का निर्माण करता है।
सोडालाइम (NaOH + CaO) का मुख्य कार्य विकार्बोक्सीलीकरण अर्थात यौगिक से CO2 हटाता है।
(v) एरोमैटिक ग्रिन्यार अभिक्रिया द्वारा : एरोमटिक ग्रिन्यार अभिकर्मक ऑक्सीजन के साथ क्रिया कर फिनोल का निर्माण करता है।
[B] औद्योगिक विधि :
(i) क्यूमिन द्वारा :
प्रश्न : विश्व में सबसे अधिक फिनोल किस विधि द्वारा बनाया है , समझाइये।
उत्तर : iso prolyl बेंजीन को क्यूमिन कहते है।
आइसो प्रोपिल बेंजीन का वायुवीय ऑक्सीकरण करवाने पर क्यूमिन हाइड्रोपेरोक्साइड बनता है। जो अम्लीय माध्यम में जल अपघटित होकर फिनोल व एसीटोन दोनों बनाता है जो बराबर मात्रा में बनते है।
इस विधि द्वारा विश्व में सबसे अधिक मात्रा में फिनोल बनाया जाता है।
(ii) कोलतार द्वारा : कोलतार के प्रभाजी आसवन को मध्य ऑइल अंश प्राप्त होता है जिसमे फिनोल व नैफ्थेलीन प्राप्त होता है।
इस अशुद्ध फिनोल की अभिक्रिया NaOH के साथ करवाने पर सोडियम फिनोक्साइड प्राप्त होता है जो CO2 व H2O के साथ क्रिया कर शुद्ध फिनोल का निर्माण करता है।
(iii) बेंजीन द्वारा :
प्रश्न : फिनोल के निर्माण की आधुनिक विधि को समझाइये।
उत्तर : बेन्जीन का ऑक्सीजन vanadium pentoxide (V₂O₅) व 583K ताप पर करवाने से फिनोल बनता है। यह फिनोल निर्माण की आधुनिक विधि कहलाती है।
(iv) from rashing process : बेंजीन की अभिक्रिया HCl + ½
O2 के साथ CuCl2
या F2Cl3 की उपस्थिति में 523K पर कराने पर क्लोरो बेन्जीन बनती है।
इस क्लोरो बेन्जीन को H2O भाप के साथ SiO2
व 723K ताप क्रिया से फिनोल बनता है।
(v) डोव प्रक्रम द्वारा : राशिंग क्रम से प्राप्त क्लोबेंजीन की अभिक्रिया NaOH के साथ 23K व CuCl2 उत्प्रेरक की उपस्थिति में कराने पर फिनोल बनता है। इस क्रिया में Na2CO3 + H2O को प्रयुक्त करके भी फिनोल बनाया जा सकता है।
फिनोल के भौतिक गुण (physical properties of phenol)
- फिनोल आद्रतागामी रंगहीन ठोस होता है।
- फीनोल को प्रकाश या हवा में खुला छोड़ने पर यह गुलाबी रंग P-Benzo
quirane में बदल जाता है। - फिनोल में फिनोलिक स्मेल होती है अर्थात लाइफबॉय साबुन जैसी गंध होती है।
- फिनोल जल में अल्प विलेय तथा कार्बनिक विलायको में विलेय होता है।
- फिनोल का क्वथनांक अणुभार बढ़ने के साथ बढ़ता है।
- फिनोल दुर्बल अम्लीय प्रकृति का होता है तथा यह नीले लिटमस पात्र को लाल कर देता है।
- फिनोल संक्षारण प्रकृति का होता है अर्थात त्वचा के सम्पर्क में आने पर फफोले पड़ जाते है।
- फिनोल विषैला प्रकृति का होता है।
- फ़िनोल पूतिरोधी व रोगाणुनाशी होता है।