पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ या पौ बारह होना मुहावरे का वाक्य pau barah hona meaning in hindi

pau barah hona meaning in hindi पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ या पौ बारह होना मुहावरे का वाक्य क्या है बताइए ?

91. दाल में काला होना (संदेह होना)- सेठ जी आजकल दुकान पर नहीं बैठते, अवश्य ही दाल मे कुछ काला है।
92. गड़े मुर्दे उखाड़ना (बीती बातों को ले बैठना)- पिछली बातों को भूल जाओ, गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या लाभ?
93. गरदन पर सवार होना (पीछा ही न छोड़ना)- मैं उसकी गरदन पर सवार रहा तभी तो उसने मेरा काम पहले कर दिया।
94 अग्नि में घी का काम करना (गस्से को ओर भडकाना)-मेर देर से आने के कारण पिजा जी वैसे ही गुस्से में थे, माँ ने शिकायत कर अग्नि में घी का काम कर दिया।
95. आग बबूला होना (अत्यंत कोधित होना)- जैसे ही नौकरानी से फुलदान गिरा, मालकिन आग-बबूला हो गई।
96. पोल खोलना (गुप्त बात का भेद कह देना)- जब लोकसभा में कम्युनिष्टों की पोल खुलने लगी तो सभी कम्युनिष्ट ताक-झाँक करने लगे।
97. पौ बारह होना (खूब मौज होना)- जब से तुम डिप्टीकमिश्नर के पद पर लगे हो तब से तो तुम्हारे पौ बारह हो रहे हैं।
98. गुदड़ी का लाल (सामान्य स्थान पर बैठा गुणी व्यक्ति) ईश्वरचंद्र विद्यासागर तो गुदड़ी के लाल थे।
99. गाल बजाना (डींग हाँकना)- नए अध्यापक ने पहले ही दिन अपनी सफलता के कारनामे बताकर गाल बजाना शुरु कर दिए।
100. फलना-फूलना (उन्नति करना)- योग्य राजा के शासन में व्यापार फलने-फूलने लगा।
101. गुड़ गोबर होना (बात बिगड़ जाना)- रमेश मेरे पचास रूपये देने ही वाला था। तुमने अपनी घड़ी उसको पचास रूपये में देकर सारा गुड़ गोबर कर दिया।
102. गड़ जाना (लज्जित हो जाना)- मन्नू भंडारी के सामने जब कोई उनकी प्रशंसा करता तो वह गड़ने को हो आती।
103. उल्लू बनाना (मूर्ख बनाना)- चतुर लोग भोले-भाले लोगों को उल्लू बनाकर ठग लेते हैं।
104. थप्पड़ सा लगना (स्तब्ध होना)- राजकुमार ने जब अकाल पीड़ित प्रजा को देखा तो उसे थप्पड़ सा लगा।
105. थर-थर काँपना (बहुत डर जाना)- शेर को सामने देखकर यात्री थर-थर काँपने लगे।
106. घड़ों पानी पड़ना (बहुत लज्जित होना)- सत्येंद्र के पिताजी ने उसे जुआ खेलते देखा तो उन पर घड़ों पानी पड़ गया।
107. घर फूंक तमाशा देखना ( अपना नाश करके मस्ती में रहना)- रामू तो उन लोगों में से है जो घर फूंक कर तमाशा देखता हैं।
108. आँखों से गिरना (सम्मान घटना)- अपने कुकृत्यों के कारण वह अपने बड़ों की आँखों में गिर गया।
109. आँखे तरसना (किसी को देखने की तीव्र इच्छा होना)- तुम कहाँ चले गए थे, तम्हें देखने के लिए तो मेरी आँखें ही तरस गयी थीं।
110. घर में गंगा बहाना (सुविधा होना)- सोमेश तुम्हें ट्यूशन लगाने की क्या आवश्यकता है, तुम्हारे तो घर में ही गंगा बहती है क्योंकि तुम्हारे पिताजी एम.ए. है।
111. दाँत काटी रोटी होना (घनिष्ठ मित्रता होना)- अजी, राम और श्याम की क्या पूछते हो? उनकी तो आपस में दाँत काटी रोटी है।
112. दाग लगाना (कलंग लगाना)- तुम क्यों इन शराबियों में बैठकर अपने कुल को दाग लगा रहे हो? जाकर अच्छी संगति में बैठो।
113. घाव हरा होना (भूला दुख याद आना)- क्यों मुझे पिछली बातें सुनाकर मेरा घाव हरा कर रहे हो?
114. अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब निकालना) किसी को लाभ हो या हानि, दुकानदारों को तो अपना उल्लू सीधा करना है।
115. अपना-सा मूंह लेकर रह जाना (लज्जित होना)- जब उस पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया, तब वह अपना सा मुँह लेकर रह गया।
116. घी के दिए जलाना (खुशी मनाना)- भारत के स्वतंत्र होने पर जनता ने घी के दिए जलाए।
117. घुटने टेकना (हार मान लेना)- जरा सी धमकी में उसने घुटने टेक दिए।
118. चैकड़ी भूलना (मस्ती भूल जाना)- जब गृहस्थी की जिम्मेदारी सर पड़ती है तो अच्छे-अच्छे चैकड़ी भूल जाते है।
119. अनुनय विनय करना (प्रार्थना करना)- मैनें प्रधानाचार्य से अनुनय-विनय की कि वे जुर्माना माफ कर दें।
120. अंग-अंग मुस्काना (अति प्रसन्न होना)- रमन के पास होने की खबर सुनकर उसकी माता का अंग-अंग मुस्काने लगा।