पैराथाइरॉइड ग्रंथि के कार्य क्या है parathyroid gland hormones and their functions in hindi
पेराथायरॉइड ग्रन्थि (Parathyroid gland)
परावटु या पेराथायरॉइड ग्रन्थि सभी कशेरुकियों प्राणियों में पायी जाती है। यह थायरॉइड ग्रन्थि की सतह पर अथवा धंसी अवस्था में पायी जाती है। साइक्लोस्टोमेटा एवं इलैस्मोब्रेक मछलियों में इनकी उपस्थिति को नहीं खोजा जा सकता है। एम्फिबिया जंतुओं में यह हॉयड उपस्थित पर एक जोड़ी लाल रंग की काय के रूप में उपस्थित होती है। सरीसृपों में ग्रीवा भाग में थायरॉइड ग्रन्थि के पश्च व पार्श्वतः दो जोड़ी उपस्थित होती है। पक्षियों में ये एक दो जोड़ी उपस्थित होती है। पक्षियों में ये दो जोड़ी ग्रन्थिल काय के रूप में थायरॉइड ग्रन्थि के ऊपर स्थित होती है। इसकी खोज रेनार्ड (Raynard; 1835 ) के एवं संरचना की वर्णन सेन्ड्रोम (Sandrom: 1880) ने किया है।
पेराथॉयरॉइड का परिवर्धन (Development of parathyriod)
यह ग्रन्थि थायरॉइड की भाँति ग्रसनी भाग से बने उद्वर्ध की उपकला से विकसित होती है। | सामान्यतः भ्रूण के तीसरे व चौथे ग्रसनी थैले (pharyngeal pouches) से बनती है।
संचरना (Structure)— पेराथायरॉइड ग्रन्थि उपकलीय कोशिकाओं के समूह व रज्जुओं द्वारा रचित होती है। प्रत्येक पेराथायरॉइड ग्रन्थि पर संयोजी ऊत्तक से बना सम्पुट (capsule) उपस्थित होता है। सम्पुट से अनेक काट (septa) ग्रन्थि की पिण्डकों को अपूर्णत: विभक्त करते हैं। मनुष्य में ये चार छोटी अण्डाकार काय स्वरूप होती है। ये पीले भूरे रंग की 6 × 3 × 2 मि.मी. आमाप एवं लगभग 190 मि. ग्राम की कार्य होती है। इन्हें अधों एवं अधि थॉयराइड धमनियों द्वारा रक्त का सम्भरण किया जाता है। ये वासोमिटर तंत्रिका द्वारा भेदित होती है।
प्रत्येक पिण्ड उपकलीय कोशिकाओं के स्तम्भों से निर्मित होता है इसके बीच-बीच में रक्त मात्र उपस्थित होने हैं। इनमें दो प्रकार की कोशिकाएँ (i) मुख्य कोशिऍ (principal or chief cells) (ii) ऑक्सीफिल या इओसिनोफिल कोशिकाएँ (oxyphil or eosinorphil cells) होती है। हारमोन का प्रवण करती है। वयस्कों में ऑक्सिफिल कोशिकाओं की संख्या वृद्धि होती है।
पेराथायरॉइड ग्रन्थि के हारमोन (Hormones of parathyriod gland)
पेराथायरॉइड ग्रन्थि द्वारा स्रवित “पेराथोरमोन” (parathormone) PTH की खोज जे. डी. | कालिप (Callip; 1925) द्वारा की गई। यह हॉरमोन 83 अमीनों अम्ल से बनी सरल श्रृंखला वाला जटिल प्रोटीन है। इसका अणुभार 9500 होता है ।
चित्र 8.33- पेराथायरॉइड हॉर्मोन के तीन प्रमुख लक्ष्य अंग तथा हॉर्मोन का उन पर प्रभाव
(i) वृक्क नलिकाओं में पुनः अवशोषण की क्रिया में वृद्धि कर Cat+ के अवशोषण में वृद्धि करता है। किन्तु इसके प्रभाव से फॉस्फोरस व पोटेशिम के पुनः अवशोषण में कमी होती है। इनके संयुक्त परिणामस्वरूप रक्त में कैल्शियम के स्तर में वृद्धि हो जाती है। (ii) यह जठरान्त्र प्रदेश पर प्रभाव उत्पन्न कर भोजन में उपस्थित कैल्शियम व फॉस्फोरस के अवशोषण पर नियंत्रण करता है। इस क्रिया में विटामिन डी सहायक होता है।
(iii) रक्त में उपस्थित कैल्शियम व फॉस्फोरस अस्थिकोरक (osteoblasts) कोशिकाओं में प्रवेश अस्थियाँ के पनः शोषण (reabsorption) के समय जब देह में Cat+ की
आवश्यकता होती है। अस्थितियों में Ca++ निकलकर बाहर रक्त में आ जाते हैं।
(iv) इसके प्रभाव से स्तनग्रन्थियों से Ca++ के स्रवण दुग्ध में कम स्रवित होते हैं। (v) इसकी अनुपस्थिति में विटामिन D अपना कार्य भली-भाँति करने में असमर्थ रहता है। पेराथायरॉइड ग्रन्थि की अपसामान्य अवस्थाएँ (Disorders of parathyroid gland) 1. हाइपोपेराथाइरॉडिज्म (Hypoparathyrodidism)
पेराथायरॉइड ग्रन्थि के कम सक्रिय होने पर PTH की मात्रा में कमी के कारण टिटैनी (tetany) नामक रोग हो जाता है। इस रोग के लक्षण जबड़ों का भिंजना (locking of jaw), पेशियों का अकड़ना, कंपन व थिरकर का होना, रक्त में Cat+ का कम होना, श्वास को तेज आना व श्वा लेते समय आवाज का उत्पन्न होना, हृदय गति का बढ़ना, तापक्रम में वृद्धि होना एवं लार का अधिक मात्रा में निलकता आदि होते हैं। इसके अधिक समय तक बने रहने से रोगी की मृत्यु हो सकती है।
(II) हाइपरपैराथाइरॉइडिज्म (Hyperparathyroidism)
पेराथायरॉइड ग्रन्थि से अधिक सक्रिय होने पर PTH की मात्रा में वृद्धि के कारण अस्थितियों से Ca” निर्मुक्त होकर रक्त में बहने लगता है जिससे भी मिलचना, प्यास का अधिक लगना, उल्टियाँ, उल्टियाँ आना, भूख का कम लगना, मूत्र का अधिक आना, कमजोरी पेशियों का आकार बदलना एवं मस्तिष्क के कार्यो में ह्यस होने आदि के लक्षण प्रकट होते हैं। धमनियों की भित्ति, वृक्क नलिकांओं आदि में Ca++ जमा होकर इन्हें अवरूद्ध कर देता है।
चित्र: 8.34 टिनेनी
पेराथायरॉइड ग्रन्थि पर नियंत्रण (Control of parathyorid gland)
पेराथायरॉइड का स्रवण रक्त में PTH के विपरीत दिशा में कार्य करता है। जब पेराथोरमोन द्वारा रक्त में CA++ में वृद्धि होती है तो कैल्सिटोनिन रक्तीय कैल्शिय में कमी कर देता है। पेराथॉयराइड ग्रन्थि एक मोचक कारक (releasing factor) PTH-RH उत्पन्न कर कैल्सिटोनिन स्रवण पर नियंत्रण करती है।
चित्र : 8.35- कैल्सियम के क्रियात्मक नियमन का आरेखी निरूपण