जैविक , अजैविक संसाधन , गाय – बैल , भैंस , बकरियाँ , भेड , ऊँट , गधा , भारत की भील और गौड़ , जनजाति

(organic and inorganic resources in hindi) जैविक , अजैविक संसाधन :

जैविक – पशु , वन , मत्स्यन

अजैविक – जल , खनिज

1. पशु पालन क्या है ?

मनुष्य अपने मतलब के लिए पशु को पालता है।

2. महत्व : परिवहन , ऊन , चमड़ी , मांस , दूध , उर्वरक आदि।

3. क्षेत्र :

  • उत्तरी पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र
  • उत्तरी पश्चिमी शुष्क क्षेत्र
  • तटीय मैदानी भू-भाग
  • मध्यवर्ती वर्ष का क्षेत्र
4. नस्ल : गाय , ऊंट , गधा , घोड़ो , भेड़ , बकरी।
5. कमजोर स्थिति के कारण :
  • भारत में जो पशु है उनकी नस्ल अच्छी नहीं है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण पशुओ में बीमारी होना।
  • पोष्टिक आहार की कमी होना।
  • पशु पालन में लापरवाही होना।

विश्व के पूरे में से भारत में 20% पशु मिलते है।

बाड़मेर में सबसे ज्यादा मिलते है।
ऊंट , गधा , घोडा , भेड़ , बकरी।

नस्ल

गाय – बैल : सबसे ज्यादा ब्राजील में है , यह प्रथम स्थान है , भारत का विश्व में दूसरा स्थान है , 19 करोड़ विश्व में पाए जाते है , 12.7% भारत में मिलते है।  इस दूध में वसा की मात्रा कम होती है।

भैंस : गाय से ज्यादा दूध भैंस देती है , विश्व की आधी भैंस भारत में मिलती है। 56.7% भारत में है , 10.89 करोड़ इनकी संख्या है।  इनके दूध में वसा अधिक होती है और इनके दूध से मक्खन व मावा , पनीर , छांछ आदि बनते है।  यह शीत शहर में रहते है।  यह शीत शहर में सबसे अधिक प्राप्त होती है।

बकरियाँ : बकरी गरीब की गाय होती है।  बकरी को दूध व माँस के लिए पालते है , इसका हम कभी भी दूध निकाल सकते है इसलिए इसे रेगिस्तान का फ्रिरिज भी कहते है।

विश्व में इनका दूसरा स्थान है , इसकी भारत में संख्या 13.52 करोड़ है।  यह दूध देती है 4 से 8 किलो।

भेड : भेड़ो की ऊन व मांस के लिए पालते है , पहाडी क्षेत्र में इनकी संख्या अधिक होती है।  इसमें दूध , वसा की मात्रा ज्यादा होती है।  इनकी संख्या 6.51 करोड़ इनका विश्व में दूसरा स्थान है।

पहाड़ी क्षेत्रो में भेड़ो की संख्या ज्यादा है ऋतू करती है।

ऊँट : ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहते है।  यह रेगिस्तान का महत्वपूर्ण पशु है , इसके बालो से कमल और रस्सी बनती है।  भारत में 2.4% ऊंट मिलते है , इन्हें रेगिस्तान में सामान लाने व ले जाने के लिए रखते है। भारत के राजस्थान राज्य में अधिक ऊंट पाए जाते है।  ऊंट 4-7 दिन तक पानी पिए बिना रह सकते है और राजस्थान में ऊंट 40-50 किलोमीटर एक दिन में चल सकता है।

गधा : गुजरात व राजस्थान राज्य में अधिक पाए जाते है।  राजस्थान के जयपुर जिले व अलवर में अधिक मिलते है।  पहाड़ी क्षेत्र में याक और खच्चर गधा मिलता है।

कमजोर स्थिति के कारण :

  • भारत देश में जिन नस्लों के पशु मिलते है उनकी नस्ले अच्छी नहीं पायी जाती है।
  • भारत में पायी जाने वाली परिवर्तित जलवायु के कारण पशुओ में कई बीमारी पायी जाती है।
  • पशुओ को पोष्टिक आहार नहीं मिलता है।
  • भारत में पशु पालन में कुछ लापरवाही बरती जाती है।
प्रश्न : भारत की भील और गौड़ , जनजातियो की –
1. भौतिक विशेषता – जलवायु , वनस्पति , जीव-जन्तु
2. क्षेत्र – राज्य
3. अर्थव्यवस्था
4. आवास
5. सामाजिक स्थिति
6. वर्तमान स्थिति
उत्तर :
जलवायु : तापमान 15-30 डिग्री सेल्सियस वर्षा 50-100
वनस्पति : उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन , वृक्ष , तेज , फ्लास , मदुआ , नीम , बरगद , खेजड़ी , किका , बबूल।
जीव-जन्तु : हिरण , खरगोश , गाय , भैंस , भेड़िया आदि।
क्षेत्र : राजस्थान , गुजरात , मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र।
अर्थव्यवस्था : भील का अर्थ है तीर।  यह जनजाति तीर चलाने में माहिर है।  इनका मुख्य औजार ही तीर है।  यह आखेट करते है।
आवास : यह सुखी घास से छपर व झोपडी बनाते है।
सामाजिक स्थिति : इसमें पुरुष प्रधान होता है , घर पर स्त्रियाँ रहकर घर की देख भाल करती है।
वर्तमान स्थिति : इस जनजाति में लगातार कमी आ रही है , इसे लगातार सरकार शिक्षा व रोजगार के लिए प्रेरित करती है।

गौड़

भौतिक विशेषता : जलवायु , वनस्पति , जीव-जन्तु
जलवायु : उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु तापमान 15-30 डिग्री सेल्सियस वर्षा 100-20 वायु दाब ग्रीष्म में कम।
शीत काल में अधिक वायुदाब रहता है।
वनस्पति : अर्द्ध पतझड़ वन
जीव-जन्तु : हिरण , भैंस , गाय , भेड़ , बकरी , भेड़िया आदि।
क्षेत्र : ओड़िसा , पश्चिमी बंगाल , छतीसगढ़ , झारखंड।
अर्थव्यवस्था : इनकी अर्थव्यवस्था आखेट , शिकार व संग्रहण से होती है।  इनके यह भिन्न वर्ण के लोग को अलग अलग काम दिया जाता है।  यह समूह में काम करते है।
आवास : यह मिटटी से बने घरो में रहते है और बॉस , छपर , रस्सी से भी घर बनाते है।
जिसके पास अधिक पूंजी होती है वह पक्का मकान बनाकर भी रहता है।
सामाजिक स्थिति : इस जनजाति में पुरुष प्रधान है।  स्त्री घर की देखरेख करती है और बच्चो का पालन-पोषण करती है।
वर्तमान स्थिति : इसके क्षेत्र के जो मंत्री है वह इस जनजाति को शिक्षा और रोजगार आदि में सचेत करवाते है।