कार्बनिक बहुलक और अकार्बनिक बहुलक organic and inorganic polymers in hindi differences

(organic and inorganic polymers in hindi differences) कार्बनिक बहुलक और अकार्बनिक बहुलक में क्या अंतर है ? कार्बनिक व अकार्बनिक बहुलकों की परिभाषा किसे कहते है ?

सामान्य और सरल संरचना वाली कई इकाइयों के परस्पर संयोग से बने विशाल अणुओं को बहुलक कहा जाता है। अवयवी इकाइयों की प्रकृति के हिसाब से बहुलक दो प्रकार के होते है –

  1. कार्बनिक बहुलक (organic polymers): जब किसी बहुलक में पुनरावृत्ति करने वाली इकाई के रूप में सरल कार्बनिक अणु होते है तो उन्हें कार्बनिक बहुलक कहते है। इनकी केन्द्रीय श्रृंखला अथवा रीढ़ प्रमुखत: कार्बनिक परमाणुओं से निर्मित होती है। उदाहरण के लिए पी.वि.सी. जिसका उपयोग बरसाती कोट , हैण्ड बैग , खिलौने , पर्दे के कपडे , फर्श की पॉलिश करने में और बिजली के तारों और अन्य उपकरणों को विद्युतरोधी करने में किया जाता है , इसकी संरचना निम्नलिखित होती है –
  2. अकार्बनिक बहुलक (Inorganic polymers): जब किसी बहुलक में पुनरावृत्ति करने वाली इकाई का मुख्य तत्व कार्बन के अतिरिक्त कोई अन्य तत्व हो तो इनकी केन्द्रीय श्रृंखला अथवा रीढ़ में जो प्रमुख तत्व होता है वह कार्बन के अतिरिक्त कोई अन्य तत्व होता है। ये तत्व सामान्यतया नाइट्रोजन , फास्फोरस , सिलिकोन , सल्फर , ऑक्सीजन आदि होते है। ऐसे बहुलकों को अकार्बनिक बहुलक कहते है। अकार्बनिक बहुलकों को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –

“यदि कार्बन के अतिरिक्त अन्य तत्वों के परमाणुओं से बनी हुई असंख्य इकाइयाँ परस्पर सहसंयोजक बन्धो द्वारा जुड़कर एक ऐसा वृहत अणु बनाये जो पिघलने पर या विलयन बनाने पर भी वृहत अणु के रूप में बना रहे तो ऐसे वृहत अणुओं को अकार्बनिक बहुलक कहा जाता है।  ”

अकार्बनिक बहुलकों के प्रकार (types of inorganic polymers)

अकार्बनिक बहुलकों का कई प्रकार से वर्गीकरण किया गया है। विभिन्न प्रकारों के वर्गीकरण के आधार पर अकार्बनिक बहुलक कई प्रकार के हो सकते है जो निम्नलिखित प्रकार से है –

  1. समपरमाण्विक (homoatomic): यदि बहुलक श्रृंखला के मेरुदण्ड में केवल एक ही प्रकार के परमाणु विद्यमान हो तो ऐसे बहुलक को समपरमाण्विक बहुलक कहा जाता है। उदाहरणार्थ , बहुलकीय गंधक , बहुलक सेलीनियम , बहुलक टेलुरियम और काले फास्फोरस में क्रमशः S-S बंध , Se-Se बंध , Te-Te बंध और P-P बंध द्वारा कई परमाणु रेखीय क्रम में परस्पर जुड़े रहते है। इनके अतिरिक्त धातुओं के बोराइड , सिलीसाइड और फास्फाइड भी M-M बंधयुक्त बहुलकीय संरचना वाले यौगिक होते है। हाइड्रोजन पोलीसल्फाइड H2Sxभी एक ऐसा समपरमाणुक रेखीय बहुलक है जिसके दोनों सिरों पर हाइड्रोजन परमाणु होते है तथा मध्य में S-S बन्धयुक्त रेखीय श्रृंखला होती है। हाइड्रोजन पोलीसल्फाइड के इन सिरे वाले हाइड्रोजन परमाणुओं को हैलोजन या सल्फोनिक अम्ल समूह द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है। S-Sएकल बंध के घूर्णन द्वारा ये यौगिक सिस और ट्रांस समावयवता भी दर्शाते है।

उदाहरण : H2S6O6 की दो समावयवी संरचनाओं में पाया जाता है।

तत्व बोरोन की संरचना को भी बहुलकीय माना जा सकता है जिसमे B-B बंध द्वारा 12 बोरोन के परमाणुओं द्वारा इकोसाहेड्रन संरचनायें बनाती है जो परस्पर α त्रिकोणीय रूप में व्यवस्थित होते है।

बोरोन के धातुओं के साथ बने हुए धात्विक बोराइडो में भी B-B बंध होता है। उदाहरण : धात्विक बोराइड।

MB6 में अष्टफलकीय आकृति में व्यवस्थित 6 बोरोन के परमाणुओं की B-B बंधयुक्त इकाइयां होती है। ये B6 इकाइयां धात्विक परमाणु के साथ कायकेन्द्रित घनीय संरचना के रूप में व्यवस्थित होती है।

2. विषम परमाण्विक (heteroatomic polymers)

यदि बहुलक श्रृंखला के मेरुदण्ड में एक से अधिक प्रकार के परमाणु विद्यमान हो तो ऐसे बहुलक को विषम परमाणुक अथवा विषम श्रृंखलायुक्त बहुलक कहते है।

उदाहरण : बहुलकीय मरक्यूरिक ऑक्साइड की संरचना को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है जिसमे श्रृंखला का मेरुदण्ड एकांतर क्रम में मर्करी और ऑक्सीजन परमाणुओं के जुड़ने से बनता है।

त्रिविमीय आकाश में बहुलक की संरचना और बहुलक के अवयवी परमाणुओं की संयुक्तता के इस आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकारों में किया गया है –

  1. रेखीय बहुलक: इन बहुलकों में श्रृंखला केन्द्रीय परमाणु की संयुक्तता दो होती है तथा वह दोनों तरफ समान या असमान परमाणुओं द्वारा जुड़ा रहता है। ये श्रृंखलायें छडनुमा सीधी सरल संरचना में भी विद्यमान हो सकती है , उदाहरण : [Ag(CN)]nया टेढ़ी मेढ़ी हो सकती है।
  2. द्विविमीय चद्दरनुमा बहुलक: इस प्रकार के बहुलक में मुख्य केन्द्रीय परमाणु की संयुक्तता तीन होती है। ये परमाणु परस्पर किसी विषम परमाणु (सामान्यतया ऑक्सीजन परमाणु) के द्वारा जुड़कर एक द्विविमीय चद्दरनुमा संरचना बना लेते है। बहुलकीय बोरिक ऑक्साइड (B2O3)nइसका एक सरलतम उदाहरण है जिसमे BO3 इकाइयाँ परस्पर ऑक्सीजन परमाणुओं के साझे से जुडी रहती है।
  3. त्रिविमीय जालयुक्त बहुलक: इस प्रकार के बहुलकों में केन्द्रीय परमाणु की संयुक्तता चार होती है। चतुष्फलकीय आकार में केन्द्रीय परमाणु किसी अन्य परमाणु (साधारणतया ऑक्सीजन) के द्वारा परस्पर जुड़कर एक जालनुमा संरचना बनाते है।

उदाहरण : सिलिका (SiO2)n की जालयुक्त संरचना में चतुष्फलकीय SiO4 इकाइयां परस्पर ऑक्सीजन परमाणुओं का साझा करती है।

  1. क्रोस बंध बहुलक: इस प्रकार के बहुलकों में विभिन्न चद्दरनुमा संरचनायें परस्पर क्रॉस बन्धो द्वारा जुड़कर कठोर और मजबूत त्रिविमीय संरचनाओं का निर्माण करती है। इसके उदाहरणों में पोलीफास्फोरिक अम्ल और सोडियम सिलिकेट का उल्लेख किया जा सकता है। इन दोनों में क्रॉस बंध का घनत्व क्रमशः 0.5 और 0.667 होता है।
  2. मिश्रित संयुक्त्तता वाले जालक बहुलक: इस प्रकार के बहुलकों में दो प्रकार के केन्द्रीय परमाणु होते है जिनकी संयुक्तता अलग अलग होती है। उदाहरण : सिलिकन डाइफास्फेट बहुलक में केन्द्रीय परमाणु सिलिकन और फास्फोरस होते है।

जिनकी संयुक्तता क्रमशः 6 और 4 होती है। प्रत्येक सिलिकन परमाणु छ: ऑक्सीजन परमाणुओं के साथ बंधा रहता है जबकि प्रत्येक फास्फोरस परमाणु चार ऑक्सीजन परमाणु के साथ जुड़ा रहता है। वृहत अणु में एक सिलिका और दो फास्फेट इकाइयों की पुनरावृत्ति होती है तथा एक अत्यंत ही मजबूत और स्थायी जालक संरचना बनती है।

इनके अतिरिक्त कुछ अन्य प्रकार के अकार्बनिक बहुलक निम्नलिखित है –

  1. कार्बतात्विक बहुलक (organo elemental polymers): ये बहुलक कार्बनिक बहुलक और अकार्बनिक बहुलकों के मध्यवर्ती होते है , अत: इन्हें कार्बनिक और अकार्बनिक बहुलकों के मध्य के सेतु बहुलक कहा जा सकता है। इनमें मुख्य श्रृंखला अथवा मेरुदंड कार्बन के अतिरिक्त किन्ही अन्य तत्व परमाणुओं द्वारा निर्मित होता है , जबकि उससे जुड़े हुए समूह कार्बनिक समूह होते है। उदाहरण : पोलीसिलोक्सेन , पोलीऐलुमोक्सेन और पोलीटाइटेनोक्सेन की संरचना।
  2. उपसहसंयोजक बहुलक (coordination polymer): इन बहुलकों में पुनरावृत्ति करने वाली प्रत्येक इकाई में कम से कम एक उपसहसंयोजक बंध अवश्य होता है। उपसहसंयोजक बंध धातु परमाणु के साथ बनता है। यह धातु परमाणु अधिकांशत: मेरुदंड में होता है। धातु परमाणु की उपसहसंयोजन संख्या का मान 4 या अधिक होने की स्थिति में ये बहुलक संकुल यौगिकों की भांति समावयवता भी प्रदर्शित करते है।

धातु की उपसहसंयोजक संख्या 2 की स्थिति में सरल रेखीय बहुलक बनते है। यदि उसमें असंतृप्त एल्काइन समूह हो तो विपरीत बंधी π कक्षकों के साथ dπ-pπ प्रकार के पश्च बंधन भी बनते है। उदाहरण : (R-C≡C-Cu)n या (R-C≡-Ag)n प्रकार के बहुलकों की संरचना।

उपसहसंयोजन संख्या 3 वाले बहुलक सामान्यतया कम होते है। इनमें सर्पिलाकार श्रृंखलानुमा बहुलकीय संरचना बनती है। उदाहरण : ट्राइसायनों एथिल फास्फिन निकल कार्बोनील बहुलक की संरचना।

उपसहसंयोजन संख्या 4 वाले बहुलक त्रिविम समावयवता प्रदर्शित करते है।

धातु की उपसहसंयोजन संख्या 6 में (TiCl3)n का उदाहरण लिया जा सकता है।

  1. इलेक्ट्रॉन न्यून बहुलक (electron deficient polymer): जब केन्द्रीय परमाणु का अष्टक पूर्ण नहीं होता तो ऐसे बहुलक अपचायक पदार्थों द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर सकते है , अत: इन बहुलकों को इलेक्ट्रॉन न्यून बहुलक कहा जाता है। Li , Be , B , Mg , Alऔर Zn आदि तत्व इलेक्ट्रॉन न्यून बहुलक बनाते है। उदाहरणार्थ डाइमेथिल बेरिलियम बहुलक [(CH3)2Be]n की संरचना रेखीय बहुलक श्रृंखला के रूप में होती है जिनमें मैथिल समूह सेतु समूह के रूप में जुड़ते है तथा तीन केंद्र – दो इलेक्ट्रॉन (3C-2C) प्रकार के बंध बनाते है। इसमें बेरिलियम के चारों बंध 3C-2C बंध है अत: यह एक इलेक्ट्रॉन न्यून बहुलक है।
  2. बहुधनायन और बहुऋणायन (polycations and polyanions): कई धनायन और ऋण आयन परस्पर हाइड्रोक्सी और ओक्सो (M-O-M) सेतुओं द्वारा संघनित होकर सरल इकाइयों की पुनरावृत्ति वाले आयनों का निर्माण करते है ऐसे आयनों को बहुधनायन या बहुऋणायन कहा जाता है। उदाहरणार्थ क्रिस्टलीय जिर्कोनिल क्लोराइड में जिर्कोनियम वस्तुतः निम्न प्रकार के चक्रीय बहुधनायन के रूप में होता है।

कार्बनिक बहुलकों के साथ तुलना

कार्बनिक बहुलकों में प्रमुख रूप से कार्बन परमाणु युक्त मेरुदण्ड होता है , जबकि अकार्बनिक बहुलकों में कार्बन के अतिरिक्त अन्य तत्वों का मेरुदण्ड होता है। इस मूल पारिभाषिक अंतर के अतिरिक्त भी कार्बनिक और अकार्बनिक बहुलकों में बहुत अंतर होता है जिसका तुलनात्मक अध्ययन निम्नलिखित प्रकार है –

  1. कार्बनिक बहुलक सामान्यतया कार्बन श्रृंखलायुक्त रेखीय बहुलक होते है जबकि अकार्बनिक बहुलकों में कार्बन के अतिरिक्त अन्य तत्वों के अधिकांशत: क्रॉस बंध होते है।
  2. कार्बन की उच्च श्रृंखला की प्रवृत्ति के कारण कार्बनिक बहुलकों में अधिकांशत प्रबल C-C बंध पाए जाते है इसके अतिरिक्त इनमें C-O , C-N बंध और S-S क्रॉस बंध हो सकते है। इसके विपरीत अकार्बनिक बहुलकों गंधक (S-S) के अतिरिक्त समान परमाणुओं के मध्य सहसंयोजक बंध वाले बहुलक कम ही होते है। अकार्बनिक बहुलकों में अधिकांशत: विषम परमाणुओं के मध्य सहसंयोजक बंध पाया जाता है।
  3. कार्बनिक बहुलकों में सामान्यतया केवल सहसंयोजक बंध ही पाए जाते है जबकि अकार्बनिक बहुलकों में उपसहसंयोजक बंध भी पाए जाते है।
  4. कार्बनिक बहुलक सामान्यतया उदासीन अणुओं के रूप में होते है जबकि अकार्बनिक बहुलक उदासीन अणु , धनायन या ऋण आयन तीनों प्रकार के रूपों में पाए जाते है।
  5. कई प्राकृतिक और संश्लेषित कार्बनिक बहुलकों में रेखीय श्रृंखलाओं के मध्य हाइड्रोजन बंध के क्रॉस बंध होते है , लेकिन अकार्बनिक बहुलकों में इस प्रकार के बंधन नहीं पाए जाते।
  6. मुख्य तत्व कार्बन होने के कारण कार्बनिक बहुलक सामान्यतया ज्वलनशील होते है जबकि अकार्बनिक बहुलक सल्फर अपवाद को छोड़कर सामान्यतया ज्वलनशील नहीं होते।
  7. कार्बनिक बहुलक सामान्यतया किसी न किसी विलायक में विलयशील होते है जिससे इनके तनु विलयन बनाकर अणुसंख्य गुणों के आधार पर इनके आण्विक द्रव्यमानों को ज्ञात किया जा सकता है। इसके विपरीत अकार्बनिक बहुलकों की अविलेयता के कारण इनके आण्विक द्रव्यमानों को ज्ञात नहीं किया जा सकता है।
  8. कार्बनिक बहुलक सामान्यतया रेशेदार या मुलायम होते है या गर्म करने पर मुलायम हो जाते है या बनते समय मुलायम होते है। इनके विपरीत , अकार्बनिक बहुलक सामान्यतया अत्यंत कठोर और भंगुर होते है।
  9. कार्बनिक बहुलकों की तुलना में अकार्बनिक बहुलक अधिक मजबूत होते है।
  10. कार्बनिक बहुलक अधिकांशत लम्बे रेखीय बहुलक होते है जबकि अकार्बनिक बहुलक अधिकांशत: अत्यधिक क्रॉस बन्धयुक्त जालक संरचनाएं होती है।
  11. कार्बनिक बहुलकों के गलनांक या मुलायम होने वाले ताप का मान अधिक नहीं होता जबकि अकार्बनिक बहुलकों के लिए इस ताप का मान अत्यंत उच्च होता है।

संक्षेप में , इस तुलना को निम्नलिखित प्रकार से सारणीबद्ध किया जा सकता है –

कार्बनिक और अकार्बनिक बहुलकों की तुलना :-

गुण कार्बनिक बहुलक अकार्बनिक बहुलक
1.       मेरुदंड C-C बंधयुक्त C-C के अतिरिक्त किसी अन्य तत्व M-M बंधयुक्त
2.       ढांचा अधिकांशत: रेखीय क्रॉस बंधयुक्त
3.       बंधन अधिकांशत: C-C बंधयुक्त अधिकांशत: M-X बंधयुक्त विषम परमाणुक
4.       बन्ध की प्रकृति केवल सहसंयोजक सहसंयोजक और उपसहसंयोजक दोनों
5.       कणों की प्रकृति सामान्यतया उदासीन अणु उदासीन अणु , धनायन या ऋणायन
6.       व्यवहार सामान्यतया ज्वलनशील बहुलक सल्फर जैसे अपवादों के अतिरिक्त सामान्यतया अज्वलनशील
7.       H-बंध अधिकांशत: H-बंध द्वारा क्रॉस बन्धन H-बन्ध का आभाव
8.       विलेयता सामान्यतया किसी न किसी विलायक में विलयशील सामान्यतया अविलेय
9.       प्रकृति रेशेदार और मुलायम कठोर और भंगुर
10.    मजबूती कम अधिक
11.    गलनांक कम अधिक