(noise meaning in hindi) शोर की परिभाषा क्या है , शोर किसे कहते है ? शोर की तीव्रता मापने वाला यंत्र कौनसा होता है ?
विश्व स्वास्थ्य सेवा संगठन के अनुसार अवांछित एवं अप्रिय आवाज को ही शोर कहते है। कोई भी ध्वनि जब मानसिक क्रियाओं में बाधा उत्पन्न करने लगती है तो वह शोर के अंतर्गत ही आती है।
शोर की तीव्रता मापने वाला यंत्र “लार्म बैरोमीटर” कहलाता है। जबकि आवाज की तीव्रता मापने की इकाई “डेसिबल ” कहलाती है।
अर्थात शोर को नापने के लिए लार्म बैरोमीटर यंत्र काम में लिया जाता है तथा शोर की तीव्रता की इकाई डेसीबल होती है।
साधारणतया 50 डीबी की ध्वनि कानों को बुरी नहीं लगती लेकिन 95 डीबी की ध्वनि को तेज माना जाता है। विशेषज्ञों की राय है कि 85 डीबी से ऊपर की ध्वनि में अधिक समय तक रहने से मनुष्य में श्रवण दोष हो सकता है जबकि 130 डीबी से अधिक की ध्वनी तमाम सुरक्षा के बावजूद घातक हो सकती है।
शोर के प्रमुख स्रोत
- विमानों से शोर
- कारखानों के कारण शोर
- सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों से शोर
- पाश्चात्य संगीत से शोर
- लाउडस्पीकरों के अनावश्यक प्रयोगों के कारण शोर
शोर प्रदूषण के प्रभाव
- कानों पर प्रतिकूल प्रभाव
- मानसिक रोगों का कारण
- उच्च रक्तचाप और ह्रदय रोग
- जरण पर
- गर्भस्थ शिशुओं पर
शोर प्रदूषण निवारण के उपाय
- कारखानों में होने वाले शोर को कम अथवा नियंत्रित करके।
- हवाई अड्डो , रेलवे स्टेशनों और कारखानों का निर्माण बस्तियों से दूर करके।
- सडक के दोनों किनारों पर और रेलवे लाइन के दोनों ओर पेड़ लगाकर।
- सार्वजनिक स्थानों पर और रात्री में लाउडस्पीकरों के प्रयोग को निषिद्ध करके।
- ध्वनि प्रदूषण की दिशा में जनचेतना जागृत कर।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1 : शोर प्रदूषण मापा जाता है –
(1) हर्ट्स में
(2) नैनोमीटर में
(3) डेसीबल में
(4) इनमे से किसी से नहीं
उत्तर : (3) डेसीबल में