देशांतरण किसे कहते है | definition longitude in sociology in hindi समाजशास्त्र में देशांतरण क्या है

समाजशास्त्र में देशांतरण क्या है definition longitude in sociology in hindi देशांतरण किसे कहते है ?

उद्देश्य
इस इकाई में हमारा ध्यान देशांतरण पर जनसांख्यिकी प्रक्रिया और समाज में सामाजिक परिवर्तन के रूप में है । इस इकाई के अध्ययन के बाद आप:
ऽ देशांतरण को व्याख्यायित कर सकेंगे;
ऽ सामाजिक परिवर्तन के कारक के रूप में देशांतरण के महत्व का परीक्षण कर सकेंगे;
ऽ देशांतरण के विभिन्न कारणों को स्पष्ट कर सकेंगे;
ऽ ऐसे देशांतरण के परिणामों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में चर्चा कर सकेंगे; और
ऽ देशांतरण नीति का विश्लेषण कर सकेंगे ।

प्रस्तावना
देशांतरण की परिभाषा सामान्यतया लोगों के सामान्य निवास स्थान के भौगोलिक परिवर्तन के रूप में की जाती है। किंतु यह अस्थायी और कम दूरी की गति से पृथक है। देशांतरण आन्तिरक (राष्ट्रीय सीमान्तर्गत) या अंतर्राष्ट्रीय (अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार) हो सकता है । भाग 5.4 में देशांतरण के सामाजिक औचित्य और परिभाषा ओर संकल्पना की चर्चा के बाद हम सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, राजनीति और धार्मिक संदर्भ में देशांतरण के मुख्य निर्धारक कारकों की चर्चा करेंगे । देशांतरण के प्रकार यथा – ग्रामीण और शहरी, साथ ही साथ स्वैच्छिक और अस्वैच्छिक को भाग 5.5 में व्याख्यायित किया गया है। जब लोग राष्ट्रीय सीमा के अंतर्गत अथवा राष्ट्रीय सीमा के पार गतिमान होते हैं, तो क्या परिणाम सामने आते हैं, की चर्चा भाग 5.6 में की गई है और भाग 5.7 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर प्रकाश डालता है। इस इकाई के भाग 5.8 में देशांतरण को प्रभावित करते राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों और देशांतरण की भविष्य की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला गया है।

 देशांतरण: औचित्य, संकल्पना, स्वरूप और गुण
इस इकाई में आपको देशांतरण के समाजशास्त्रीय औचित्य और गुणों के विभिन्न आयामों से परिचित कराया जाएगा । आइए, इसके औचित्य से आरंभ करें ।

समाजशास्त्रीय औचित्य
देशांतरण जनसंख्या परिवर्तन का तीसरा घटक है, अन्य दो घटक हैं – मृत्यु दर और प्रजनन क्षमता, जिसका हमने इस खंड की इकाई 4 में अध्ययन किया है । तथापि, देशांतरण दो अन्य प्रक्रियाओं – मृत्यु दर और प्रजनन क्षमता से इस अर्थ में पृथक है कि उपर्युक्त दोनों की तरह यह जैविक कारक नहीं है, जो जैविक रूपरेखा के अंतर्गत क्रियाशील होता हो, यद्यपि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारकों से प्रभावित होता है । देशांतरण प्रभावित लोगों की इच्छा से प्रभावित होता है । सामान्यतः प्रत्येक देशांतरण की गतिविधि तय की जाती है, अपवाद की स्थिति में ऐसा नहीं भी हो सकता है। अतः देशांतरण मानव जीवन का आर्थिक, सामाजिक और जनसांख्यिकी पर्यावरणीय बलों के प्रति व्यक्त संवेदना है ।

देशांतरण का अध्ययन जनसंख्या अध्ययनों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि प्रजनन क्षमता और मृत्यु दर के साथ यह जनसंख्या वृद्धि के आकार और दर को निर्धारित करता है साथ ही उसकी संरचना और गुणों का निर्धारण भी करता है। देशांतरण किसी देश की जनसंख्या वितरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और किसी क्षेत्र के श्रम-शक्ति विकास को निर्धारित करता है । इस प्रकार, देशांतरण समाज में सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण लक्षण है।

 संकल्पनाएँ
सामान्य जन की भाषा में ‘‘देशांतरण‘‘ शब्द लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने को कहते हैं। जनसांख्यिकी शब्दकोश के अनुसार, ‘‘देशांतरण भौतिक गत्यात्मकता या एक भौगोलिक इकाई से दूसरे के मध्य स्थानिक गत्यात्मकता है । सामान्यतया इसमें उत्पत्ति या जन्म स्थान से आवास परिवर्तित होकर गंतव्य स्थान में चला जाता है।‘‘ इस प्रकार के देशांतरण को स्थाई देशांतरण कहते हैं और इसे अन्य प्रकार की गतियों, जिसमें आवास का स्थाई परिवर्तन नहीं होता है, इसे पृथक रखना चाहिए । एवरेस्ट ली, एक सुविख्यात जनसांख्यिकीविद् देशांतरण को विस्तृत रूप से ‘‘स्थायी या अर्धस्थायी आवास परिवर्तन‘‘ के रूप में परिभाषित करते हैं । गति की दूरी या स्वैच्छिक, अस्वैच्छिक प्रकृति पर कोई बंधन नहीं दिया गया है । इसेन्सटाड्स के अनुसार, देशांतरण इंगित करता है ‘‘किसी व्यक्ति या समूह के एक समाज से दूसरे समाज में भौतिक संक्रमण को। यह संक्रमण सामान्यतया एक सामाजिक परिवेश का परित्याग कर दूसरे को ग्रहण करने की प्रक्रिया को समाहित करता है‘‘। मंगलम भी अपनी परिभाषा में लोगों के स्थायी विस्थापन पर दबाव देते हैं और देशांतरण को अपेक्षाकृत, लोगों के एक समूह द्वारा जिन्हें देशांतरित कहा जाता है, एक भौगोलिक स्थान से दूसरे में, स्थायी रूप से जाने को कहते हैं। यह देशांतरितों के निर्णय द्वारा गतिमान होता है। वे दो तुलनात्मक परिस्थितियों में मूल्यों के समुच्चयों का मापन और विचार करते हैं जो देशांतरितों के अंतःक्रियात्मक पद्धति में परिवर्तन का कारक होता है। छुट्टियों में घूमने जाना और नाविकों का पेशा इसमें समाहित नहीं है। मेहता ने राजस्थान के अपने अध्ययन में देशांतरण को गति की क्रिया या स्थानिक गत्यात्मकता के रूप में चित्रित किया है।

इन सभी परिभाषाओं की समीक्षा यह इंगित करती है कि लगभग सभी विद्वानों ने समय और स्थान पर जोर दिया है और देशांतरण को स्थायी या अर्धस्थायी, एक स्थान से दूसरे स्थान को, गति के रूप में देखा है । संक्षेप में, जब कोई व्यक्ति अपना जन्म स्थान छोड़कर शहरी क्षेत्रों में आता है, कोई रोजगार शुरू करता है और वहाँ रहने लगता है, तो वह देशांतरण के रूप में जाना जाता है और क्रिया को देशांतरण कहा जाता है।

स्वरूप
लोग देश के विभिन्न राज्यों में या राज्य के विभिन्न जिलों में या विभिन्न देशों में जा सकते हैं। अतः, आंतरिक और बाह्य देशांतरण के लिए भिन्न पदों का उपयोग किया जाता है । आंतरिक देशांतरण एक ही देश में एक स्थान से दूसरे स्थान में गमन को इंगित करता है, जबकि बाह्य देशांतरण या अंतर्राष्ट्रीय देशांतरण एक देश से दूसरे देश में गमन को इंगित करता है ।

क) आप्रवासन और उत्प्रवासनः ‘‘आप्रवासन‘‘ किसी दूसरे देश में देशांतरण को कहते हैं और ‘‘उत्प्रवासन‘‘ देशान्तरगमन को । ये पद मात्र अंतर्राष्ट्रीय देशांतरण के संदर्भ में प्रयुक्त होते हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमरीका या कनाडा में बस जाने के उद्देश्य से भारत छोड़ते देशांतरण संयुक्त राज्य अमरीका या कनाडा के आप्रवासी और भारत के उत्प्रवासी हुए।

ख) अंतःप्रवासन और बाह्य देशांतरणः ये पद सिर्फ आंतरिक देशांतरण में प्रयुक्त होते हैं । ‘‘अंतःदेशांतरण‘‘ किसी खास क्षेत्र में देशांतरण को इंगित करता है । इस प्रकार, बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए बाह्य देशांतरित हुए । पद ‘‘अंतः देशांतरण‘‘ देशांतरणों के गंतव्य क्षेत्र के संदर्भ में प्रयुक्त होता है और ‘‘बाह्य देशांतरण‘‘ देशांतरितों के जन्म स्थान या प्रस्थान के क्षेत्र के संदर्भ में ।
देशांतरण के मुख्य रूपों को मानचित्र के आकार में प्रदर्शित किया जा सकता है –
मानचित्र 1
देशांतरण

आंतरिक बाह्य

अंतःदेशांतरण बाह्य देशांतरण आप्रवासन उत्प्रवासन

किसी देश में आंतरिक देशांतरण के तीन महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं । ये हैं – राष्ट्रीय जनगणना, जनसंख्या बही और सैम्पल सर्वेक्षण। भारत में आंतरिक देशांतरण से संबंधित आँकड़ों के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं- राष्ट्रीय जनगणना और सैम्पल सर्वेक्षण ।

ग) भारत में आंतरिक देशांतरण के स्वरूप
भारत में देशांतरण से संबंधित सूचना समग्र रूप में और इसके विभिन्न भागों के लिए जनगणना के द्वारा प्राप्त किया जाता है । हाल के जनगणना आँकड़ों में बेहतर और सूक्ष्म प्रश्न पूछे गए हैं । वे देशांतरण पर हो रहे अध्ययनों में सुधार को दर्शाते हैं।

भारतीय जनगणना 1872 के बाद से जन्म स्थान से देशांतरण की धाराओं की गणना प्रस्तुत करते हैं । तथापि, 1961 में जन्म स्थान ग्रामीण और शहरी रूपों में विभाजित था और स्थान देशांतरण के चार वर्ग; (प) जन्म स्थान के जिले के अंतर्गत, (पप) जिले के बाहर किंतु जन्मे राज्य के अंतर्गत, (पपप) जन्म राज्य के बाहर यथा – अंतर्राज्यीय, और (पअ) देश के बाहर भी विभाजित थे । 1971 की जनगणना ने अंतिम आवास स्थान और 1981 की जनगणना ने देशांतरण के कारणों, जैसे प्रश्नों का समावेश कर इनके आँकड़ों को परिभाषित किया।

भारत में देशांतरितों को चार देशांतरण धाराओं — ग्रामीण से ग्रामीण, ग्रामीण से शहरी, शहरी से शहरी और शहरी से ग्रामीण में वर्गीकृत किया गया है। 1961 से ग्रामीण से ग्रामीण देशांतरण मुख्य देशांतरण धारा रही है । समय के साथ ग्रामीण से शहरी और शहरी से शहरी देशांतरण में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होती रही है । अन्य महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि ग्रामीण से ग्रामीण देशांतरण में स्त्रियों के अनुपात कहीं ज्यादा है, जबकि अन्य तीन धाराओं में पुरुषों का अनुपात ज्यादा है। यह किस प्रकार संभव होता है। औरतों का आवास उनके विवाह के बाद परिवर्तित हो जाता है और नया स्थान पड़ोस में, जिले में हो सकता है ।

समय-समय पर शोधकर्ताओं ने स्थान, काल, आयतन और दिशा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रकार के देशांतरण सुझाए हैं । स्थान के आधार पर आंतरिक देशांतरण की चार महत्वपूर्ण धाराएँ हैं । ये हैंः
प) ग्रामीण से ग्रामीण,
पप) ग्रामीण से शहरी,
पपप) शहरी से शहरी,
पअ) शहरी से ग्रामीण।

भारतीय जनगणना यह चार प्रकार का वर्गीकरण दर्शाती है। तथापि, कतिपय विकसित और अत्यधिक शहरीकरणयुक्त देशों में भी नगरों से उपनगर की ओर देशांतरण होता है ।

इन देशांतरण धाराओं का सापेक्षिक आकार और महत्व भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न हो सकता है । कतिपय देशों में ग्रामीण से ग्रामीण देशांतरण ही मुख्य देशांतरण प्रकार है, जबकि दूसरे में यह ग्रामीण से शहरी है और कई अन्य में देशांतरितों का सबसे बड़ा अनुपात शहरी से शहरी का पाया जाता है । भारत में, यथापूर्व में स्पष्ट किया गया है, 1961, 1971, 1991 और 2001 की जनगणना में ग्रामीण से ग्रामीण देशांतरण ही मुख्य देशांतरण धारा थी। तथापि, समय के परिवर्तन के साथ ग्रामीण से शहरी देशांतरण के अनुपात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई और यह वृद्धि 1960 के दशक की अपेक्षा 1970, 1980 और 1990 के दशकों में कहीं ज्यादा हुई । देश में प्रमुख रूप से जो देशांतरण हुआ वह ग्रामीण से ग्रामीण था। गांव से शहर की ओर देशांतरण हुआ और इसमें अन्य सभी धाराओं में (ग्रामीण से शहरी, शहरी से शहरी और शहरी से ग्रामीण) पुरुषों का वर्चस्व रहा है, यद्यपि, यह ग्रामीण से शहरी धाराओं में कहीं ज्यादा रहा है। ग्रामीण से शहरी देशांतरण में पुरुषों के वर्चस्व का कारण देश के अन्य भागों का कृषि क्षेत्र में विकसित होना हो सकता है । खास राज्यों और नगरों में उद्योगों का विकास ग्रामीण से शहरी देशांतरण व दूसरा महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। ग्रामीण से ग्रामीण देशांतरण में मुख्यतया औरतों का वर्चस्व रहा है । स्त्री देशांतरण मुख्य रूप से विवाह के क्रम में हुआ है, क्योंकि हिन्दू प्रथा के अनुसार दुल्हन दूसरे गाँव से लाई जाती हैं (ग्रामीण बहिर्विवाह) । राष्ट्रीय सैम्पल सर्वे के अनुसार 46 प्रतिशत से ज्यादा शहरी क्षेत्रों में देशांतरण भी विवाह के कारण होता है। प्रथम संतानोत्पत्ति के लिए दुल्हन का अपने माता-पिता के यहाँ जाने की प्रथा भी आंतरिक देशांतरण का महत्वपूर्ण कारण है।

समय पर आधारित वर्गीकरण ने देशांतरण को लंबी अभिसीमा देशांतरण और छोटी अभिसीमा या मौसमी देशांतरण के रूप में वर्गीकृत किया है । जब कोई लंबे समय के लिए जाता है तो इसे लंबी अभिसीमा देशांतरण कहा जाता है । वस्तुतः , जब एक प्रदेश ने दूसरे में जनसंख्या का स्थायी विस्थापन होता है, तो इसे स्थायी देशांतरण कहा जाता है । किंतु जब लोग अस्थायी कार्य केंद्र पर कुछ महीनों के लिए जाते हैं, और रहते हैं तो इसे आवधिक या मौसमी देशांतरण से अभिहित किया जाता है। उदाहरण के लिए, व्यस्त कृषि मौसम में अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है और आसपास के लोग मौसमी कार्य करने के लिए वहाँ पहुँच जाते हैं ।

इन दो प्रमुख प्रकारों के अतिरिक्त स्वैच्छिक या अस्वैच्छिक या बलपूर्वक कुशलता उत्सारण (जवान कुशल लोगों का देशांतरण) और शरणार्थियों और विस्थापितों का देशांतरण हो सकता है।

गुण
देशांतरितों और देशांतरण के कुछ महत्वपूर्ण गुण होते हैं । एक खास गुण है – देशांतरितों का उम्र सापेक्ष होना। सामान्यतया, युवक अधिक गतिशील होते हैं । अधिकांश देशांतरण अध्ययनों, खासकर विकासशील देशों में पाया गया है कि ग्रामीण-शहरी देशांतरित मुख्यतया नव वयस्क और अपेक्षाकृत सुशिक्षित लोग होते हैं वनिस्पत उनके जो जन्म स्थान पर रह जाते हैं । यह स्पष्ट है कि रोजगार के लिए देशांतरण अधिकांश युवक ही करते हैं। स्त्री देशांतरण का बड़ा भाग जो विवाह से संबंधित होता है, युवावस्था में ही होता है । इस प्रकार लोगों में वयःसंधि और तीस के मध्य (15-35) गतिशील होने की प्रवृत्ति होती है, वनिस्पत अन्य अवस्थाओं के।

अन्य महत्वपूर्ण गुण है कि देशांतरितों की प्रवृत्ति उन स्थानों में जाने की है, जहाँ पूर्व देशांतरण किए लोगों का संपर्क है जो एक कड़ी का निर्माण करता है और श्रृंखलाबद्ध देशांतरण के रूप में जाना जाता है । अनेकों अध्ययन यह प्रदर्शित करते हैं कि लोग आँखें मूंदकर नये स्थानों पर नहीं चले जाते हैं । अक्सर उनके देशांतरण के पीछे संबंधियों और मित्रों की कड़ी और नेटवर्क होता है जो विभिन्न तरीकों से उनकी मदद करते हैं । कतिपय स्थितियों में, देशांतरित न केवल समान गंतव्य का चयन करते हैं, अपितु वे समान पेशा भी करते हैं । उदाहरण के लिए शोध यह उजागर करता है कि जयपुर के खास होटलों में लगभग सभी नौकर कुमाऊँ के एक उप-प्रदेश के होते हैं । हरियाणा और पंजाब के कृषि मजदूर मुख्यतया बिहार और उत्तर प्रदेश के होते हैं ।

बोध प्रश्न 1
प) देशांतरण का समाजशास्त्रीय औचित्य क्या है ? लगभग छः पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
पप) देशांतरण को परिभाषित करने में किन महत्वपूर्ण परिवर्तियों का उपयोग किया गया है?
चार पंक्तियों में उत्तर दीजिए ।
पपप) निम्नांकित प्रकार के देशांतरणों को वर्गीकृत कीजिए:
क) केरल से खाड़ी देशों में
ख) केरल से दिल्ली को
ग) बिहार से वेस्ट इंडीज को
घ) बांग्लादेश से लोगों का भारत आने को
च) लोगों का कर्नाटक से राजस्थान आने को ।

 

सारांश
इस इकाई में हमने व्याख्यायित किया है कि देशांतरण, जो लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की क्रिया को समाहित करता है, एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकी क्रिया है जो किसी देश की जनसंख्या के स्थानिक वितरण को प्रभावित करता है । तब हमने उन कारकों पर प्रकाश डाला है, जो लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए प्रेरित करते हैं । इसी से संबंधित है गति के प्रकार जो लोग दिशा और गति की अवधि के संदर्भ में करते हैं, और ये गतियाँ स्वैच्छिक या अस्वैच्छिक हैं । तब हम देशांतरण के परिणामों पर आते हैं । दूसरे शब्दों में, उन जगहों, जहाँ से लोग चलते हैं और जहाँ पहुँचते हैं, का क्या परिणाम होता है। हमने शरणार्थियों और विस्थापितों द्वारा उत्पन्न की जाने वाली समस्याओं की चर्चा की है। अंत में, देशांतरण नीति पर प्रकाश डाला है ।

 शब्दावली
प्रजनन क्षमता: प्रजनन की जैविक संभावनाएँ।
देशांतरण: एक खास समय के लिए लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
मृत्यु दर: एक खास समय में यह किसी देश की मृत्यु का अनुपात है।

 कुछ उपयोगी पुस्तकें
सिन्हा और अताउल्ला, 11987, माइग्रेशन इन इंटरडिसीप्लीनरी एप्रोच, सीमा पब्लिशर्स, दिल्ली।
प्रेमी, एम.के 1980, अरबन आउट माइग्रेशनः ए स्टडी ऑफ इट्सनेचर एंड कंस्क्वेंसेज, स्टर्लिंग पब्लिशर्स, नई दिल्ली।

 बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 1
पद्ध देशांतरण मानव के परिवेश में कार्यरत आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जनसांख्यिकी बलों के प्रति संवेदना का परिणाम है । यह जनसंख्या वृद्धि के आकार और दर निर्धारित करता है, साथ ही साथ इसकी संरचना और गुणों और किसी क्षेत्र के श्रमिक बलों को भी निर्धारित करता है । यह सामाजिक परिवर्तन का महत्वपूर्ण लक्षण है।
पपद्ध विद्वान समय और स्थान पर एक महत्वपूर्ण परिवर्ती के रूप में बल देते हैं और देशांतरण को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थायी या अर्ध-स्थायी रूप से गति के रूप में परिभाषित करते हैं।
पपप) क) उत्प्रवासन,
ख) बाह्य-देशांतरण,
ग) आप्रवासन,
घ) अंतः देशांतरण।
बोध प्रश्न 3
प) चूँकि देशांतरण श्रम के उचित उपयोग के लिए प्रेरित करता है, अतः यह उस क्षेत्र के श्रमिकों को उत्पादकता को बढ़ाता है । यह प्रदेश देशांतरितों द्वारा लाए गए पैसों से आर्थिक रूप से लाभान्वित होता है। इसके कारण उपभोक्ता शिक्षा, उत्पादन की तकनीक के स्तर में वृद्धि होती है।
पप) अनेक स्थितियों में देशांतरण के कारण परिवार से लंबे समय के लिए पुरुष सदस्य बाहर रहते हैं। यह परिवार के विखंडन का कारण बन जाता है । इन परिस्थितियों में औरतें, बच्चे अक्सर अधिक भार वहन करते हैं । उन्हें पूर्व की अपेक्षा अधिक कार्य करना पड़ता है । अध्ययनों से यह स्पष्ट है कि हिस्टीरिया और कुण्ठा की समस्या केरल के प्राव्रजिक पुरुषों की स्त्रियों में बढ़ रही है ।
पपप) घ