संयुक्त उद्यम क्या है | हिंदी में संयुक्त उद्यम परिभाषा किसे कहते है Joint venture in hindi definition

Joint venture in hindi definition meaning संयुक्त उद्यम क्या है | हिंदी में संयुक्त उद्यम परिभाषा किसे कहते है अर्थ लाभ मतलब बताइए ?

परिभाषा : संयुक्त उद्यम :- संयुक्त उद्यम में, फर्म पृथक अस्तित्व, उद्यम फर्म, के माध्यम से सहमत लक्ष्यों (जैसे अनुसंधान और विकास, उत्पादन और विपणन) के अनुसरण के लिए एकजुट होती हैं, किंतु गठबंधन बनने के पश्चात् दोनों स्वतंत्र इकाइयों के रूप में रहते हैं।

ऐसा उद्यम जिसमे दो पार्टी आपस में मिलकर कोई एक विशेष व्यापार इकाई का निर्माण करते है ताकि एक विशेष लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके , इसे संयुक्त उद्यम कहते है |

व्यापार नीति और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा
औद्योगिक नीतियों की भाँति व्यापार नीतियाँ घरेलू फर्मों के लिए बाजार शक्ति के स्रोत हैं। प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियाँ अनिवार्य रूप से विदेशी फर्मों, जो तकनीकी दृष्टि से अधिक कुशल हो सकती हैं अथवा जिनके पास प्रस्तुत करने के लिए बेहतर उत्पाद श्रृंखला हो सकती है, से प्रतियोगिता को समाप्त कर सकती है। एक आयात कोटा, जो विदेशी फर्मों अथवा कोटा-लाइसेन्स धारकों को घरेलू बाजार में निर्धारित मात्रा से अधिक बिक्री करने की अनुमति नहीं देता है, एक विशिष्ट उदाहरण है। यह रेखाचित्र 2 में दर्शाया गया है।

मान लीजिए, व्यापार से पहले बाजार में सिर्फ एक घरेलू फर्म थी जो च्उ मूल्य ले रही थी। मान लीजिए विश्व बाजार पूर्ण प्रतियोगी है जिससे विश्व मूल्य विदेशी सीमान्त लागत ब’ के समतुल्य होता है जो घरेलू फर्म के सीमान्त लागत, ब से कम है। जब विदेशी फर्मों को इस बाजार में प्रवेश की अनुमति दी जाती है मूल्य p* = c* तक गिर जाता है, और घरेलू फर्म बंद हो जाती है। किंतु मान लीजिए एक आयात कोटा है जो वस्तु के केवल ä~D मात्रा को आयात की अनुमति देता है और घरेलू फर्म को पुनः शेष बाजार में जिसे जहाँ मांग-वक्र ä~ä~ द्वारा दर्शाया गया है, जो एकाधिकार की स्थिति का लाभ उठाने का मौका देता है, हालाँकि इसके लाभ में कुछ कमी आती है क्योंकि अब यह पहले से कम मूल्य Pm ले सकती है।

दूसरी ओर, यह आवश्यक नहीं है कि आयात टैरिफ के कारण एक घरेलू फर्म एकाधिकार बनाए रखे। यह आयात कोटे की तुलना में कम प्रतिबन्धात्मक है। इसका कारण यह है कि आयात के प्रति इकाई आयात टैरिफ में मात्र सीमान्त लागत से वृद्धि होती है जो c* $ t हो जाता है (रेखाचित्र 2) किंतु यह बिक्री की वस्तु की मात्रा को सीमित नहीं करता है। इसलिए घरेलू फर्म अधिक से अधिक c* $ t मूल्य ले सकती है। इससे ऊपर किसी भी मूल्य पर इसका निश्चयात्मक बाजार हिस्सा नहीं हो सकता है। निःसंदेह, c* $ t मूल्य लेकर घरेलू फर्म अभी भी निश्चयात्मक लाभ अर्जित कर सकती है किंतु यह निश्चित रूप से एकाधिकारी लाभ (व्यापार से पूर्व) से कम है जब कि टैरिफ बहुत अधिक नहीं हो ताकि c* $ t एकाधिकार मूल्य च्उ से अधिक हो जाए।

रणनीतिक समझौते, विलय और अधिग्रहण
जब कोई फर्म बाजार में प्रवेश करने का निर्णय लेती है, तो प्रवेश के तरीके का चयन अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इस तरह के चयन में अपना अनुषंगी स्थापित करना और विद्यमान फर्म के साथ कोई रणनीतिक समझौता (जैसे संयुक्त उद्यम) करने का विकल्प सम्मिलित है। कभी-कभी प्रवेशी विद्यमान फर्म के साथ विलय अथवा अधिग्रहण का विकल्प भी चुन सकता है। निःसंदेह, विद्यमान फर्म के सामने इसी प्रकार के चयन की समस्या रहती है जब प्रवेश अवरोध (स्वाभाविक, कृत्रिम अथवा रणनीतिक) या तो अनुपस्थित रहते हैं अथवा निष्प्रभावी रहते हैं: क्या प्रवेशी के साथ प्रतियोगिता की जाए अथवा रणनीतिक समझौता या विलय किया जाए। वस्तुतः, कभी-कभी रणनीतिक समझौता रणनीतिक अवरोधों जैसे सीमित मूल्य निर्धारण की अपेक्षा अधिक लाभप्रद हो सकता है।

रणनीतिक समझौता की परिभाषा मोटे-तौर पर दो या अधिक फर्मों के बीच संबंध के रूप में की जा सकती है। निःसंदेह इस तरह के समझौते में भागीदारी स्वैच्छिक होना चाहिए अर्थात् लाभप्रद होना चाहिए। इस तरह के समझौते में सबसे मुख्य संयुक्त उद्यम है, जिसमें फर्म एक पृथक् अस्तित्व, संयुक्त उद्यम फर्म, के माध्यम से सहमत लक्ष्यों (जैसे अनुसंधान और विकास, उत्पादन और विपणन) के अनुसरण में एकजुट होती हैं किंतु गठबंधन के गठन के पश्चात् दोनों स्वतंत्र इकाइयों के रूप में बनी रहती हैं। साझीदार फर्म समझौता से होने वाले लाभ में हिस्सेदारी करती हैं, और कुछ परस्पर सहमत रीति से निर्दिष्ट कार्यों के कार्यनिष्पादन पर नियंत्रण रखती हैं। फ्रेंचाइजिंग (विशेष बिक्री अधिकारों), पेटेंट और तकनीकी जानकारी लाइसेन्सिंग तथा तकनीकी प्रशिक्षण समझौते रणनीतिक समझौते के कुछ अन्य उदाहरण हैं।

रणनीतिक समझौतों के कुछ लाभ हैं। इसमें प्रतियोगिता कम करना, बड़ी मात्रा में उत्पादन के ऊपर उत्पादन की नियत लागत को बाँटकर कम औसत लागत प्राप्त करना और तकनीकी जानकारी के परस्पर आदान-प्रदान से प्रौद्योगिकीय तालमेल स्थापित करना। इन लाभों के अतिरिक्त, रणनीतिक समझौते बहुधा विदेशी फर्मों के प्रवेश के संबंध में स्थानीय सरकार की नीतियों का भी परिणाम होता है। कभी-कभी सरकारी नीतियों में खुले तौर पर विदेशी फर्मों के लिए कम से कम एक घरेलू साझीदार होना अथवा कम से कम उत्पाद के कुछ घटकों का स्थानीय तौर पर उत्पादन करना ही अपेक्षित रहता है।

रणनीतिक समझौते वे साधन हैं जिसके द्वारा एक फर्म प्रतियोगिता की अपेक्षा सहयोग से लाभ अर्जित करने की आशा करती है। किंतु इसके साथ ही, कई स्थितियों में समझौते से एकपक्षीय विपथन (Deviation) से लाभ होता है। उदाहरण के लिए रेखाचित्र 1 को फिर से देखिए, मान लीजिए एक बाजार में फर्म मूल्य के बारे में साँठ-गाँठ करती हैं जिसके द्वारा उनमें से सभी एकाधिकार मूल्य लेते हैं और तद्नुरूपी माँग को बराबर-बराबर बाँट लेती हैं। किंतु, यदि उनमें से कोई इस समझौते से विचलित होता है और एकाधिकार मूल्य से कुछ नीचे मूल्य वसूल करता है और उस मूल्य के तद्नुरूपी संपूर्ण माँग पर कब्जा कर लेता है, इससे उसका लाभ बढ़ता है (वास्तव में, यह एकाधिकारी लाभ के बिल्कुल निकट होता है)। अतएव, एक फर्म द्वारा धोखा दिया जाना उसके लिए लाभप्रद होता है। अन्य फर्मों के लिए भी इसी प्रकार का लाभ मौजूद रहता है। यह मानते हुए कि अन्य समझौते का पालन करेंगे, प्रत्येक जितनी जल्दी विपथित होगा, मूल्य प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाएगी और मूल्य गिरकर सीमान्त लागत के स्तर तक पहुँच जाएगा। ऐसे में समझौता समाप्त हो जाता है और प्रत्येक को हानि होती है।

इसलिए, रणनीतिक समझौते की कुंजी योजना को इस तरह से तैयार करना है कि समझौते में धोखा देने या इससे विचलित होने के कम से कम लाभ हों। आर्थिक सिद्धान्त यह है कि जब अनंत काल तक फर्मों के बीच बार-बार परस्पर क्रिया की संभावना है दंडात्मक रणनीतियाँ उदाहरणस्वरूप जैसे को तैसा रणनीति (जिसमें एक फर्म द्वारा धोखा दिए जाने पर दूसरों द्वारा असहयोग किया जाता है और सहयोग करने पर सभी का सहयोग मिलता है) और विमोचक (trigger strategy) रणनीति (जिसमें धोखाधड़ी को उसके बाद सदैव असहयोग द्वारा दण्डित किया जाता है) साझीदारों द्वारा सहयोग को सुनिश्चित कर सकता है और इस प्रकार रणनीतिक समझौता लम्बे समय तक चलता है।

संयुक्त उद्यमों की कुछ और समस्याएँ हैं। संयुक्त उद्यम इकाई पर साझीदार फर्मों के स्वामित्व और नियंत्रण की समस्या से बहुधा इस तरह के समझौते से टूट जाते हैं। संयुक्त उपक्रम के परिणाम में साझीदारों की भागीदारी होती है। साझीदारों का वित्तीय दाँव और जोखिमों में हिस्सेदारी होती है। बहुधा यह दलील दी जाती है कि दीर्घकाल में सिर्फ 50: 50 संयुक्त उद्यम ही चल सकते हैं अन्यथा नियंत्रण के विवाद से इसका पतन हो जाता है। सांस्कृतिक समस्याएँ भी महत्त्वपूर्ण घटक हैं । स्थानीय साझीदार बहुधा यह आरोप लगाते हैं कि बहुराष्ट्रीय निगम स्थानीय दशाओं और भावनाओं को ध्यान में रखने की इच्छुक नहीं होते हैं और स्थानीय व्यवसायिक प्रथाओं को समझने में विफल रहते हैं। दूसरी ओर स्थानीय साझीदार में बहुधा वह गतिशीलता और नूतनता नहीं होती है जिसकी कि बहुराष्ट्रीय निगम अपेक्षा करते हैं।

विलय और अधिग्रहण भी फर्म, विशेषकर विदेशी फर्म, द्वारा प्रवेश का महत्त्वपूर्ण साधन है। विलय में, फर्म पृथक् अस्तित्व के रूप में कार्य करना बंद कर देते हैं। विलय, अधिकार में लेना, अधिग्रहण, और एकीकरण शब्द उस स्थिति का वर्णन करते हैं जिसमें स्वतंत्र स्वामित्व में फर्म समान स्वामित्व के अंतर्गत एक दूसरे से मिलते हैं। विलय के मोटे रूप से तीन वर्गीकरण हैं:

क) समस्तरीय विलय, जिसमें एक ही उद्योग में सदृश अथवा समान उत्पादों का उत्पादन करने वाले फर्म विलय करते हैं।
ख) विषय स्तरीय विलय, जिसमें एक फर्म जो मध्यवर्ती वस्तु अथवा आदान का उत्पादन कर रही हैं उस फर्म के साथ विलय करती है जो उस आदान का उपयोग करके अंतिम वस्तु का उत्पादन करती है।
ग) संचित विलय, जिसमें कम संबंधित उत्पादों का उत्पादन करने वाली फर्म समान स्वामित्व के अन्तर्गत विलय करती हैं।
निःसंदेह, मुख्य रूप से विलय इसलिए होता है कि इससे विलय किए गए फर्मों और उद्योग में अन्य फर्मों के बीच प्रतियोगिता घटती है जिसके द्वारा विलय किए गए फर्मों का लाभ बढ़ता है। ध्यान रखिए कि यदि विलय किए गए फर्मों का लाभ विलय से पूर्व स्थिति में उनके कुल लाभ से अधिक नहीं होता है तब विलय लाभप्रद नहीं है और इसलिए विलय नहीं होना चाहिए। इस तरह की परिस्थितियों में फर्मों के लिए श्रेयस्कर यह होगा कि वे विलय नहीं करें।

बोध प्रश्न 2
1) संयुक्त उद्यम के लाभ बताइए।
2) विलय का मोटे रूप में वर्गीकरण क्या है? (एक वाक्य में उत्तर दीजिए)
3) संयुक्त उद्यम और विलय के बीच भेद कीजिए। (दो वाक्य में उत्तर दीजिए)

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) (क) (पपप) (ख) (पप)
2) उपभाग 17.2.2 पढ़िए।
3) (क) सही (ख) गलत