प्रश्न : भारत का मानचित्र बनाकर भारत में लौह इस्पात उद्योग (india steel industry in hindi) पर विस्तृत लेख लिखिए।
उत्तर : लौहा इस्पात उद्योग : भारत में लोह इस्पात उद्योग की आधुनिक परम्परागत वास्तव में जमशेदजी टाटा द्वारा रखी गयी। इन्होने 1907 में साकची (वर्तमान में जमशेदपुर) नामक स्थान पर एक आधुनिक कारखाना
टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी (TISCO) की स्थापना के साथ हुआ।
इसके बाद 1919 में बर्नपुर में इण्डियन अयस्क एंड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना हुई।
प्रश्न : एल्युमिनियम उद्योग पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
उत्तर : एल्युमिनियम नियम उद्योग : लोहा इस्पात उद्योग के बाद एल्युमिनियम उद्योग देश का दूसरा बड़ा महत्वपूर्ण उद्योग है। बॉक्साइट धातु को शुद्ध करने पर एल्युमिनियम उद्योग प्राप्त होता है। सामान्यत: 1 टन एल्युमिनियम बनाने के लिए 20 से 24 हजार किलोवाट विद्युत शक्ति 5 टन बोक्साईट आधा टन चूना 0.3 टन पेट्रोलियम को 0.13 टन कास्टिक सोडा की आवश्यकता पड़ती है।
एल्युमिनियम उद्योग :
- सीमेंट उद्योग है ये आधारभूत है।
- सूती वस्त्र उद्योग।
- चीनी उद्योग
सीमेंट उद्योग : चूना-पत्थर , कोयला , जिप्सम , कास्टिक सोडा।
मध्यप्रदेश , गुजरात , राजस्थान , बिहार , झारखण्ड।
मद्रास में शुरुआत में गयी लेकिन ये प्रयास विफल रहा।
सूती उद्योग , भारत का सबसे प्राचीनतम उद्योग है और यह पारम्परिक उद्योग में 434 ई. पूर्व
प्रश्न : भारत में सूती वस्त्र उद्योग व सीमेंट उद्योग पर विस्तृत लेख लिखिए।
उत्तर : सूती वस्त्र उद्योग : भारत में सूती वस्त्र उत्पादन की दृष्टि से इसका प्रथम स्थान है। जहाँ 181 मील कार्यरत है। मुंबई सर्वाधिक महत्वपूर्ण केंद्र , देश की प्रथम मील यही स्थापित की गयी।
1. चीनी उद्योग :
2. इंजीनियरिंग उद्योग :
चीनी : महाराष्ट्र प्रथम नंबर पर है , तराई क्षेत्र में मुज्जफरनगर है , यह उत्तर प्रदेश में है। मुंगेर बिहार में है। इन दोनों में रेलवे स्टेशन चीनी मील लगी हुई है।
आगरा , मथुरा , कानपूर , फरुगाबाद।
प्रश्न : भारत में चीनी उद्योग का विस्तृत वर्णन कीजिये।
उत्तर : चीनी उद्योग : भारत में चीनी (शक्कर) का उत्पादन गन्ने से किया जाता है। चीनी उद्योग कृषि आधारित उद्योग से सूती वस्त्र भी है।
1903 में अंग्रेजो द्वारा बिहार के मढोर (सारण जिला) में प्रथम सफल चीनी मील की स्थापना की गयी।
भारत में 90% चीनी उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , बिहार , आंध्रप्रदेश , तमिलनाडु तथा कर्नाटक में तैयार की जाती है।
बड़े उद्योग के रूप में इसका विकास 20 वीं सदी से प्रारंभ हुआ। इसके पूर्व 1841 – 43 एवं 1899 में भी प्रयास किये जो असलफता रहे।
परिवहन के प्रकार
1. सडक परिवहन : कच्ची व पक्की सडक एक स्थान से दूसरे स्थान को जोड़ना।
सडक परिवहन के प्रकार :
- केंद्र सरकार – राष्ट्रीय राजमार्ग – 1.7%-40%
- राज्य सरकार – राज्यीय सड़के – 4%
- जिला – जिला सड़के – 14%
- ग्रामीण – ग्रामिण सडक – 80%
- सीमावती – 0.3%
1. राष्ट्रीय राजमार्ग : यह भारत के परिवहनो का 40% है। इनका निर्माण एवं रख रखाव केंद्र सरकार का होता है , भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग 223 है , वर्तमान में इनका निर्माण चल रहा है। बाद में इनकी संख्या 292 होगी।
स्वार्षिक चतुर्भुज योजना :चार महानगरो को आपस में जोड़ने के लिए 8 लाइन बनाई गयी है ताकि परिवहन तेज गति से किया जा सके।
NH1 – दिल्ली से अमृतसर से श्रीनगर
NH2 – दिल्ली से कोलकाता
NH3 – आगरा से मुंबई
NH4 – मुंबई से बैंगलोर से चेन्नई
NH5 – चेन्नई से कोलकाता
NH6 – कोलकाता से मुंबई
NH7 – वाराणसी से कन्याकुमारी
NH8 – दिल्ली से जयपुर से उदयपुर से अहमदाबाद से मुंबई
NH9 – पूर्ण से विजयवाटा
NH10 – हिसार से दिल्ली (हरियाणा)
NH15 – अमृतसर से भुज (यह राजस्थान का सबसे बड़ा राजमार्ग है। )
47A – केरल , यह सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग है।
पूर्वी पश्चिम गलियारा – पोरबंदर से सिलचर
उत्तर पश्चिम गलियारा – श्रीनगर से कन्याकुमारी
प्रश्न : भारत में सडक परिवहन पर विस्तृत लेख लिखो।
उत्तर : सडक परिवहन : भारत में सडक परिवहन का महत्व आदिकाल से रहा है। यह परिवहन के अन्य साधनों का आहार स्तम्भ है।
भारत में सडको की व्यवस्था मोहन जोदड़ो और हड्डपा में की गयी खुदाई से पता लगा कि 5000-8000 वर्ष पूर्व भी भारत में पक्की सड़के थी , चन्द्रगुप्त मौर्य ने पाटलीपुत्र को उत्तरी-पश्चिमी सीमांत से जोड़ने के लिए सडक का निर्माण था जो पक्की थी एवं उसमे पानी की निकासी की भी समुचित व्यवस्था थी। सम्राट अशोक ने भी इस सडक का विस्तार किया एवं अन्य राजकीय मार्गो का सुधारा किया।
ईसा से लगभग 400 वर्ष से 300 ई तक उत्तरी भारत में दो मार्गो से आंतरिक व्यापार होता था जो पाटलीपुत्र से काबुल सिंध घाटी तक विस्तृत था।
700 ई में चीनी यात्री ताओसन भारत उल्लेख किया है।