सिद्धांत (principle): हमने पास्कल का नियम पढ़ा है जिसमें हमने पढ़ा कि पात्र में रखे द्रव के किसी भी बिंदु पर लगाया गया दाब , समान रूप से सभी जगह लगता है।
हाइड्रॉलिक लिफ्ट मशीन भी पास्कल के नियम पर आधारित है।
हाइड्रोलिक लिफ्ट की कार्यविधि (hydraulic lift working)
चित्रानुसार इसमें एक क्षैतिज नलिका होती है जिसके दो सिरे होते है , इन दोनों सिरों पर गतिशील पिस्टन लगे रहते है। इस नलिका में असंपीड्य और अश्यान तरल या द्रव पदार्थ भरा हुआ रहता है , चित्र में इस द्रव को पीले रंग से दर्शाया गया है।
यहाँ एक पिस्टन का क्षेत्रफल कम रखा जाता है और दुसरे पिस्टन का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल का मान अधिक रखा जाता है क्यूंकि हमने पास्कल के नियम में पढ़ा था कि यदि बड़े पिस्टन का क्षेत्रफल 10 गुना अधिक बड़ा है तो उस पर लगने वाले बल का मान भी 10 गुना अधिक होगा।
जब कम अनुप्रस्थ वाले क्षेत्रफल पर बल लगाया जाता है तो तो इस बल के कारण सिस्टम में भरे द्रव पर एक बल लगता है और पास्कल के नियम के अनुसार यह दाब बिना किसी हानि के संचरित होता है अत: यह बल बड़े अनुप्रस्थ वाले पिस्टन पर लगता है और चूँकि इस पिस्टन का क्षेत्रफल का अधिक है अत: इस पिस्टन द्वारा ऊपर की तरफ अधिक बल लगाया जाता है और कार या कोई बड़ा वजन आसानी से उठाया जा सकता है।
यदि बड़ा पिस्टन , छोटे पिस्टन की तुलना में 10 गुना अधिक बड़ा है तो छोटे पिस्टन पर जितना बल लगाया जाता है उसका 10 गुना बल पिस्टन दो पर मिलता है या प्राप्त होता है जिससे यह आसानी से वाहन को भी उठा सकता है।
सूत्र
माना छोटे पिस्टन पर लगने वाला दाब का मान P1 है तथा बड़े पिस्टन पर लगने वाला P2 दाब है , जैसा कि हम जानते है कि दोनों दाब का मान समान होगा अत:
P1 = P2