(heat engine in hindi) ऊष्मा इंजन क्या है , परिभाषा , कार्यप्रणाली , चित्र प्रकार , दक्षता : यह एक ऐसी डिवाइस है जो ऊष्मा ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा या कार्य में परिवर्तित करती है।
चाहे ऊष्मा कोयला हो या तेल या अन्य किसी से भी उत्पन्न की जाए लेकिन विश्व में लगभग 80% ऊर्जा , ऊष्मा के माध्यम से ही उत्पन्न की जाती है अत: हम कह सकते है ऊष्मा का उर्जा के क्षेत्र में बहुत अधिक योगदान है।
लगभग विश्व की 80% विद्युत ऊर्जा ऊष्मा के द्वारा प्राप्त की जाती है।
चाहे ऊष्मा कोयला हो या तेल या अन्य किसी से भी उत्पन्न की जाए लेकिन विश्व में लगभग 80% ऊर्जा , ऊष्मा के माध्यम से ही उत्पन्न की जाती है अत: हम कह सकते है ऊष्मा का उर्जा के क्षेत्र में बहुत अधिक योगदान है।
लगभग विश्व की 80% विद्युत ऊर्जा ऊष्मा के द्वारा प्राप्त की जाती है।
ऊष्मागतिकी का दैनिक जीवन में उपयोग कह सकते है इसे |
यह चित्रानुसार किसी स्त्रोत से ऊष्मा लेता है और इस ऊष्मा उर्जा का कुछ भाग कार्य में या यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन कर देता है और कुछ ऊष्मा सिंक को दे देता है , क्योंकि हम जानते है है कि बिना ऊष्मा गति के कार्य या यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न करना संभव नहीं है।
अर्थात ऊष्मा इंजन में ऊष्मा स्त्रोत से सिंक की तरफ गति करती है और स्त्रोत से आई कुछ ऊष्मा का भाग कार्य में परिवर्तित हो जाता है जैसा चित्र में दिखाया गया है –
यह चित्रानुसार किसी स्त्रोत से ऊष्मा लेता है और इस ऊष्मा उर्जा का कुछ भाग कार्य में या यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन कर देता है और कुछ ऊष्मा सिंक को दे देता है , क्योंकि हम जानते है है कि बिना ऊष्मा गति के कार्य या यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न करना संभव नहीं है।
अर्थात ऊष्मा इंजन में ऊष्मा स्त्रोत से सिंक की तरफ गति करती है और स्त्रोत से आई कुछ ऊष्मा का भाग कार्य में परिवर्तित हो जाता है जैसा चित्र में दिखाया गया है –
ऊष्मा इंजन के प्रकार (types of heat engine)
उष्मा इन्जन को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है
1. बाह्य दहन इंजन (external combustion engine)
2. आन्तरिक दहन इन्जन (internal combustion engine)
हम यहाँ दोनों प्रकारों को विस्तार से अध्ययन करेंगे और देखंगे कि दोनों इंजनों में क्या अंतर है , और क्या समानता है।
1. बाह्य दहन इंजन (external combustion engine) : जब किसी इंजन में इंधन को इंजन के बाहर जलाया जाता है तो इस प्रकार के इंजन को बाह्य दहन इंजन कहते है। इस प्रकार के इंजन में इंजन के बाहर एक चैंबर बना होता है , जिसमें ईंधन जैसे गैस या कोई तरल तेल को डाला जाता है और इसे जलाकर एक बहुत बड़ी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न की जाती है , और इस ऊष्मा का उपयोग इन्जन द्वारा कार्य करने या यांत्रिक ऊर्जा में किया जाता है।
वाष्प इंजन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
2. आन्तरिक दहन इन्जन (internal combustion engine) : वह इंजन जिसमे ईंधन का दहन इंजन के अन्दर ही बने दहन चैम्बर में ही संपन्न होता है आंतरिक दहन इंजन कहलाता है।
इस प्रकार के इंजन बहुत अधिक इस्तेमाल होते है जैसे वाहनों में , हवाई जहाजो में इत्यादि।
जब इंजन के अन्दर ही बने इस दहन चैम्बर में इंधन को जलाया जाता है तो यह बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और दाब उत्पन्न करता है जिससे इससे जुड़े पिस्टन या टरबाइन घूमना अर्थात कार्य करना प्रारम्भ कर देते है जैसा चित्र में दिखाया गया है –
ऊष्मा इन्जन के भाग तथा वर्णन (parts of heat engine )
ऊष्मा इंजन की व्याख्या करने के लिए इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है अर्थात इंजन तीन भागो से मिलकर बना होता है जिनका वर्णन हम निचे पढने जा रहे है –
1. स्रोत (source) : वह भाग जहाँ से इंजन को उच्च मान की ऊष्मा उर्जा प्राप्त होती है।
2. इंधन (fuel) : वह पदार्थ जिसे जलाकर ऊष्मा उत्पन्न की जा सकती है , इन्धन गैस या द्रव या ठोस किसी भी रूप में हो सकती है जैसे पेट्रोल , कोयला आदि।
3. सिंक (sink) : इंजन का वह भाग जिसका ताप निम्न होता है , स्त्रोत से ऊष्मा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए स्त्रोत से सिंक में ऊष्मा प्रवाहित की जाती है , सिंक ऊष्मा को अवशोषित करता है और ऊष्मा का कुछ भाग कार्य करने में व्यय करने के बाद स्त्रोत को पुन: बची ऊष्मा ऊर्जा लौटा देता है और अपनी मूल निम्न ताप वाली स्थिति में आ जाता है ताकि स्त्रोत से ऊष्मा का संचरण बना रहे और इसका कुछ भाग कार्य में परिवर्तित होता रहे।
ऊष्मीय इंजन की दक्षता (efficiency of heat engine)
कुल ऊर्जा में से जितनी कार्य में परिवर्तन हुई वो और स्रोता द्वाराउत्पन्न की गयी कुल उर्जा के अनुपात को ही उष्मीय इन्जन की दक्षता कहते है।
माना स्त्रोत द्वारा उत्पन्न की गयी कुल ऊष्मा ऊर्जा A है तथा सिंक द्वारा B ऊर्जा को कार्य में परिवर्तित कर दिया गया है तथा बाकी ऊष्मा उर्जा को स्त्रोत को पुन: लौटा दिया गया है तो ऊष्मीय इंजन की दक्षता को निम्न प्रकार दिया जा सकता है –
n = A – B / A
यहाँ n = ऊष्मीय इंजन की दक्षता
A = स्त्रोत द्वारा उत्पन्न कुल उर्जा
B = ऊष्मा का कार्य में परिवर्तित ऊर्जा