Hartal or strike in hindi meaning definition हड़ताल किसे कहते हैं | हड़ताल क्या है परिभाषा अर्थ मतलब ?
हडताल ः श्रमिकों द्वारा परिवादों की अभिव्यक्ति अथवा सामूहिक सौदाकारी में लाभ उठाने के सोद्देश्य, बृहत् और संगठित अनुपस्थिति।
औद्योगिक विवादों की कुछ विशेषताएँ
औद्योगिक विवादों में मुख्य प्रवृत्तियों पर चर्चा करने के पश्चात्, अब उनकी कतिपय विशेषताओं जैसे क्षेत्र-वार वितरण (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में), विवादों के कारण और उनके परिणामों इत्यादि पर चर्चा करने का समय है। हम सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में कुल विवादों के विश्लेषण से आरम्भ करते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र
यह प्रायः विश्वव्यापी परिदृश्य है कि सार्वजनिक क्षेत्र में श्रमिक कतिपय अंश में नौकरी सुरक्षा का लाभ लेते हैं। यह मुख्य रूप से सेवाओं और वस्तुओं जिसका सरकार उत्पादन करती है (जैसे रक्षा, प्रशासन, डाक सेवाएँ इत्यादि) के कारण और सरकार पर रोजगार उपलब्ध कराने के लोकप्रिय दबाव के कारण भी है। भारत में, 1976 में पारित नौकरी सुरक्षा विधान से भी अतिरिक्त अधिशेष उद्भूत होते हैं। इस प्रकार नौकरी छूटने के भय से सुरक्षित और जैसा कि उनमें यूनियनवाद है, सार्वजनिक क्षेत्र के श्रमिकों को सामान्यतया सख्त सौदाकारी करने वाला और हड़ताल करने की अत्यधिक क्षमता रखने वाला माना जाता है।
तालिका 32.5 देखने से पता चलता है कि विगत अनेक दशकों से निजी क्षेत्र की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र की विवादों में पड़ने की अपेक्षाकृत सहजता में वृद्धि हो रही है। पहला, विवादों के हिस्से पर विचार कीजिए। अभी भी स्थिति यह है कि अधिकांश विवाद निजी क्षेत्र में होते हैं। वर्ष 1998 में, विवादों में निजी क्षेत्र का हिस्सा 74.20 प्रतिशत था जबकि सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा मात्र 25.80 प्रतिशत था। किंतु परेशान करने वाला तथ्य यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के हिस्से में बराबर वृद्धि हो रही हैय वर्ष 1965 में यह हिस्सा मात्र 10.79 प्रतिशत था। यह नाटकीय परिवर्तन अस्सी के दशक के उत्तरार्द्ध में आया।
श्रमिकों की भागीदारी और नष्ट श्रम-दिवस के मामले में भी इसी तरह का निष्कर्ष निकाला जा सकता है। दोनों मामलों में, सार्वजनिक क्षेत्र अत्यधिक वृद्धि का रुख प्रदर्शित करता है। विशेष रूप सेय श्रमिकों की सहभागिता में इसका हिस्सा नाटकीय ढंग से बढ़ा है जो साठ के दशक के मध्य में मात्र 10 प्रतिशत से नब्बे के दशक में 70 प्रतिशत तक हो गया है। इसलिए, समग्र रूप से यद्यपि कि कुल विवादों में सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा अभी भी कम है, सापेक्षिक रूप से इसके विवाद में पड़ने की संभावना में वृद्धि की प्रवृत्ति दिखाई पड़ रही है, और विशेष रूप से, विवादों में श्रमिकों की भागीदारी में इसका सापेक्षिक वर्चस्व अत्यधिक है।
तथापि, एक मामले में, सार्वजनिक क्षेत्र निजी क्षेत्र की अपेक्षा बेहतर है। यदि हम प्रति श्रमिक नष्ट श्रम-दिवस की गणना करें तो हम देखेंगे कि सार्वजनिक क्षेत्र में दृश्य कहीं अधिक अच्छा है जो संभवतः यह दर्शाता है कि सार्वजनिक क्षेत्र में निजी क्षेत्र की तुलना में विवाद बहुत ही लम्बे समय तक नहीं चलते हैं।
कारण
अधिक विवाद के क्या कारण हैं? विशेष रूप से विवाद मजदूरी और भत्तों, बोनस, कार्मिक और छंटनी, अनुशासन, समझौते के उल्लंघन इत्यादि के कारण होते हैं। निःसंदेह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहले तीन कारण हैं। यह रोचक है कि विगत 40 वर्षों में इनके महत्त्व में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। पचास प्रतिशत से अधिक विवाद इन तीन कारणों से हैं यद्यपि कि उनके अंदर भी भिन्नता है। वर्ष 1995 में, मजदूरी और भत्तों संबंधी माँगोंध्शिकायतों के कारण 30.9 प्रतिशत, बोनस के लिए 7.6 प्रतिशत, कार्मिक और छंटनी के कारणों से 20.2 प्रतिशत विवाद हुए थे। विगत वर्षों में कार्मिक मुद्दों का सापेक्षिक हिस्सा थोड़ा कम हुआ है।
परिणाम
कौन जीता है और कौन हारता है? जब कभी विवाद समाप्त होता है, हम यह जानता चाहते हैं कि कौन जीता है। उन दृष्टांतों को छोड़ कर जिसमें सबको हानि हुई है (अत्यधिक लम्बे समय तक विवाद चलने और कोई परिणाम नहीं निकलने के कारण), हम विवादों (जो समाप्त हो चुके हैं) का वर्गीकरण परिणाम की दृष्टि से कर सकते हैं कि क्या यह श्रमिकों के अनुकूल हैं अथवा नहीं। यहाँ सामान्यतया चार वर्गीकरण किए जाते हैं: सफल (श्रमिकों को, जो वह चाहते थे मिल गया), आंशिक सफल, असफल और अनिश्चित (जिसका अर्थ है निर्णय का लंबित रहते हुए काम का पुनः शुरू हो जाना)।
हम तालिका 32.6 में देखते हैं कि सफल परिणामों के हिस्से में अधिक बदलाव नहीं आया है। किंतु दो मुख्य परिवर्तन हुए हैं। अनिश्चित परिणामों के हिस्से में भारी कमी आई है (1960 में 25.4 प्रतिशत से 1990 में 3.7 प्रतिशत), और इसके साथ-साथ असफल परिणामों का हिस्सा अत्यधिक बढ़ गया है (1960 में 30.6 प्रतिशत से 1970 में 50.4 प्रतिशत) यह बदलाव सत्तर के दशक के मध्य से स्पष्ट हो जाता है। इन आँकड़ों के आधार पर यह तर्क दिया जा सकता है कि श्रमिकों की सौदाकारी की शक्ति अथवा अनुकूल समझौता कराने की क्षमता महत्त्वपूर्ण रूप से क्षीण हो गई है।
अवधि
हमारी चर्चा का अंतिम विषय विवादों की अवधि है। क्या हमारे विवाद अत्यधिक लम्बे समय तक चलते हैं? अत्यधिक लंबे और महँगे विवादों के कई प्रसिद्ध मामले हैं। बॉम्बे टैक्सटाइल मिल हड़ताल डेढ़ वर्षों से भी अधिक समय तक चला था जिसके परिणामस्वरूप अनेक मिल स्थायी तौर पर बंद हो गए। सत्तर के दशक के आरम्भ में, रेलवे श्रमिकों ने लगभग तीन सप्ताह का ऐतिहासिक हड़ताल किया जिससे पूरा राष्ट्र पूरी तरह से ठहर गया था। अभी हाल में, डनलप समूह की एक टायर फैक्टरी में 5 वर्षों से अधिक तक तालाबंदी रही। किंतु इस तरह के उदाहरण कम हैं।
हमारे विवादों में से लगभग आधे पाँच दिनों से अधिक नहीं चलते हैं। वस्तुतः, एक चैथाई विवाद तो एक दिन या उससे भी कम चलता है। अन्य एक चैथाई विवाद एक दिन से पाँच दिन तक चलता है। यह रचना शैली, मामूली अन्तर के साथ, पिछले वर्षों से उल्लेखनीय रूप से यथावत है। तथापि, सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि बड़ी संख्या में विवाद अत्यधिक लम्बे समय तक चलते हैं (30 दिनों तक) और इस संख्या में वृद्धि भी हो रही है। वर्ष 1960 में 30 दिनों से अधिक चलने वाले विवादों का प्रतिशत 7.9 था। किंतु 1970 में यह बढ़कर 13.2 प्रतिशत हो गया त्तपश्चात् 1980 में 18.1 प्रतिशत और 1990 में और अधिक बढ़ कर 24 प्रतिशत हो गया। वर्ष 1995 में इसमें मामूली कमी आई और यह 21.9 प्रतिशत हो गया।
इसलिए इसे अवांछित प्रघटना के रूप में देखा जा सकता है। यद्यपि कि अल्पकालिक विवादों की संख्या ज्यों की त्यों है, मध्यकालिक और दीर्घकालिक विवाद एक दूसरे का स्थान ले रहे हैं। यह विवाद सुलझाने वाली संस्थाओं की कमजोरी प्रदर्शित करता है। किसी भी विवाद को लम्बे समय तक चलने देने से पैरेटो अनुकूलतमता सिद्धान्त, जिस पर हमने आरम्भ में चर्चा की, को आघात पहुँचता है।
बोध प्रश्न 3
1) दो महत्त्वपूर्ण आयामों के संबंध में विवादों में सार्वजनिक क्षेत्र के बढ़ते महत्त्व की विवेचना कीजिए।
2) विवादों के मुख्य कारण क्या हैं?
3) विगत वर्षों में श्रमिकों के अनुकूल अथवा प्रतिकूल परिणामों के मामले में निर्जीव विवादों की संरचना कैसे बदल गई है, चर्चा कीजिए।
4) सही के लिए (हाँ) गलत के लिए (नहीं) लिखिए।
क) 1990 के दशक में विवादों में सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा 10 प्रतिशत से कम था। ( )
ख) पिछले दशक से हड़तालों में सम्मिलित अधिकांश श्रमिक निजी क्षेत्र से थे। ( )
ग) हमारे एक चैथाई से एक तिहाई तक विवाद मजदूरी और भत्तों से संबंधित माँगों के कारण हैं। वर्षों में 30 दिनों से अधिक चलने वाले विवादों के प्रतिशत में महत्त्वपूर्ण रूप से वृद्धि हुई है। ( )
ड.) अधिकांश विवाद निजी क्षेत्र में होते हैं। ( )
बोध प्रश्नों के उत्तर अथवा संकेत
बोध प्रश्न 3
1) उपभाग 32.3 पढ़िए।
2) मजदूरी और भत्ता, बोनस, कार्मिक और छंटनी।
3) उपभाग 32.3 पढ़िए।
4) (क) गलत (ख) गलत (ग) सही (घ) सही (ड.) सही।