WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

रेशे उत्पादित करने वाले पादप , उत्पत्ति के आधार पर रेशों के प्रकार , उपयोग के आधार पर रेशो के प्रकार 

रेशे उत्पादित करने वाले पादप : प्राचीन समय से मनुष्य के द्वारा जन्तुओ से प्राप्त रेशे के अंतीरिक्त पादप से प्राप्त रेशो का उपयोग किया जा रहा है क्योंकि जन्तु रेशो का जा रहा है क्योंकि जन्तु रेशों का उपयोग सिमित है तथा मनुष्य की भोजन के पश्चात् दूसरी आवश्यकता वस्त्र है जिनका निर्माण मुख्यतः रेशो के द्वारा किया जाता है।

उत्पत्ति के आधार पर रेशों के प्रकार (fiber crop types in plants )

पादप के विभिन्न भागो से रेशे प्राप्त किये जाते है इसके आधार पर रेशे प्रमुखत: तीन प्रकार के होते है –

(1) सतही रेशे

(2) स्तम्भीय रेशे

(3) कड़े / पर्ण रेशे

(1) सतही रेशे (surface fiber) : ऐसे रेशे जो पादप के फल या बीज जू सतह से प्राप्त किये जाते है तथा उपरोक्त संरचनाओ की सतह पर यह रेशे अतिवृत्ती से उत्पन्न होते है।

उदाहरण : कपास के बीज की सतह से ऐसे रेशे प्राप्त किये जाते है।

(2) स्तम्भीय रेशे (bast रेशे) या मृदु रेशे : इन्हें स्टेम फाइबर या bast fiber या सॉफ्ट फाइबर के नाम से भी जाना जाता है।

इस प्रकार के रेशे तने में उपस्थित फ्लोएम या परिरम्भ से प्राप्त किये जाते है।

उदाहरण : सन , जुट , पटसन आदि मृदु रेशे कहलाते है।

(3) पर्ण या कड़े रेशे : इन्हें हार्ड या Rlealy फाइबर के नाम से भी जाना जानते है।

इस प्रकार के रेशे प्रमुखत: पादप के पर्ण से प्राप्त होते है तथा इन्हें मुख्यतः एक बिजपत्रीत पादपो से प्राप्त किया जाता है।

उदाहरण : मुंज।

नोट : मुंज के अतिरिक्त पर्ण रेशे विशेषत: ऐरा तथा पटेरा नामक पादप से भी प्राप्त किये जाते है।

उपयोग के आधार पर रेशो के प्रकार

आर्थिक वनस्पति वैज्ञानिक A.F. Hill के द्वारा उपयोग के आधार पर रेशों को वर्गीकृत किया गया है।
जो निम्न प्रकार है –
(1) वस्त्र रेशे : इस प्रकार के रेशे सामान्यतया वस्त्र , सुतली , बोरे , रस्सी आदि बनाने के लिए उपयोग किये जाते है।
ऐसे रेशे सामान्यत: कपास , जुट से प्राप्त किये जाते है।
(2) ब्रुश रेशे : इस प्रकार के रेशे झाड़ू या ब्रश बनाने के काम में लिए जाते है।
उदाहरण : सामान्यत: खजूर की पत्तियां इस हेतु उपयोग की जाती है।
(3) गुथने या खुर्दरे रेशे : ऐसे रेशे जिनकी सहायता से टोकरी , चटाई , टोपी , कुर्शी आदि निर्मित की जाती है।
उपरोक्त सामान के निर्माण हेतु सामान्यतया बाँस को काम में लिया जाता है।
(4) भरवा रेशे : इन्हें भराव रेशो के नाम से भी जाना जाता है।
इन रेशों को मुख्यतः गद्दे तथा रजाई भरने हेतु उपयोग किया जाता है।
इस कार्य हेतु सामान्यतया कपास , सेमल , नारियल से प्राप्त कोयम पदार्थ आदि का उपयोग किया जाता है।
(5) प्राकृतिक रेशे : इन रेशो को सीधे वस्त्र बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
जैसे : सह्तुत की छाल से एक विशेष वस्त्र Tapa वस्त्र बनाया जाता है।
(6) कागज बनाने वाले रेशे : इस प्रकार के रेशो से कागज , गद्दे , कार्डबोर्ड आदि बनाये जाते है।  उपरोक्त वस्तुओं को निर्मित करने हेतु बाँस , निलगिरी विभिन्न प्रकार की घासे तथा सफेदे का पादप उपयोग किया जाता है।