विधुत धारा
विधुत आवेश किसी सुचालक में प्रवाह करते है अर्थात् एक स्थान से दुसरे स्थान पर किसी समय में पहुचते है विधुत धारा कहलाती है। यदि देखा जाये तो विधुत धारा इलेक्ट्रॉन का प्रवाह है। दूसरे शब्दों में सुचालक के द्वारा इलेक्ट्रॉन का प्रवाह विधुत धारा कहलाती है।
विधुत धारा के प्रवाह की दिशा
प्राचीन समय में जब विधुत का पता चला था उस समय लोगों को इलेक्ट्रॉन के बारे में पता नहीं था। अत: विधुत आवेश के प्रवाह को ही विधुत धारा माना जाता था। विधुत धारा के प्रवाह की दिशा में ही धन आवेश के प्रवाह की दिशा मानी जाती थी। किसी विधुत परिपध में विधुत धारा का प्रवाह इलेक्ट्रान के प्रवाह की दिशा के विपरीत होते है।
विधुत धारा को कैसे व्यक्त किया जाता है?
किसी एकांक समय में किसी विशेष क्षेत्र से प्रवाहित आवेश के परिणाम को विधुत धारा कहते है।
या
दूसरे शब्दों में विधुत आवेश के प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते हैं।
विधुत धारा = विधुतआवेश / समय
माना कि t समय में किसी चालक के अनुप्रस्थ काट से कुल आवेश Q प्रवाहित होता है तो उस अनुप्रस्थ काट से विद्युत धारा I को निम्नांकित तरीके से व्यक्त किया जाता है:
I = Q/t
जहाँ, Ι = विद्युत धारा
Q = कुल आवेश
t = समय
अत: एकांक समय (t) में किसी निश्चित क्षेत्रफल से प्रवाहित होने वाला विद्युत आवेश (Q) को विधुत धारा I कहते हैं।
विधुत धारा (Ι) का SI मात्रक
विद्युत धारा (Ι) का SI मात्रक एम्पीयर (A) होता है।
विद्युत धारा का SI मात्रक का नाम फ्रांस के महान वैज्ञानिक Andre Marie Ampere के नाम पर रखा गया है।
1 एम्पीयर विधुत धारा प्रति सेकंड एक कूलाम्ब विधुत आवेश के प्रवाह के बराबर होता है।
अर्थात 1A = 1 C/s
अल्प मात्रा के विद्युत धारा को मिलीऐम्पीयर (mA) या माइक्रोऐम्पीयर (μA) में दर्शाया जाता है।
1 mA (मिलीऐम्पीयर) = 10 – 3 A (ऐम्पीयर)
1 μA (माइक्रोऐम्पीयर) = 10 – 6 A (ऐम्पीयर)
अमीटर (Ammeter)
अमीटर ऐसा यंत्र होता है जिसके द्वारा किसी विधुत परिपथ में विद्युत धारा को मापा जाता है।अमीटर को विद्युत परिपथ में विधुत धारा को मापने के लिए श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
विधुत विभव तथा विभवांतर
किसी भी वस्तु को कुछ इस तरह से रखा जाये की इससे प्राप्त उर्जा को स्थितिज या स्थैतिक उर्जा कहलाती है। अर्थात् किसी वस्तु में उसकी स्थिति के कारण प्राप्त की गई उर्जा स्थितिज या स्थैतिक उर्जा कहलाती है।
उदाहरण: पानी उँचाई पर स्थित होने के कारण इसमें स्थैतिक उर्जा आ जाती है जिसके कारण पानी का बहाव उपर से नीचे की ओर होता है अर्थात् पानी को ऊपर से नीचे लाने में स्थैतिक उर्जा खर्च हो जाती है।
उसी तरह जब एक पत्थर को एक उँचाई पर ले जाया जाता है अर्थात उस पत्थर की स्थिति के कारण पत्थर में स्थितिज उर्जा आ जाती है जिसके कारण पत्थर को उस उँचाई से छोड़ने पर वह जमीन पर नीचे गिर जाता है।
उसी तरह जब किसी आवेश को अनंत बिन्दु से विधुतक्षेत्र में स्थित किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य उस आवेश में उर्जा के रूप में जमा हो जाता है। यह कार्य विधुत क्षेत्र में होता है इसलिए इस कार्य को विधुत स्थैतिज उर्जा या विधुत विभव कहते हैं।
विधुत विभवांतर
जब किसी एकांक आवेश को विधुत परिपथ में किसी एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक लाने में किया कार्य विधुत विभवांतर कहलाता है। या
किसी विधुत परिपथ में किन्ही दो बिन्दुओ A और B के बीच विधुत विभव में अन्तर होता है अत: जिस बिंदु का विधुत विभव ज्यादा होता है वहा से आवेश उस बिंदु पर जाते है जिसका विधुत विभव कम होता है विद्युत विभव में यह अंतर विभवांतर या विधुत विभवांतर कहलाता है। माना की बिंदु A का विभव ज्यादा होता है और B का कम अत: विधुत आवेश A बिंदु से B बिंदु की और गमन करते है।
दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर में साम्यावस्था बनाये रखने के लिये ही विद्युत धारा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु की ओर प्रवाहित होती है।
अत: दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर (V) = कार्य (W)/ आवेश (Q)
V= W/Q
जहाँ, V= विभवांतर
तथा W= कार्य तथा
Q= विधुत आवेश
तीनों राशियों V, W तथा Q में से किसी दो के ज्ञात रहने पर तीसरे राशि की गणना समीकरण की मदद से की जा सकती है।
विद्युत विभवांतर का SI मात्रक
विधुत विभवांतर के SI मात्रक का नाम इटली के भौतिक वैज्ञानिक अलेसान्द्रो वोल्टा के नाम पर रखा गया है। विधुत विभवांतर SI मात्रक वोल्ट (V) होता है, विधुत विभवांतर को अंग्रेजी के अक्षर V द्वारा निरूपित किया जाता है।
विद्युत विभवांतर का मात्रक वोल्ट (V) है,
किये गये कार्य W की मात्रक जूल (J) है तथा विधुत आवेश (Q) की मात्रक कूलाम्ब C है
अत: विभवांतर V का SI मात्रक
= J/C = JC-1
यदि किसी विधुत चालक के दो बिन्दुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है, तो उन दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है।
वोल्टमीटर
वोल्टमीटर एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा विभवांतर को मापा जाता है। वोल्टमीटर को विधुत परिपथ में सदैव उन दो बिन्दुओं के बीच पार्श्वक्रम में लगाया जाता है जिनके बीच विभवांतर को मापना होता है।