जाने साहित्यिक क्षेत्र की ख्याति प्राप्त हस्तियां eminent / famous personalities of the literature field in hindi ?
साहित्यिक क्षेत्र की ख्याति प्राप्त हस्तियां
अबुल फजल सोलहवीं सदी के मुस्लिम विद्वान और अकबर के शासनकाल के इतिहासकार।
अलबरूनी इनके बचपन का नाम अबु रिहां मोहम्मद था। ये सुल्तान महमूद के साथ भारत आये थे। इनकी रचना तारीख-ए-हिंद से हिंदुओं के विचारों और उनकी परंपराओं की काफी जागकारी मिलती है।
भारवी छठी शताब्दी के संस्कृत कवि, जिन्होंने किरातार्जूनियम् की रचना की।
भतृहरि सातवीं शताब्दी के संस्कृत लेखक जिन्हें तीन शतकों का श्रेय जाता है। वह दार्शनिक और व्याकरणविद थे।
भट्टी संभवतः छठी-सातवीं शताब्दी के कवि, भट्टी ने भट्टिकाव्य या रावणवध की रचना मुख्यतः व्याकरण और नियमावली की व्याख्या के लिए की थी।
बिल्हण गयारहवीं-बारहवीं शताब्दी के संस्कृत लेखक थे, वह तदकाली चालुक्य राजा के दरबारी थे और उन्होंने विक्रमांकदेवचरित की रचना की। काव्य रचना चैरपंचसिका भी उन्हीं की रचना थी।
बंकिम चंद्र चटर्जी उन्नीसवीं सदी के अग्रणी बांग्ला उपन्यासकार जिन्होंने आनंदमठ की रचना की जिससे भारत का राष्ट्रगीत वंदे मत्रम उद्धृत किया गया है। उनके दूसरे उपन्यास हैं देवी चैधरानी, सीताराम और कमला कांता।
शरत चंदंद्र चटर्जी उन्नीसवीं- बीसवीं शताब्दी के सामाजिक साचे वाले बाग्ंला उपन्यासकार जिनकी रचनाओं में मानवीयता और कालांतर से चली आ रही सामाजिक मान्यताओं की सूक्ष्म विवेचना मिलती है। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं श्रीकांत, पाली समाज, पंडित मोशाय और शेष प्रश्न।
सुभद्रा कुमारी चैहान महाकौशल में, सत्याग्रह में भाग लेने वाली यह कवियत्री अपने ओजस्वी गीत झांसी की रानी के लिए जागी जाती हैं। उन्हें अपनी कविताओं के संग्रह मुकुल और लघु कथा संकलन बिखरे मोती के लिए सेकसरिया पुरस्कार मिला।
दंडी सातवीं शताब्दी के संस्कृत लेखक थे जिन्हें साहित्य समीक्षक के रूप में ख्याति प्राप्त है। अवंतिसुंदरी उन्हीं का उपन्यास है जिसका एक अंश अलग से दासकुमारीचरित के नाम से प्रसारित हुआ।
असदुल्लाह खां गालिब उन्नीसवीं सदी के महान उर्दू शायर, मिर्जा गालिब अपनी गजल और दीवान के लिए मशहूर हैं। उन्होंने मुगल वंश का इतिहास, दस्तान्बो, 1857 के गदर का घटनाक्रम और कती बुरहान नाम से एक आलोचनात्मक रचना भी की।
गुनाध्य पहली या दूसरी शताब्दी के इस लेखक की बृहतकथा पैसाची बोली में रोचक कथाओं का संकलन है। बाद में बहुत से लेखकों ने इन्हीं कथाओं को शृंगार रस की कहानियों का आधार बनाया।
हाला पहली शताब्दी के सातवाहन राजा और संस्कृत कवि थे जिन्होंने सप्तशती की रचना की।
कबीर पंद्रहवीं सदी के संतकवि थे जिनकी मिलीजुली बोली की काव्य रचनाओं में बहुत वृहद शब्दावली मिलती है जिसमें अरबी और फारसी के शब्द भी हैं।
कल्हण बारहवीं सदी के संस्कृत कवि जिनकी रचना रजतरंगिनी में कश्मीर के राजाओं का इतिहास मिलता है।
कालिदास उज्जैन के राजा विक्रमादित्य से जुड़े कालिदास संस्कृत के नाटककार और गीतकार थे। उनकी रचना मेघदूतम् काव्य का अद्वितीय उदाहरण है। रघुवंशम् और कुमार संभवम् उनके महाकाव्य हैं। उनकी रचनाओं में सौंदर्य का बड़ी संवेदनशीलतापूर्वक वर्णन मिलता है।
कात्यायन दूसरी या तीसरी शताब्दी के अत्यंत प्रतिष्ठित संस्कृत व्याकरणविद थे जिन्होंने अष्टाध्यायी पर टीका किया। उनकी इस रचना का नाम वर्तिका है।
कौटिल्य अर्थशास्त्र जैसी महान कृति के लेखक, चैथी शताब्दी के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के मुख्यमंत्री विद्वान कौटिल्य को चाणक्य और विष्णुगुप्त नामों से भी जागा जाता है। प्रशासन की दिग्दर्शिका रूपी अर्थशास्त्र में न्याय को राजा के कर्तव्य में प्रमुख माना गया है। कौटिल्य को प्रिंस के इतालवी लेखक मैकविली का भारतीय समकक्ष माना जाता है।
कुमारन आसन श्री नारायण गुरू के अनुयायी, कुमारन वर्ण व्यवस्था और सामाजिक अन्याय के कड़े विरोधी थे। उन्होंने श्रेष्ठ कविताओं की रचना की। नलिनी, लीला और फाॅलेन फ्लावर उनकी सबसे लोकप्रिय कविताएं हैं।
माघ सातवीं शताब्दी के संस्कृत कवि जिन्होंने महाकाव्य शिशुपाल वधम् की रचना की, जिसके पद अत्यंत लयात्मक हैं।
पाणिनी विश्व में व्याकरण के पहले ग्रंथ अष्टाध्यायी के रचनाकार। अट्ठारहवीं सदी में इस रचना के यूरोपवासियों के हाथ लगने के बाद फिलोलाॅजी के नये विज्ञान के विकास में तेजी आई।
पातंजलि संस्कृत के विद्वान जिनका महाभाष्यम् पाणिनी के व्याकरणशास्त्र पर टीका है। इनके प्रयासों से ही संस्कृत एक बार फिर साहित्य की भाषा बन सकी।
प्रेमचंद आधुनिक भारत के जागे-माने हिंदी और उर्दू लेखक प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय था। स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ी। रंगभूमि, गोदान,गबन और प्रेमाश्रम उनकी रचनाओं में प्रमुख हैं।
जदुनाथ सरकारएक इतिहासकार जिनकी रुचि मुख्यतः औरंगजेब के शासनकाल में रही। उनकी उल्लेखनीय कृतियां हैं द स्टडी आॅफ औरंगजेब, शिवाजी एंड हिज टाइम्स और द फाॅल आॅफ द मुगल एम्पायर। उन्होंने विलियम इरविन की रचना लेटर मुगलस को भी पूरा किया।
सोमदेव संस्कृत कवि जिनकी कथासरितसागर कथाओं का मशहूर संग्रह है।
सुबंधु सातवीं सदी के संस्कृत कवि जिन्होंने वासवदत्त की रचना की। सूरदास सोलहवीं सदी के नेत्रहीन कवि जिन्होंने बृजभाषा में भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम से सराबोर काव्य की रचना की। उनकी सराहनीय रचनाओं सूर सागर और सूर सारावली को बहुत सम्मान से देखा जाता है।
तिरुवल्लुवर आरंभिक ईसाई काल के तमिल कवि एवं दार्शनिक। नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर उनकी काव्य रचना कुराल, वर्ण और जातिगत भेदभाव से परे एक शास्त्र के दर्जे का तमिल ग्रंथ है।
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ अपने अनोखे अंदाज के कारण निराला कहे गये इस कवि ने प्रकृति के आध्यात्मिक पक्ष को अपनी कविताओं में जगह दी। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं अनामिका, गीतिका, अप्सरा व साखी।
वाकपति आठवीं शताब्दी के संस्कृत कवि थे, जिन्होंने गणवध जिसमें कान्यकुब्ज के राजा यशेवर्मन के विजय यात्राओं का वर्णन है की रचना की।
वाग्भट्ट सातवीं शताब्दी के लेखक जिन्होंने आयुर्वेद के आठ मूल खण्डों को सार रूप में शब्दबद्ध किया।
वाल्मिक मान्यता है कि वाल्मिक एक ब्राह्मण थे जिन्होंने कुछ संतों के कहने पर डाकू का जीवन छोड़ा था। कहा जाता है कि एक शिकारी के तीर से बगुले के मारे जागे पर उसके वियोगी साथी की व्याकुलता ने उन्हें एक श्लोक कहने पर प्रेरित किया। श्लोक के इसी रूप में उन्होंने बाद में रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की।
वास्त्स्यायन पांचवीं शताब्दी के संस्कृत लेखक जिनकी कृति कामसूत्र को सारे विश्व में काम-क्रीड़ा और संबंधित विषयों पर सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ माना जाता है।
वामन सामाजिक और नैतिक मुद्दों पर तीक्ष्ण दृष्टि रखने वाले सत्रहवीं शताब्दी के तमिल कवि, जिन्होंने व्यंगयात्मक अंदाज में समाज में व्याप्त भेदभाव पर चोट की।
महादेवी वर्माऐसी उच्च स्तरीय साहित्यिक काव्य रचना करने वाली छायावादी कवियत्री जिनकी मानवता, प्रकृति, विरह, मिलन आदि विषयक रचनाओं में श्रृंगार और आध्यात्मिक भाव का अद्भुत संगम मिलता है।
विद्यापति मैथिली भाषा के भक्त कवि। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं कीर्तिलता और कीर्तिपताका। उन्होंने संस्कृत में पत्र लेखन पर भी एक पुस्तक लिखी जिसका नाम है लेखनावली।