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प्रथम विश्व युद्ध के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिणाम क्या है , results of the first world war in hindi

results of the first world war in hindi प्रथम विश्व युद्ध के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिणाम क्या है ?

प्रश्न: प्रथम विश्व युद्ध के राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिणामों की चर्चा कीजिए।
उत्तर: प्रथम विश्वयुद्ध में छोटे-बड़े लगभग 36 राष्ट्रों ने भाग लिया। विश्व की लगभग 87ः जनसंख्या इससे प्रभावित हुई। इसमें कुछ देश शामिल
नहीं हुए – यूरोप में हॉलैण्ड, डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, स्वीट्जरलैण्ड व स्पेन। द. अमेरिका में मैक्सिको व चिली। पहला युद्ध जिसमें हवाई
जहाज, पनडुब्बियां, जहरीली गैसो इत्यादि का प्रयोग हुआ। लैंगसम द्वारा World since 1919 नामक पुस्तक लिखा कि श्श्प्रथम विश्वयुद्ध जो 1565 दिन लड़ा गया अब तक के लड़े गये सभी युद्धों में खूनी व खर्चीला युद्ध था।श्श् इस युद्ध के गहरे राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिणाम निकले जो निम्न है
a. राजनीतिक परिणाम
ऽ प्रथम विश्व युद्ध के फलस्वरूप यूरोप में तीन प्राचीन राजवंश – आस्ट्रिया का हेप्सबर्ग, जर्मनी का होहेनजोलन और रूस का रोमेनाफ (रोमोनोव) राजवंश समाप्त हो गये।
ऽ युद्ध के द्वारा निरंकुश राजतंत्र को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना को प्रोत्साहित किया गया।
ऽ नवीन वादों का सूत्रपात – जर्मनी में नाजीवाद, इटली में फांसीवाद, रूस में साम्यवाद, जापान में सैन्यवाद का उदय हुआ।
ऽ संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव बढ़ना प्रारम्भ हुआ और विश्व में शक्ति-संतुलन सिद्धान्त की समाप्ति हुई।
ऽ एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
ऽ प्रजातंत्र की स्थापना – युद्ध के पश्चात् प्रजातांत्रिक व गणतंत्रवादी राज्य स्थापित हुए। पोलैण्ड, इस्टोनिया. लैटीविया चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, ऑस्ट्रिया आदि राष्ट्रों में गणतंत्रवादी राज्य स्थापित हुए। एशिया व अफ्रीका में भी प्रजातांत्रिक सरकारों की मांग की गई। यह मांग आज भी जारी है जैसे चीन।
ऽ उदारवाद को आघात – गैथोर्न हार्डी (Gathorn Hardy) के अनुसार उदारवाद अपनी मृत्यु शैया पर सो गया। प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व उदारवादी पार्टी बहुमत में थी किन्तु विश्व समाजवाद की आरे अग्रसर हुआ।
ऽ यूरोप के मानचित्र में परिवर्तन – ऑस्ट्रिया व हंगरी को दो पृथक राष्ट्रों में स्थापित किया गया। पोलैण्ड को एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया। इसके अतिरिक्त एस्टोनिया, लैटिविया, लिथुआनिया आदि नये राज्य स्थापित किये गये। चैक जाति के लिए चैकोस्लोवाकिया नामक नया राज्य स्थापित हुआ। स्लाव जाति के लिए यूगोस्लाविया नामक नया स्लाव स्थापित हुआ। फ्रांस, जर्मनी आदि राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन किया गया।
ii. आर्थिक प्रभाव
(1) आर्थिक हानि – इस युद्ध में 186 बिलियन डॉलर खर्च हुआ।
(2) जन हानि – दोनों ओर से 6.5 करोड़ लोग लड़े। इनमें से 1.4 करोड मारे गये अर्थात् लड़ने वाले 5 में से 1 2.20 करोड़ घायल हुए
अर्थात् लड़ने वाले 3 में से 1 घायल तथा 70 लाख अपाहिज हो गये।
(3) आर्थिकध्वित्त संस्थाओं को आघात – सभी राष्ट्रों ने अपनी आय के स्रोत युद्ध में लगा दिये। युद्ध समाप्त होने पर सभी देशों की वित्तीय
संस्थाएं चरमरा गई। राजकीय समाजवाद का विकास हुआ। जाने-अनजाने में अनेक राज्यों ने अनेक व्यवसायों का संचालन अपने हाथों
में लेकर देश की सरकार ने आर्थिक जीवन पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। अनेक राज्यों में आर्थिक जीवन सरकार के अधिकार में आ गया और श्राजकीय समाजवादश् स्वयंमेव स्थापित हो गया।
आर्थिक विनाश, युद्ध ऋण, व्यापार को क्षति, मुद्रा प्रसार, मजदूर आन्दोलन सामने आए।
iii. सामाजिक प्रभाव
स्त्रियों की स्थिति में सुधार – कारखानों, दफ्तरों, दुकानों, उद्योग-धंधों में पुरुषों की कमी होने के कारण पुरुषों का कार्य स्त्रियां करने लगी। चारित्रिक पतन, सामाजिक संस्थओं की संरचना में परिवर्तन। नस्लों की समानता – गौरे, काले, भूरे, पीले सभी सैनिकों को समान माना गया।
विश्व में श्रमिक वर्ग का पदार्पणध्महत्व – प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् रूस, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैण्ड आदि देशों में श्रमिक वर्ग का महत्व बढ़ा। 1917 में रूस में श्रमिकों द्वारा क्रांति की गई।
महिला मताधिकार के पक्ष में वातावरण बना – महिलाओं के महत्व को समझा गया। 1918 में इंग्लैण्ड ने महिलाओं को मताधिकार दिया। इसमें 30 वर्ष की महिलाओं को यह अधिकार दिया गया जबकि 21 वर्ष के पुरुषों को अधिकार था। इनमें भी केवल टैक्स देने वाले परिवार की महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त हुआ। 1928 में 21 वर्ष की महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त हुआ। विश्व में सर्वप्रथम महिलाओं को मताधिकार अमेरिका के एक राज्य वायोमिंग (ॅलवदपदह) ने 1890 में दिया। प्रथम देश जिसने यह मताधिकार दिया – न्यूजीलैण्ड-1893, ऑस्ट्रेलिया-1903, फिनलैंड-1906, इंग्लैण्ड, कनाड़ा-1918, जर्मनी, आस्ट्रिया, चेकेस्लोवाकिया, पौलेण्ड-1919 तथा U.S.A –  हंगरी-1920 अल्पसंख्यकों की समस्या :
वर्साय की संधि के दौरान नए-नए राज्य बनाए जाने एवं विभिन्न राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन किए जाने के कारण अनेक जातियां एवं प्रजातियां तथा देशवासी अल्पसंख्यक हो गए। उनकी भाषा, संस्कृति, राजनैतिक अधिकार, सामाजिक-आर्थिक समानता आदि की समस्या उत्पन्न हो गई। यह समस्या यूरोप के कर्णधारों के सामने विकट रूप में सामने आई, जो द्वितीय विश्व युद्ध का एक कारण बनी।