यूरोपियन यूनियन की स्थापना कब हुई थी | यूरोपियन यूनियन क्या है अध्यक्ष कौन है European Union in hindi

European Union in hindi यूरोपियन यूनियन की स्थापना कब हुई थी | यूरोपियन यूनियन क्या है अध्यक्ष कौन है ?

यूरोपियन यूनियन
1992 तक यूरोपियन यूनियन, यूरोपीय समुदाय अथवा यूरोपीय आर्थिक समुदाय के रूप में जाना जाता था। यह 15 यूरोपीय देशों का घनिष्ट रूप से जुड़ा हुआ समूह है। उसका निर्माण यूरोप में वृहत्तर आर्थिक और राजनीतिक एकता स्थापित करने तथा उनके बीच युद्ध की संभावनाओं को खत्म करने के लिए किया गया था। यूरोप द्धितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका झेल चुका था और इसीलिए नहीं चाहता था कि फिर दोबारा ऐसी स्थिति पैदा हो । यूरोपियन यूनियन के 15 देशों में, जिनकी कुल आबादी 37 करोड़ है. एक ही तरह की संस्थाएँ और नीतियाँ लागू होती हैं। नतीजन पश्चिमी यूरोप शांति व समृद्धि के अभूतपूर्व दौर में प्रवेश कर गया है। कई मामलों में यूरोपीय यूनियन की जनता के बीच राष्ट्रीयेतर अस्मिता की भावना पैदा करने के लिए शुरू किए गए थे। सच तो यह है कि इसकी अभूतपूर्व सफलता की कहानी दूसरे सदृश प्रयासों के लिए मॉडल का काम करती रही है।

उद्भव, इतिहास तथा उद्देश्य
द्धितीय युद्ध के पूर्व और पश्चात् यूरोपीय देशों के बीच संस्थागत आधार पर एका स्थापित करने के अनेक प्रयास किए गए थे। यूरोपियन यूनियन की सीधी शुरुआत 1952 में होती है जब छह देशों ने मिलकर यूरोपीय कोयला और स्टील समुदाय बनाने का फैसला किया। तय किया गया कि वे अपने कोयला और स्टील संसाधनों के लिए साझा बाजार का निर्माण करेंगे जिसका नियंत्रण स्वतंत्र राष्ट्रीयेतर सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा किया जायेगा। ये देश थे- बेल्जियम, फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, तथा नीदरलैंड। तथापि महत्वपूर्ण उपलब्धि 1958 में ही हांसिल हो सकी यानी जब रोम संधि (1957) प्रभावी हुई। रोम संधि की वजह से यूरोपीय आर्थिक समुदाय तथा यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय (यूकेटॉम) अस्तित्व में आये। नतीजतन साझा बाजार की परिधि का विस्तार कोयला और स्टील से लेकर तकरीबन सभी महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों तक हो गया। इन संधियों का बुनियादी उद्देश्य एक ऐसे यूरोपीय साझा बाजार की स्थापना करना था जहाँ यूरोपीय समुदाय के देशों के बीच वस्तुओं, व्यक्तियों, सेवाओं व पूँजी का मुक्त आवागमन हो सके।

1973 में तीन अन्य देश- इंग्लैंड, आयरलैंड तथा डेनमार्क- यूरोपीय समुदाय में सदस्य बने। 1973 में जहाँ इसकी सदस्यता थी, वह 1 जनवरी 1995 तक बढ़कर 15 हो गयी। जो अन्य देश इसके सदस्य बने, वे हैं ग्रीस (1981), स्पेन व पुर्तगाल (1986) तथा आस्ट्रिया, फिनलैंड तथा स्वीडन (1955 )।

1958 से 1992 के बीच कई ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएँ हुई जिनकी वजह से यूरोपीय समुदाय का रूप परिवर्तन हुआ और आज वह यूरोपीय यूनियन के रूप में स्थापित है। 1973 में यूरोपीय मैद्रिक सहयोग के संविधान पर हस्ताक्षर हए । युरोपीय मौद्रिक व्यवस्था 1990 से लागू होगी। यूरोपीय समुदाय के इतिहास में एकल यूरोपीय अधिनियम 1986 तथा यूरोपीय यूनियन की मौस्ट्रिस्ट संधि (1992) मील के पत्थर माने जा सकते हैं। पहला 1987 के जुलाई महीने से कारगर है जबकि दूसरा 1 नवम्बर 1993 से लागू है। पहले के अंतर्गत पहली जनवरी 1993 तक एकल बाजार स्थापित कर लेने की बात की गयी थी। मौस्ट्रिस्ट संधि की कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ थीं । कम से कम 1 जनवरी 1997 तक या ज्यादा से ज्यादा 1999 तक साझी अथवा एकल मुद्रा प्रचलित करना, एक यूरोपीय केन्द्रीय बैंक की स्थापना करना, साझी विदेश व सुरक्षा नीति का निर्माण करना तथा एकल यूरोपीय नागरिकता का प्रावधान करना। इसका काम सदस्य राज्यों को एकल समुदाय में परिवर्तित करना था। इसके अंतर्गत अर्थव्यस्था के प्रत्येक क्षेत्र को शामिल करने की कोशिश की गई है । कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे वस्तुओं व श्रमिकों का मुक्त आवागमन, प्रतिष्ठान स्थापित करने तथा सेवाओ की स्वतंत्रता, पूँजी व भुगतान, स्पर्धा नीति, शोध व प्रौद्योगिकी तथा औद्योगिकी नीति की निर्बाध अदलाबदली, को रेखांकित किया जा सकता है।

संघीय ( यूरोपीय ) नागरिकता की बात मौस्ट्रिस्ट संधि की महत्वपूर्ण विशेषता मानी जा सकती है। यह संधि संघीय नागरिकों को किसी भी सदस्य राज्य में रहने, अध्ययन करने और अवकाश प्राप्ति के बाद अपना जीवन बिताने का अधिकार प्रदान करती है। शुरू में यह अधिकार कामगारों तक ही सीमित था, किंतु अब सभी इसका लाभ उठा सकते हैं। संघीय नागरिकों को सदस्य राज्य, जहाँ वे निवास करते हैं के नगरपालिका चुनावों में बतौर उम्मीदवार खड़ा होने और मतदान करने का अधिकार प्राप्त है। इसके गहरे निहितार्थ हैं। वास्तव में कुछ सदस्य राज्यों को इसे संभव बनाने के लिए अपने संविधानों में संशोधन करना पड़ा था। मालूम हो कि संघीय नागरिकता और राष्ट्रीय नागरिकता एक ही साथ प्रदान किये जाते हैं ताकि लोग अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाये रख सकें। फिर भी हमें यह तो स्वीकार करना ही होगा कि संघीय नागरिकता संधि की खोज है और इस बात का प्रमाण है कि यूरोपियन यूनियन धीरे धी आर्थिक समुदाय से राजनीतिक समुदाय में तब्दील होती जा रही है।

 संस्थाएँ और अंग
यूरोपीय यूनियन सात प्रधान अंगों के जरिये कार्य करता है। ये हैं:
1) यूरोपीय यूनियन परिषद: यह मुख्य निर्णयकारी संस्था है। इसमें 15 सदस्य राज्यों के मंत्री शामिल होते हैं। एजेंडा के अनुरुप अलग-अलग मंत्री परिषद की अलग-अलग बैठकों में हिस्सा लेते हैं। यह संघीय कानूनों (विनियमों, निर्देशों एवं फैसलों ) का निर्माण करती है। इसके फैसले यूरोपिय संघ के पूरे क्षेत्र में लागू होते हैं तथा अंतरसरकारी सहयोग के लिए दिशा निर्देश दे सकती है। प्रत्येक छह महीने पर परिषद की सदस्यता सदस्य राज्यों के बीच बदलती रहती है। प्रत्येक अध्यक्ष के प्रशासन काल की समाप्ति पर पारषद की शीर्ष बैठक होती है जिसमें राज्याध्यक्ष अथवा सरकार के प्रमुख हिस्सा लेते हैं।
2) यूरोपीय संसद (ई.पी.): इसके सदस्यों की संख्या 626 है। 1979 से ये सदस्य पाँच सालों के लिए सीधे चुनाव द्वारा चुने जाते हैं । यूरोपीय संसद राजनीतिक समूह का निर्माण करते हैं, न कि राष्टीय समह का। यह यूरोपीय संघ के लिए राजनीतिक मंच का कार्य करता है। जहाँ सार्वजनिक महत्व के मसलों पर चर्चा की जाती है तथा परिषद एवं आयोग के बारे में प्रश्न उठाए जाते हैं। यह यूरोपीयन संघ के बजट को स्वीकार अथवा अस्वीकार कर सकता है।
3) यूरोपीय आयोग: इन सभी समुदायों (यूरोपीय कोयला व स्टील समुदाय यूरोपीय आर्थिक समुदाय तथा यूरेटॉम) को मिलाकर एकल आयोग का निर्माण तब किया गया था, जब संधि, जिसके तहत सभी अधिशासियों का विलयन कर दिया गया था। 1967 के जुलाई महीने से कारगर हुई।
4.) दि कोर्ट आफ जस्टिस: यूरोपीय संघ के कानूनों की व्याख्या करता है तथा इसके फैसले सबके लिए बाध्यकारी होते हैं । इसमें 15 न्यायाधीश तथा उन्हें सहायता देने वाले 6 महाधिवक्ता होते हैं। प्रथम दृष्टया अदालत जिसे सीमित क्षेत्रों में केस की सुनवाई करने का अधिकार होता है, कोर्ट आफ जस्टिस की मदद करता है।
यूरोपीय संघ के दूसरे निकाय हैं – कोर्ट आफ ओडीटर्स (15 सदस्य), आर्थिक व सामाजिक समिति (222 सदस्य), तथा क्षेत्रीय समिति (222 सदस्य)। दूसरा निकाय नियोक्ताओं, कर्मचारियों तथा दूसरे अनेक समूहों जैसे कृषकों व उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करता है जबकि तीसरा निकाय स्थानीय व क्षेत्रीय प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व करता है।

विश्व राजनीति में इसकी भूमिका और भविष्य
पिछले चार दशकों में यूरोपीय संघ दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक खंड तथा आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है। नये सदस्यों को आकर्षित करने में यह चुंबक की तरह कार्य करता रहा है और आज इसकी कुल आबादी तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद भूतपूर्व और वर्तमान महाशक्तियों यानी अमरीका व रूस के योग के समतुल्य है। स्मरण रहे, यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए हंगरी व पोलैंड के आवेदन अप्रेल 1994 से पड़े हुए है। यह धीरे धीरे वृहत्तर यूरोपीय समन्वय तथा संघवाद की ओर बढ़ रहा है। संभव है, एक निश्चित अवधि में यह संयुक्त राज्य यूरोप बन जाये । यह महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में है। नतीजतन यह सोवियत संघ के विखंडन से पैदा हुई खाई को भरने में सक्षम है। मालूम हो, सोवियत संघ 1945 से एकमात्र दूसरी महाशक्ति रहा था । वर्तमान एक ध्रवीय विश्व राजनीति में इसकी रचनात्मक भूमिका सत्ता-संतुलन फिर से बहाल कर सकती है।