कुलीन तंत्र की परिभाषा क्या है | कुलीनतंत्र का अर्थ किसे कहते है elite systems in hindi इतिहास कुलीन तंत्र का कब्रिस्तान है

इतिहास कुलीन तंत्र का कब्रिस्तान है (elite systems in hindi) कुलीन तंत्र की परिभाषा क्या है | कुलीनतंत्र का अर्थ किसे कहते है ?

शब्दावली

कुलीन तंत्र ः ऐसी सरकार या राज्य जिस पर एक विशेषाधिकारों से संपन्न वर्ग का शासन होय थोड़े से श्रेष्ठ माने जाने वाले लोगों से बनी और शासित सरकार।
अकाट्य अधिकार ः ऐसे महत्वपूर्ण और पवित्र अधिकार जो आपातकालीन अवस्था को छोड़कर किसी भी परिस्थिति में छीने न जा सकें।
अधिकार विधेयक ः 1688 की क्रांति के बाद 1689 में इंग्लैण्ड के राजा/सनी द्वारा हस्ताक्षरित एक चार्टर जो यह व्यवस्था करता था कि इसके बाद राजा संसद की सलाह के अनुसार काम करेगा।
क्रांति ः किसी समाज में शासन के स्वरूप या जनता के जीवन में किसी परिवर्तन को क्रांति कहते हैं।
तानाशाही ः ऐसा राज्य जिसमें सभी शक्तियाँ एक तानाशाह के हाथों में हो और जो
जनता के आगे जवाबदेह न हो।
धर्म-आधारित राज्य ः शासन की ऐसी प्रणाली या रूप जिसमें राजनीति पर धर्म का वर्चस्व हो, इसमें सरकार पर तत्ववादियों का नियंत्रण होता है।
धर्मनिरपेक्ष राज्य ः शासन की ऐसी प्रणाली या रूप जिसमें धर्म और राजनीति एक दूसरे से अलग होंय इसमें राजनीति में धर्म की भूमिका नहीं होती।
निरपेक्ष शासन ः शासन की संपूर्ण और असीमित शक्तियों का व्यवहार।
निरंकुश शासन ः ऐसी सरकार जिसमें शासकगण नियम-कायदों की परवाह किए बिना मनमाने ढंग से शासन करते हों।
भीड़तंत्र ः अशिक्षित जनता का, भीड़ का, जनसमूह का शासन।
मानववाद ः चिंतन या कर्म की ऐसी प्रणाली जिसमें मानवीय हितों, जीवन मूल्यों, गरिमा आदि को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
मैग्ना कार्टा ः इंग्लैण्ड में स्वाधीनताओं का ऐसा महान घोषणापत्र जिसे अंग्रेज बैरनों ने 1215 में सम्राट जान से बलपूर्वक प्राप्त किया।
राजतंत्र ः ऐसा राज्य या सरकार जिसमें सर्वोच्च सत्ता वास्तव में या कहने भर के लिए एक पुश्तैनी राजा में निहित हो।
राष्ट्रपतीय प्रणाली ः ऐसी शासन प्रणाली जिसमें कार्यपालिका विधायिका में से नहीं चुनी जाती और उसके आगे जवाबदेह नहीं होती। शासन के ये दोनों अंग एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं।
लोकतंत्र ः जनता का, जनता के द्वारा, और जनता के लिए शासन।
शासन व्यवस्था ः ऐसी शासन प्रणाली जिसमें जनता स्वयं के लिए शासन करती है। अरस्तू ने इसे लोकतंत्र का शुद्ध रूप माना था।
सर्वाधिकारवाद ः ऐसी सरकार या राज्य जिसमें हर काम शासक वर्ग करता है। प्रायः ऐसी प्रणाली एकाधिकारवादी शासन को जन्म देती है।
संघ ः यह केन्द्र की दिशा में या विपरीत दिशा में गठित एक राजनीतिक इकाई है। इसमें एक ओर संघीय या केन्द्रीय सरकार होती है जो अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली होती है और दूसरी ओर संघ बनाने वाली इकाइयों की अपेक्षाकृत कम शक्तिशाली सरकारें होती हैं।
संसदीय प्रणाली ः ऐसी शासन प्रणाली जिसमें कार्यपालिका और विधायिका का आपस में घनिष्ठ संबंध होता है। इसमें कार्यपालिका विधायिका में से ही आती है और उसके प्रति जवाबदेह होती है।
स्वतंत्रता ः बंधन की अपेक्षा स्वाधीनता की दशाय बाह्य नियंत्रण से मुक्तिय अपने ढंग से अपने कार्यों का निश्चय करने की शक्ति।
कुछ उपयोगी पुस्तकें
ओल्डफील्ड, ए (1990) : सिटिजनशिप एंड कम्युनिटी : सिविक रिपब्लिकनिज्म एंड द माडर्न वर्ल्ड, लंदन व न्यूयार्कः रुटलेज
पेटिट, पी. (1977) : रिपब्लिकनिज्मः ए थ्योरी ऑफ फ्रीडम एंड गवर्नमेंट आक्सफर्डः आक्सफर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस।
लर्नर, आर. (1987)ः द थिंकिंग रिवाल्यूशनरी : प्रिंसिपुल एंड प्रेक्टिस इन द न्यू रिपब्लिक, इथाका, न्यूयार्क, कार्नेल यूनिवर्सिटी प्रेस।

गणराज्यवादी प्रवृत्तियाँ
आज गणराज्यवाद एक अद्वितीय गतिशील धारणा है। यह अपने शास्त्रीय रूप से अलग है। शास्त्रीय गणराज्यवाद का संबंध शासन के सिद्धान्त से था जबकि आधुनिक गणराज्यवाद ने इसमें स्वतंत्रता का एक सिद्धान्त भी जोड़ा है। आज की प्रवृत्ति यह है कि इसमें कुछ और अर्थात् एक नागरिकता का सिद्धान्त भी जोड़ा जाए। गणराज्यवाद ऐसी नागरिकता का प्रस्ताव करना चाहता है जो केवल उनके अधिकारों से नहीं, उनके कर्तव्यों से भी, अपने राज्य के प्रति उनके दायित्वों से भी जुड़ी हुई हो।

गणराज्यवाद अब स्थानीय स्तर से आगे बढ़कर राष्ट्रीय और भूमंडलीय स्तर पर कार्यरत है। आज यह क्षेत्रीय स्तर तक सीमित नहीं हैय राष्ट्रीय सरकारें भी तेजी से गणराज्यवादी प्रणाली को अपना रही है। आशा है जल्द ही पूरी दुनिया गणराज्यवाद को अपनाएगी।

गणराज्यवाद अपने नैतिक सरोकार भी दिखा रहा है। उस सीमा तक यह जन-भावना, सम्मान और देशभक्ति जैसे नागरिक गुणों में व्यक्त हो रहा है। इसका आकर्षण यह है कि यह व्यक्तिवादी उदारवाद का विकल्प प्रस्तुत करता है। यह इसलिए लुभाता है क्योंकि यह एक प्रकार के नागरिक मानववाद का प्रतिपादन करता है और वैयक्तिक उपलब्धि के स्रोत के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र की पुनर्प्रतिष्ठा करता है।

बोध प्रश्न 4
नोटः क) अपने उत्तरों के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर मिलाइए।
1) गणराज्यवाद की उभरती प्रवृत्तियों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। (उत्तर दस पंक्तियों तक सीमित रखें।)