Disarmament in hindi esaay meaning and arms control निरस्त्रीकरण का अर्थ क्या है | परिभाषा किसे कहते है निरस्त्रीकरण की आवश्यकता, निबन्ध निःशस्त्रीकरण |
निरस्त्रीकरण का तर्क
निरस्त्रीकरण की अवधारणा इस समझ पर आधारित है कि अस्त्र-शस्त्रों की उपस्थिति या भण्डारण से तनाव पैदा होता है और जिसकी परिणति युद्ध में बदल सकती है। हथियारों के भंडारण से राज्यों के आपसी संबंधों में संदेह, कटुता और शत्रुता की भावना पैदा होती है। राज्यों के बीच पारस्परिक विश्वास पैदा करने और शत्रुता एवं युद्धों की समाप्ति के लिए निरस्त्रीकरण के तर्क के आर. अस्त्र-शस्त्रों की समाप्ति की जरूरत होती है, क्योंकि वे ही इन सब बुराइयों की जड़ हैं।
मानव सभ्यता को शांतिपूर्ण बनाए रखने और उसकी प्रगति के लिए निरस्त्रीकरण अत्यंक आवश्यक है। हथियारों की बढती हुई होड़, सैन्य शक्ति में बढोत्तरी और अस्त्र-शस्त्रों की तकनीक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर बढ़ते निवेश से मानव जाति की प्रगति और शांति के लिए नया खतरा पैदा हो गया है। नाभिकीय (परमाणु अस्त्रों के आविष्कार से एक और विश्वयुद्ध की स्थिति में दुनिया में प्रलय और मनुष्य जाति की समाप्ति का खतरा पैदा हो गया है। निरस्त्रीकरण से ही दुनिया में प्रलय के भय को समाप्त करके तनाव मुक्त वातावरण बनाया जा सकता है। इसलिए लोगों में निरस्त्रीकरण की चेतना प्रबल हुई है। परिष्कृत सैन्य प्रौद्योगिकी के आविष्कार और विकास से सभी देश असुरक्षित महसूस करते हैं। सैन्य सुरक्षा के मामले में किसी भी देश का पूरी तरह आत्म निर्भर होना असंभव हो गया है। इसलिए निरस्त्रीकरण ही दुनिया को सुरक्षित रखने का एकमात्र रास्ता है।
सैन्य उद्योग में अंधाधुंध निवेश की प्रवृत्ति के चलते बहुत सा धन और उपयोगी संसाधन, जिन्हें विकास कार्यों में लगाया जा सकता है, हथियारों की होड़ में खप जाते हैं। सैन्य उद्योग में निवेश में बढोत्तरी के परिणामस्वरूप दुनिया के एक बड़े हिस्से में बढ़ती हुई गरीबी और भी तेजी से बढ़ने लगेगी तथा सभी देशों में सामाजिक तनाव विस्फोटक स्थिति में पहुँच जाएगा। सुरक्षा में होने वाले भारी खर्चों में कमी तभी संभव है जब कम से कम आंशिक निरस्त्रीकरण का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
बोध प्रश्न 1
टिप्पणी: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर की तुलना कीजिए।
1) निरस्त्रीकरण के तर्क की व्याख्या कीजिए।
बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) हथियारों के आविष्कार, युद्धों में विनाश, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान ने परमाणु बम के विस्फोट के प्रभाव, विकासशील विश्व में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अधिक संसाधनों की जरूरत आदि निरस्त्रीकरण की आवश्यकता के प्रमुख आधार हैं।
निरस्त्रीकण का संक्षिप्त इतिहास
निरस्त्रीकरण की अवधारणा बहुत पुरानी है। बहुत पहले से ही यह अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का औजार रहा है। इसका इतिहास 546 ई. पू. में खोजा जा सकता है जब आपस में युद्धरत चीन के रजवाड़ों ने एक सम्मेलन में निरस्त्रीकरण की एक संधि पर हस्ताक्षर करके लंबे समय से चले आ रहे आपसी युद्धों के अंत की घोषणा की थी।
आधुनिक काल में निरस्त्रीकरण के सरोकार में वृद्धि हुई है। इस दिशा में पश्चिमी देशों और एक दूसरे के प्रति गहरी बैठी आशंका और अविश्वास के चलते सारे प्रयास असफल रहे। इस संबंध में पश्चिमी शक्तियाँ और रूस ने विशेष रूप से प्रयास किए किन्तु, निरस्त्रीकरण के जो प्रस्ताव पेश किए जाते रहे हैं इनमें प्रस्तावक के हितों की रक्षा पर विशेष जोर रहता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस युग में सफल और स्थाई निरस्त्रीकरण की संधियाँ ही नहीं हुई। 1817 में अमरीका और इंग्लैंड ने अमरीका कनाडा सीमा क्षेत्र को सैन्य बल से मुक्त रखने का समझौता किया था। रूसबगौट समझौते के नाम से जाना जाने वाला यह समझौता आज भी जारी है।
पहला अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण सम्मेलन 1899 में हेग में आयोजित हुआ था। इसमें लगभग सभी प्रमुख यूरोपीय देशों ने हिस्सा लिया था। सम्मेलन बिना किसी खास सफलता के समाप्त हो गया था। लेकिन फिर भी सम्मेलन में कुछ घातक हथियारों की पाबंदी के प्रस्ताव पारित हुए जिसमें राज्यों से पैसा रची में कटौती करने को कहा गया था जिससे उस धन को विकास कार्यों में लगाया जा सका।
हेग में ही, दूसरा अंतर्राष्ट्रीय निरस्त्रीकरण सम्मेलन 1907 में हुआ। यह सम्मेलन भी विभिन्न देशों के बीच हथियारों की बढ़ती होड़ को रोकने में असफल रहा। 1914 में जब प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ गया तो युद्ध में शरीक सभी देशों ने विभिन्न सम्मेलनों और बैठकों में दिए आश्वासनों और प्रतिबद्धताओं को भूलकर सभी ने समझौतों को तोड़ डाला था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद, 1920 में “लीग ऑफ नेशन्स्’’ (राष्ट्र संघ) नाम से पहले अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना हुई। यह दरअसल, निरस्त्रीकरण से संबंधित मुद्दों पर बहस के लिए मंच के रूप में काम करने लगा। लीग के घोषित उद्देश्यों में निरस्त्रीकरण प्रमुख मुद्दा था। लीग के तत्वाधान में निरस्त्रीकरण पर अध्ययन हुए तथा सम्मेलन आयोजित किए गए। 1932 में लीग ऑफ नेशन्स ने प्रथम निरस्त्रीकरण सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में निरस्त्रीकरण के बारे में प्रक्रिया संबंधी चर्चा की गई थी।
लीग ऑफ नेशन्स के अलावा भी निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन होते थे। अमरीका ने 1922 में वाशिंगटन में एक नौसेना सम्मेलन का आयोजन किया था। वाशिंगटन सम्मेलन में युद्धपोतों के आकार और उनकी क्षमता को सीमित रखने का प्रस्ताव पारित हुआ। सम्मेलन ने अगले दस सालों के लिए युद्धपोतों के निर्माण पर प्रतिबंध लागू करने का भी प्रस्ताव पारित किया। वाशिंगटन संधि के तहत प्रशांत महासागर में जहाँ तहाँ नौसैनिक अड्डे बनाने पर भी पाबंदी लग गई।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुए व्यापक विनाश और जापान में अमरीका द्वारा गिराये गये परमाण बमों के विस्फोट के तत्कालीन और दूरगामी भयावह परिणामों से लोगों में शांति और निरस्त्रीकरण की चेतना बढ़ी। युद्ध की समाप्ति पर एक विश्व संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ की पहली ही आम सभा में संयुक्त राष्ट्र परमाणु ऊर्जा आयोग (यू एन ए ई सी) का गठन किया गया। इस आयोग का काम है, हथियारों की होड़ खत्म करने की दिशा में विशिष्ट संस्तुतियाँ पेश करना । संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने इस आयोग को विकास कार्यों में शातिपूर्ण उपयोग की योजना बनाने की भी जिम्मेदारी सौंपी है।
बोध प्रश्न 2
टिप्पणी: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर की तुलना कीजिए।
1) प्रथम निरस्त्रीकरण समझौता कब हुआ और इस पर हस्ताक्षर करने वाले कौन-कौन से देश थे ?
2) निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
क) रूस-बगौट समझौता
ख) हेग निरस्त्रीकरण सम्मेलन
ग) प्रथम विश्व निरस्त्रीकरण अधिवेशन
घ) संयुक्त राष्ट्र परमाणु ऊर्जा आयोग (यूएन ए ई सी)
बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) 546 ईसा पूर्व विभिन्न चीनी शासकों के सम्मेलन ।
2) क) 1817 में अमरीका-कनाडा सीमा को सैन्य मुक्त रखने के लिए अमरीका और इंग्लैंड के बीच हुआ यह समझौता आज भी लागू है।
ख) हेग, निरस्त्रीकरण सम्मेलन पहली बार 1899 में हुआ और दूसरी बार 1909 में। पहले सम्मेलन ने कुछ घातक हथियारों पर पाबांदी लगाई, सैन्य बजट में कमी और विकास बजट में बढोत्तरी पर जोर दिया। दूसरा सम्मेलन हथियारों की होड़ रोकने में असफल रहा।
ग) लीग ऑफ नेशन्स के तत्वाधान में पहला निरस्त्रीकरण सम्मेलन 1932 में हुआ। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुए।
घ) संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1946 में संयुक्त राष्ट्र परमाणु आयोग (यू एन ए ई सी) का गठन किया। इसका उद्देश्य परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण उपयोग की योजना बनाना था।
निरस्त्रीकरण समझौते और संधियाँ
द्वितीय विश्वयुद्ध के भयावह परिणामों को देखते हए निरस्त्रीकरण के प्रयासों में तेजी आई। तुरन्त बाद अमरीका ने एक प्रस्ताव रखा जिसे बरूच योजना के नाम से जाना जाता है। अमरीकी योजना के प्रत्युत्तर में सोवियत संघ ने भी एक योजना प्रस्तावित की जिसे ग्रामिको योजना के नाम से जाना जाता है। ग्रोमिको योजना के प्रावधान बरूच योजना के प्रावधानों के विपरीत थे। इन योजनाओं की असफलता के बाद दोनों पक्षों ने कई अन्य प्रस्ताव प्रस्तुत किए। 1955 में अमरीका ने मुक्त आकाश योजना (ओपन स्काई प्लान) प्रस्तावित की। यह योजना भी नामंजूर हो गई। इन प्रस्तावों के स्वरूप ऐसे बनाए गए थे कि प्रस्तावक पक्ष का अपने हथियारों के भंडार पर एकाधिकार अनिश्चित काल के लिए बना रहे।
1960 के दशक की शुरूआत से निरस्त्रीकरण आंदोलन में तेजी आने लगी। 1950 के दशक में अमरीका और सोवियत संघ दोनों ही देशों की सरकारों में बदलाव आया। अमरीका में 1952 के चुनाव से आइजन हावर अमरीका के राष्ट्रपति बने और स्टालिन की मृत्यु के बाद सोवियत संघ के नेतृत्व में परिवर्तन हुआ। इसके अलावा अब तक सोवियत संघ ने भी नाभिकीय अस्त्रों की क्षमता हासिल कर ली थी। अमरीका की तरह सोवियत संघ भी परमाणु शक्ति बन गया। इन घटनाओं ने निरस्त्रीकरण का पथ प्रशस्त किया।
1963 में निरस्त्रीकरण के एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। इस समझौते के तहत वातावरण (आकाश और जल) में परमाणु परीक्षण प्रतिबंध कर दिया गया। अंतरिक्ष में परमाणु अस्त्रों की तैनातगी रोकने के लिए 1967 में एक और संधि पर हस्ताक्षर हुए। 1968 में परमाणु अप्रसार संधि (एन पी टी पर हस्ताक्षर हुए। इस संधि ने किसी नए देश को परमाणु शक्ति हासिल करने पर पाबंदी लगा दी। भारत समेत कई देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए। भारत इस संधि को भेदभावपूर्ण मानता है। 1971 में एक अन्य संधि हुई जिसके तहत समुद्र तटों और सागार की तलहटी में परमाणु अस्त्र तैनात करने पर पाबंदी लगा दी गई। 1972 में जैविक हथियारों को प्रतिबंधित करने के लिए एक सम्मेलन आयोजित हुआ। सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि के लिए, अमरीका और सोवियत संघ के बीच 1970 के दशक की शुरूआत से ही वार्ताओं का दौर प्रारंभ हो गया। पहली सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि (साल्ट-1 पर 1972 में और साल्ट-2 पर 1979 में दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए। पहले साल्ट समझौते का प्रमुख सरोकार प्रक्षेपास्त्र निरस्त्रीकरण (ए बी एम – एंटी बैलिस्टिक मिसाइल) प्रणाली के भंडारण का परिसीमन करना है। इसी सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – साल्ट-2 की वार्ता की शुरूआत 1974 में हुई और 1979 में अमरीका और सोवियत संघ ने संधि को अंतिम रूप देते हुए उस पर हस्ताक्षर किए। इस संधि की शर्तों के अनुसार संधि के दोनों पक्षों को अपने सामरिक हथियारों का एक हिस्सा नष्ट करना था। लेकिन इस संधि की अभिपुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। अमरीकी सीनेट ने संधि की अभिपुष्टि नहीं की। इसे बिना अधिकारिक सम्मति के ही लागू किया गया। अमरीका और सोवियत संघ ने 150 किलो टन से ज्यादा के विस्फोट के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने वाली एक संधि पर 1974 में हस्ताक्षर किए थे। यह संधि भी अभिपुष्ट नहीं हो पाई है। 1987 में अमरीका और सोवियत संघ ने मध्यम दूरी परमाणु शक्ति (आई एन एफ) संधि पर हस्ताक्षर किये। इस संधि में दोनों देशों द्वारा जमीन पर तैनाव मध्यम दूरी के प्रक्षेपास्त्रों को नष्ट करने का अनुमोदन किया गया था। इन समझौतों से विश्व को घातक हथियारों से मुक्ति तो नहीं मिल पाई है, फिर भी निरस्त्रीकरण के उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में कुछ प्रगति तो अवश्य हुई है।
बोध प्रश्न 3
टिप्पणी: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर की तुलना कीजिए।
1) निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
क) एन पी टी
ख) साल्ट
बोध प्रश्न 3 उत्तर
1) क) परमाणु अप्रसार संधि 1968 में संपन्न हुई। इसकी अवधि 25 वर्ष तय की गई थी।
ख) साल्ट-1 और साल्ट-2 अमरीका और सोवियत संघ के बीच हुई संधि है। यह सामारिक अस्त्र परिसीमन संधि है।
निरस्त्रीकरण और शांति आंदोलन
इकाई की रूपरेखा
उद्देश्य
प्रस्तावना
निरस्त्रीकरण का तर्क
निरस्त्रीकरण का संक्षिप्त इतिहास
निरस्त्रीकरण के समझौते और संधियाँ
शांति की अवधारणा
शांति आंदोलन
भारत, शांति आंदोलन और निरस्त्रीकरण
भारत और एन पी टी
भारत और सी टी बी टी
सारांश
शब्दावली
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बोध प्रश्नों के उत्तर
उद्देश्य
निरस्त्रीकरण और शांति मानव जाति के वांछित उद्देश्य हैं। इस इकाई के अध्ययन के बाद आपः
ऽ निरस्त्रीकरण और शांति की अवधारणाओं को परिभाषित कर सकेंगे,
ऽ दुनिया में निरस्त्रीकरण और शांति के आंदोलनों का इतिहास खोज सकेंगे, और
ऽ अभी तक की निरस्त्रीकरण संधियों पर भारत की भूमिका और विचार के बारे में चर्चा कर सकेंगे।
प्रस्तावना
किसी राज्य द्वारा सैन्य शक्ति तथा हथियारों में कटौती करने की प्रक्रिया को निरस्त्रीकरण कहते हैं। निरस्त्रीकरण के रास्ते का चुनाव कोई राज्य या तो स्वेच्छा से करता है या फिर बाह्य शक्तियों के दबाव में आकर करता है अथवा क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय संधियों के तहत करता है। निरस्त्रीकरण आंशिक रूप से हो सकता है या फिर व्यापक रूप से भी हो सकता है। आंशिक निरस्त्रीकरण का अभिप्राय ज्यादा खतरनाक समझे जाने वाले विशेष प्रकार के हथियारों में कटौती करना है। समग्र या व्यापक निरस्त्रीकरण का अभिप्राय है सभी प्रकार के हथियारों की समाप्ति करना है। समग्र निरस्त्रीकरण एक आदर्श स्थिति है और आंशिक निरस्त्रीकरण एक व्यावहारिक उपाय है जिसका अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मौजूदा संदर्भ में निरस्त्रीकरण के हिमायती देश आंशिक निरस्त्रीकरण की ही बात करते हैं। घोषित अंतिम लक्ष्य तो सामान्य या संपूर्ण निरस्त्रीकरण ही है लेकिन तात्कालिक मूलभूत चिंता विध्वंसक हथियारों में कटौती करने की है।