relative permittivity meaning in hindi , परावैद्युतांक की परिभाषा क्या है dielectric constant in hindi , आपेक्षिक विद्युत शीलता , वैद्युतशीलता , विशिष्ट परावैधुतता :-
dielectric constant in hindi परावैद्युतांक : जब दो समान परिमाण वाले आवेशों को एक समान दूरी पर रखकर विभिन्न माध्यमों में कार्यरत विद्युत बल का मान ज्ञात किया तो कूलॉम ने यह पाया की भिन्न भिन्न माध्यमों में विद्युत बल का मान अलग अलग प्राप्त होता है अर्थात दोनों आवेशों के मध्य का माध्यम बदलने पर विद्युत बल का मान भी भिन्न होता है।
कुछ माध्यम व उनके आपेक्षिक विद्युत शीलता के मान दिए गए है।
माध्यम
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परावैद्युतांक
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हवा
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1.00059
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काँच
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5 – 10
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अभ्रक
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3 – 6
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पैराफीन मोम
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2 – 2.5
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आसुत जल
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80
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निर्वात
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1
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ग्लिसरीन
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42.5
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रबर
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7
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ऑक्सीजन
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1.00053
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सुचालक
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अनंत
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कूलाम का नियम या व्युत्क्रम वर्ग नियम : प्रयोगों के आधार पर कूलॉम ने निम्न परिणाम दिए जिन्हें सम्मिलित रूप से कुलाम का नियम कहते है | दो बिन्दुवत आवेशों के बीच लगने वाले स्थिर वैद्युत बल का परिमाण दोनों आवेशो के गुणनफल के समानुपाती व दोनों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है |
F ∝ q1q2
तथा F ∝ 1/r2
अत: F ∝ q1q2/r2
F = Kq1q2/r2
यह केवल बिंदु आवेशो पर ही लागू होता है।
समानुपाती नियतांक (K) का मान निर्वात में SI पद्धति में 1/4πε0 द्वारा दिया जाता है और किसी अन्य माध्यम में 1/4πε द्वारा।
यदि आवेशों को किसी माध्यम में रखा जाए तो किसी एक आवेश पर स्थिर वैद्युत बल = (1/4πε0ε) (q1q2/r2) न्यूटन होगा। ε0 व ε क्रमशः निर्वात एवं माध्यम की विद्युतशीलता है। अनुपात ε/ε0 = εr को माध्यम की आपेक्षिक वैद्युतशीलता कहते है जो कि एक विमाहीन राशि है।
आपेक्षिक विद्युत शीलता εr का मान 1 से अन्नत के बीच होता है। परिभाषा से निर्वात के लिए यह 1 होता है। हवा के लिए लगभग 1 (गणनाओं के लिए एक के बराबर लिया जा सकता है। ) धातुओं के लिए εr का मान अन्नत होता है। तथा पानी के लिए 81 होता है। जिस पदार्थ में अधिक आवेश प्रेरित हो सकता है उसका εr अधिक होगा।
1/4πε0 का मान = 9 x 109 न्यूटन.मीटर2/कूलाम2
ε0 का मान = 8.85 x 10-12 कूलाम2/न्यूटन.मीटर2
ε का विमीय सूत्र = M-1L-3T4A2 है।
किसी एक आवेश द्वारा दुसरे आवेश पर बल सदैव दोनों आवेशो को जोड़ने वाली रेखा के अनुदिश होता है। यह दोनों आवेशो पर समान परिमाण में किन्तु विपरीत दिशा में लगता है। उस माध्यम पर आधारित नहीं है। जिसमे वे दोनों रहते है।
बल संरक्षी है अर्थात किसी भी आकृति के बंद लूप के अनुदिश एक बिन्दुवत आवेश को गति कराने में स्थिर विद्युतिकी बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।
चूँकि यह बल केन्द्रीय बल है अत: बाह्य बलों की उपस्थिति में एक कण का दुसरे कण के सापेक्ष कोणीय संवेग (द्वि-कण निकाय) संरक्षित रहता है।