कुटीर उद्योग (Cottage Industries in hindi) , विशेषता , उदाहरण , लघु पैमाने के उद्योग , लोहा इस्पात उद्योग

(Cottage Industries in hindi) , कुटीर उद्योग :

विशेषता :

  • साधारण पूंजी साधारण औजार , आधुनिक तकनीक।
  • परिवार के सदस्य ही श्रम कर रहे है।
  • स्थानीय स्तर पर ही कच्चा माल प्राप्त होता है।
  • परिवार के सदस्य ही सामानों को बाजारों में बेचते है।

कुटीर उद्योग के उदाहरण : कागज बनाना , टोकरी बनाना , वस्त्र या धागे बनाना , साधारण औजार बनाने का कार्य , जूते बनाना।

लघु पैमाने के उद्योग :

विशेषता :

  • अलग अलग परिवार द्वारा उद्योग
  • बाहर से कच्चा माल
  • कश्मीर में या बाजारों में
  • शक्ति के साधन (बिजली से चलने वाले साधन )
  • खिलोने , कागज , खाने का तेल , चमड़े का सामान

बड़े पैमाने : ज्यादा पूंजी वृहत स्तर पर उत्पादन प्रबंधन और प्रशासन सही रहना चाहिए। ज्यादा श्रमिको व ज्यादा उत्पादन , बहु राष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निर्यात बाहर देश सबसे ज्यादा शेयर वाला मालिक मुकेश अम्बानी।

उसी के पास ज्यादा मुनाफा होना गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

इसमें विशिष्टीकरण होता है।

उदाहरण : सीमेंट , लोहा इस्पात उद्योग , एल्युमिनियम उद्योग , सूती वस्त्र , रसायन उद्योग।

उत्पाद के आधार पर :

1. मुलभुत (अन्य उद्योगों में काम आये)

2. उपभोक्ता (उपभोग करने वाला) – वस्त्र , वाहन , बेकरी

स्वामित्व के आधार पर :

1. सार्वजनिक

2. निजी

3. संयुक्त क्षेत्र

1. सार्वजनिक : सरकार के अधिकारों में सभी के अधिकार होते है।

2. निजी : कुछ विशेष व्यक्तियों के समूह का अधिकार होते है।  जैसे : रिलायंस।

3. संयुक्त क्षेत्र : सरकारों का अधिकार + निजी क्षेत्र का अधिकार।  उदाहरण – एयरक्राफ्ट बनाने का कार्य।

विश्व के मूल्य निर्माण उद्योग :

1. लोहा इस्पात उद्योग
2. वस्त्र उद्योग , ऊनि वस्त्र उद्योग , सूती वस्त्र उद्योग , रेशमी वस्त्र उद्योग।
3. जुट उद्योग
1. लोहा इस्पात उद्योग : आधुनिक आद्योगिक उद्योग की आधारशील है –
विधियाँ :
  • ब्रेस्मिर विधि
  • उन्मुक्त भट्टी विधि
  • विद्युत भट्टी विधि
कच्चा पदार्थ :- कोक व चुना पत्थर
भट्टी से निकलने के बाद ठंडा लोहा प्राप्त होता है।  उसे कच्चा लोहा कहते है।
इस्पात बनाने के लिए कच्चे लोहा में मैगनीज मिलाया जाता है।
लौहा इस्पात उद्योग कच्चे पदार्थ के आस-पास ही लगाते जाते है क्योंकि परिवहन लागत कम हो और बचत हो।
उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यकता दशाएँ –
i. कच्चा पदार्थ :
  • भारक्षय – लोहा इस्पात
  • भारहीन – उद्योग
इसमें अज्वर होता है तो वह भारक्षय होता है।
लोहा इस्पात उद्योग :
  • कच्चा लोहा
  • चुना पत्थर
  • कोक (कोयला)
  • मैगनीज
भार क्षय :- लोहा इस्पात
स्थानीय स्तर पर कच्चा पदार्थ प्राप्त होता है , अगर इनके भार में क्षय नही होगा तो इनका निर्यात आस-पास के बाजारों में होता है।
उदाहरण : सूती वस्त्र।
उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कच्चा पदार्थ , पूँजी , तकनीक , श्रम , परिवहन के साधन ऊर्जा के साधन सरकार की नीतियाँ , बाजार।
ii. पूंजी : कई ऐसे उद्योग है जिसमे कम पूंजी लगती है व कई ऐसे उद्योग है जिनमे ज्यादा पूंजी लगती है।
iii. तकनीक : प्रोद्योगिक के बिना उद्योग स्थापित नहीं कर सकते। नयी तकनीक के उद्योग।
विद्युत चलित चरखो के द्वारा धागा बनाया जाता है , ये प्रोद्योगिक मुंबई में चलायी जाती है , भारत में नहीं थी वह यूरोप में थी।
जिस कारण यूरोप से मुंबई तक वस्तुओ का उत्पाद होता था।
iv. श्रम : उड़ीसा , झारखंड आदि , ये लोहा इस्पात उद्योग ज्यादा होता है।
v. परिवहन : अच्छे परिवहन के साधन।
vi. ऊर्जा उत्पादन : एल्युमिनियम उद्योग , ऊर्जा के साधन पर निर्भर है।  जल विद्युत द्वारा ऊर्जा उत्पादन किया जाता है।
बिहार , झारखंड , छत्तीसगढ़ की सीमा मिलती है वहां रेनकांट है वहां ऊर्जा के साधन है जहाँ सीन नहीं है जहाँ बाघ बने है जिससे ऊर्जा प्राप्त होती है।
vii. सरकार : सरकार ने अनुदान दिया है व्यापार सूती वस्त्र उद्योग का विकास व्यापार में हुआ है सरकार के अनुदान के कारण।
viii बाजार : जमशेदपुर लोहा इस्पात के पास कोलकाता बाजार है उद्योग स्थापना के लिए बाजार की निकरता जरुरी है।
ix. बैंकिंग व बीमा
लोहा इस्पात उद्योग : लौह इस्पात उद्योग विश्व की पुरानी चट्टानों में मिलता है।
महान झील के आसपास ज्यादा लोहा निकाला जाता है।
विश्व का सबसे बड़ा मोहर वाहन उद्योग डेट्रीयर है।
पिट्सवर्ग , शिकागो कराजास से अधिकांश लोहा का निर्यात कर दिया जाता है।

प्रश्न : उद्योग की अनिवार्यता को निर्धारित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिये।

उत्तर :

1. कच्चा पदार्थ : स्थानीय स्तर पर कच्चा पदार्थ प्राप्त होता है , कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को कच्चे माल के स्रोत के समीप ही स्थापित किया जाता है।

कच्चा पदार्थ 2 रूपों में होता है –

  • भारक्षय
  • भारहीन
भारक्षय : अगर कच्चे माल में क्षय नही होगा तो इनका निर्यात आस पास के क्षेत्रो में होगा।
2. पूँजी : कई ऐसे उद्योग है जिनमे कम पूंजी लगती है व कई ऐसे उद्योग है जिसमे ज्यादा पूंजी लगती है।
3. तकनिकी : तकनीक में प्रोद्योगिकी के बिना उद्योग स्थापित नहीं कर सकते , प्रोद्योगिक में विद्युत चलित चरखो के द्वारा धागा बनाया जाता है।  यह प्रोद्योगिक भारत में नहीं थी जिस कारण यूरोप से मुंबई तक वस्तुओ का उत्पाद होता था।
4. श्रम : उद्योगों को अब भी श्रमिको की अधिक आवश्कता होती है।  उड़ीसा , झारखंड आदि में लौह इस्पात ज्यादा होता है।
5. परिवहन : परिवहन लागत का औद्योगिक इकाई की उपस्थिति में महत्वपूर्ण स्थान होता है।  परिवहन में अच्छे पदार्थ साधन मिल जाते है।
6. ऊर्जा उत्पादन : एल्युमिनियम उद्योग ऊर्जा के साधन पर निर्भर है , जब विद्युत द्वारा ऊर्जा उत्पादन किया जाता है , ऊर्जा उत्पादन में बिहार , झारखंड , छत्तीसगढ़ की सीमा मिलती है , जहाँ बाँध बने है जिसमे ऊर्जा प्राप्त होती है।
7. सरकार : किसी देश की सरकार की नीतियाँ भी उद्योगों के विकास को प्रभावित करती है , वहां की सरकार ने अनुदान दिया है।  व्यापार सूती वस्त्र उद्योग का विकास व्यापार में हुआ है।
8. जलापूर्ति : जहाँ जल की आपूर्ति उपलब्धता अच्छी है।
9. जलवायु : जहाँ पर अनुकूल जलवायु मिलती है।
प्रश्न : विश्व का मानचित्र बनाकर लोहा इस्पात उद्योग स्पष्ट कीजिये। 
उत्तर :
  • लोहा इस्पात उद्योग प्राचीन चट्टान वाले क्षेत्रो में जहाँ धात्विक खनिज पाए जाते है।
  • सुपीरियन झील के ऊपर लोहे की सबसे बड़ी खान मिल जाती है , आस पास इस्पात है।
  • महान झील के आस पास लोहा इस्पात उद्योग है।
  • डेट्राइट्स में विश्व का सबसे बड़ा मोटर वाहन उद्योग है।
  • लोहा इस्पात उद्योग सिट्रसबर्ग , शिकागो में किया जाता है।
  • अधिलास लोहे का निर्यात कर दिया जाता है।