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स्थिर आयतन गैस तापमापी (constant volume gas thermometer in hindi)

(constant volume gas thermometer in hindi) स्थिर आयतन गैस तापमापी : यहाँ हम पढेंगे की स्थिर आयतन गैस तापमापी क्या है और यह किस सिद्धांत पर किस प्रकार से कार्य करता है और इसके क्या उपयोग है।
यह थर्मोमीटर इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि “किसी गैस की एक निश्चित मात्रा का स्थिर आयतन पर दाब का मान ताप के अनुक्रमानुपाती होता है। ”
यह तापमापी गैलुसाक के नियम पर आधारित होता है जो हमें बताता है कि जब एक आदर्श गैस तापमान बढाया जाता है तो उसका दाब का मान भी बढ़ता जाता है और इसी प्रकार जब एक आदर्श गैस का ताप घटता है तो उसका दाब का मान भी घटता जाता है , इसी सिद्धांत पर स्थिर आयतन गैस तापमापी कार्य करती है।

स्थिर आयतन गैस तापमापी का निर्माण (Construction of constant volume gas thermometer)

इस तापमापी यन्त्र में एक कांच का बल्ब होता है औरे इस बल्ब में एक मात्रा में बिलकुल हल्की गैस भरी जाती है और इस बल्ब का सम्बन्ध दाब मापने वाले यन्त्र अर्थात मोनोमीटर से कर दिया जाता है जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
मोनोमीटर एक ऐसा यन्त्र होता है जिसकी सहायता से दाब का मान ज्ञात किया जाता है , हम यहाँ मर्करी मोनोमीटर का प्रयोग कर रहे है , मरकरी मोनोमीटर में चित्रानुसार एक नली होती है जिसमे कुछ मर्करी भरी हुई होती है और यह नली दूसरी लचीली ट्यूब (नली) से लगी रहती है।  यह नली भी कुछ मरकरी द्वारा भरी हुई रह्रती है।
बड़ी नली को ऊपर निचे करके पहले मर्करी को संदर्भ बिन्दु (शून्य बिंदु) पर सेट कर लेते है। अब जिस द्रव का ताप का मान ज्ञात करना है उसे एक पात्र में डालकर उसमे बल्ब वाले भाग को डुबो दिया जाता है , आदर्श गैस में जब ताप बढ़ता है तो दाब का मान बढ़ता है और इस दाब के कारण नली में मरकरी का स्तर बढ़ता है और मर्करी के स्तर के आधार पर द्रव के ताप की गणना की जाती है।