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कार्बन यौगिको रसायनिक गुणधर्म , chemical properties of carbon compounds in hindi

chemical properties of carbon compounds in hindi , कार्बन यौगिको रसायनिक गुणधर्म  :-
इस article में हम कार्बन के यौगिको के रसायनिक गुणधर्मो में बारे में पढेंगे |
 
कार्बन यौगिको के रासायनिक गुणधर्म
कार्बन और कार्बन के यौगिको को इंधन के रूप में उपयोग किया जाता है
इसलिए इसकी रासायनिक अभिक्रिया को देखना हमारे लिए आवयशक है
1.दहन
कार्बन के सभी यौगिको को हवा की उपस्थिति में जलाने या दहन करने पर या फिर इसकी ऑक्सीजन के साथ
अभिक्रिया की जाये तो ये दहन के पश्चात कार्बनडाईऑक्साइड, उष्मा, प्रकाश देते है
इस प्रकिया को दहन कहते है
यह सारी अभिक्रिया ऑक्सीकरण
अभिक्रियाएँ कहलाती है
कार्बन को हवा की उपस्थिति में
जलाने या दहन करने पर कार्बनडाईऑक्साइड, उष्मा, प्रकाश देते है
C + O2 ——————> CO2 + उष्मा + प्रकाश

 

मेंथेन को हवा की उपस्थिति
में जलाया जाता है
तो वह कार्बन डाइऑक्साइड, वाष्प, उष्मा तथा प्रकाश देता है।
CH4 +2O2  —————–> CO2 + 2H2O +  उष्मा + प्रकाश

 

C2H5OH+3O2 —————–> 2CO2 + 3H2O + उष्मा + प्रकाश

 

संतृप्त हाइड्रोकार्बन का दहन
करने पर यह स्वच्छ ज्वाला के साथ जलता है जबकि असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का दहन करने  पर यह पीली ज्वाला के साथ जलता है  असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का दहन करने पर यह काफी
मात्रा में धुँआ
 भी देता है असंतृप्त
हाइड्रोकार्बन को जिस पेंदें में जलाया जाता है उसके नीचे काले रंग की परत जमा हो
जाती है जिसे कालिख कहते है
गैस या केरोसीन स्टोव में एक
या दो छेद बना देते  है क्योकि ईंधन के साथ
पर्याप्त मात्रा में हवा जा सके। जब यह छेद बाधित हो जाता है
, तो स्टोव जलने के क्रम में ब्लु लौ की जगह पीली लौ के साथ कालिख भी देते
है।
जब कार्बन और कार्बन के अपररूप
का दहन किया जाता है तो यह नाइट्रोजन , सल्फर के ऑक्साइड देते है क्योकि कार्बन
में नाइट्रोजन , सल्फर बहुत अधिक मात्रा में
होता है जो की जो प्रदूषण
का एक मुख्य कारण है ।
ऑक्सीकरण
कार्बन यौगिको को ओक्सीकारक
की
 उपस्थिति
जलाया जाता है तो यह
ओक्सीकारक इन् यौगिको को ऑक्सीजन प्रदान करते इनका ऑक्सीकृत
कर देते है इस प्रक्रिया को
ऑक्सीकरण कहते
है
ऐल्कोहॉलों को क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट अथवा अम्लीकृत
पोटैशियम डाइक्रोमेट की
उपस्थिति में क्रिया करवाने
पर
यह  उन्हें अम्लों में आक्सीकृत कर देते  हैं अर्थात यह ऐल्कोहॉलों में ऑक्सीजन को  जोड़ते हैं।

 

CH3-CH2-OH ———————-> CH3CHO 


कुछ पदार्थों
में अन्य पदार्थों को ऑक्सीजन देने की श्रमता होती है उन पदार्थों को
ओक्सीकारक कहते है

संकलन अभिक्रिया

असंतृप्त
हाईड्रोकार्बन
निकेल, पैलेडियम जैसे उत्प्रेरकों की
उपस्थिति में हाइड्रोजन, बोमीन, Cl etc  जोड़कर संतृप्त हाईड्रोकार्बन में परिवर्तित हो
जाता है जब एथिलीन को निकेल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाईड्रोजन से प्रतिक्रिया
करायी  जाती  है
, तो यह एथेन बनाता है।
CH2=CH2 + H2 —————-> CH3 -CH3 
अभिक्रिया के वेग को बढाने के
लिए जिन
पदार्थों
का उपयोग किया जाता है उत्प्रेरक कहलाते है लेकिन यह अभिक्रिया को प्रभावित नहीं
करते है
इस प्रकार की संकलन
अभिक्रियाएँ का उपयोग वेजिटेवल ऑयल का हाइड्रोजनीकरण करने में किया जाता है।
वेजिटेवल ऑयल
 में लम्बी श्रृंखला वाली असंतृप्त
हाइड्रोकार्बन
 होते हैं जबकि एनिमल वसा में संतृप्त हाइड्रोकार्बन
वाली श्रृंखला होती हैं।
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
वाली श्रृंखला हमारे लिए हानिकारक होती है इसलिए
असंतृप्त  वसा अर्थात वनस्पति से
प्राप्त तेल स्वास्थ्य के लिये अच्छा माना जाता है
इसी कारण खाना पकाने के लिए असंतृप्त हाइड्रोकार्बन वाले तेल का
इस्तेमाल किया जाता है।
प्रतिस्थापन
अभिक्रिया
संतृप्त
हाइड्रोकार्बन बहुत कम कियाशील होते हैं तथा अधिकांश अभिकर्मकों की उपस्थिति में
अक्रिय होते हैं। इस अभिकिया को कियाशील बनाने के लिए उत्प्रेरक की जरुरत होती है |
उत्प्रेरक की तरह
 सूर्य के प्रकाश की
उपस्थिति में अति तीव्र अभिक्रिया में क्लोरीन
हाइड्रोकार्बन में जुड़ जाता है । क्लोरीन एक-एक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं
का प्रतिस्थापन करती है। इसको प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं
, क्योंकि एक प्रकार का परमाणु, अथवा परमाणुओं के समूह दूसरे का स्थान
लेते हैं। 
उदाहरन :
अगर मीथेन के
अभिकिया क्लोरिन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन हो जाता
है | इससे से मेथेन मोनो क्लोरो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है |
CH4    + Cl2 ————–> CH3Cl + HCL
अगर मेथेन मोनो
क्लोरो के अभिकिया क्लोरिन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन
हो जाता है | इससे से मेथेन डाई क्लोरो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है |
CH3CL + CL2  ————–> CH2CL2 + HCL
अगर मेथेन डाई
क्लोरो के अभिकिया क्लोरिन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन
हो जाता है | इससे से मेथेन टेट्रा क्लोरो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है |
इस उत्पाद को क्लोरोफार्म कहते है |
CH2CL2 + CL2  ————–> CHCL3 + HCL
अगर क्लोरोफार्म के
अभिकिया क्लोरिन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन हो जाता
है | इससे से मेथेन टाई क्लोरो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है | इसका use अग्निशामक
यत्र मे किया जाता है |
CHCL3 + CL2  ————–>  CCL4
+ HCL
उदाहरन 2 :
अगर मीथेन के
अभिकिया ब्रोमीन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन हो जाता
है | इससे से मेथेन मोनो ब्रोमो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है |
CH4    + Br2 ————–> CH3Br + HBr
अगर मेथेन मोनो ब्रोमो
के अभिकिया ब्रोमीन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन हो जाता
है | इससे से मेथेन डाई ब्रोमो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है |
CH3Br + Br2————–> CH2Br2 + HBr
अगर मेथेन डाई ब्रोमो
के अभिकिया ब्रोमीन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन हो जाता
है | इससे से मेथेन टेट्रा ब्रोमो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है | इस उत्पा ब्रोमोफार्म
कहते है |
CH2Br2 + Br2————–> CHBr3 + HBr
अगर ब्रोमोफार्म के
अभिकिया ब्रोमीन की साथ की जाती है तब एक हाइड्रोजन परमाणु का प्रतिस्थापन हो जाता
है | इससे से मेथेन टाई ब्रोमो उत्पाद की तरह प्राप्त होता होता है | इसका use अग्निशामक
यत्र मे किया जाता है |
CHBr3 + Br2————–>  CBr4  + HBr