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Categories: chemistry

कोलॉइडी कण पर आवेश , कोलाइडी कणों पर विद्युत आवेश का कारण (charge on colloidal particles in hindi)

(charge on colloidal particles in hindi) कोलॉइडी कण पर आवेश , कोलाइडी कणों पर विद्युत आवेश का कारण : कोलाइड कणों पर आवेश उपस्थित रहता है , इन कणों या यह आवेश धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है , कोलाइडी विलयन का यह एक गुण होता है कि कोलाइड कणों पर एक समान आवेश सभी कणों पर विद्यमान रहता है।
चूँकि सभी कोलाइड कणों पर समान प्रकृति का आवेश रहता है और इस समान प्रकृति के आवेश के कारण सभी कण एक दुसरे पर प्रतिकर्षण बल आरोपित करते है जिससे जल्दी से ये कण विलयन में इनके स्कंदन होने से बचाता है , जितना आवेश कोलाइड कणों पर समान आवेश होता है उसके विपरीत आवेश परिक्षिप्त माध्यम के कणों पर उपस्थित रहता है जिससे सम्पूर्ण कोलाइड विलयन विद्युतीय उदासीन रहता है।

कोलाइड कणों पर आवेश का कारण

किसी भी कोलाइडी विलयन में विद्युत अपघट्य की कुछ न कुछ मात्रा अवश्य उपस्थित रहती है , कोलाइड विलयन के स्थायित्व के लिए इसमें हल्का सा विद्युत अपघट्य मिलाया जाता है।
विद्युत अपघट्य को कोलाइड विलयन से पूर्ण रूप से हटा देने से विलयन में कोलाइड कणों का स्कन्दन हो जाता है।
कोलाइडी कणों पर आवेश उत्पन्न होने के कुछ कारण निम्न है –
1. कोलाइड विलयन तैयार करने के लिए चक्की द्वारा पदार्थ के कणों को कोलाइड कणों में बदलने के लिए कोलाइडी चक्की का इस्तेमाल करते समय , इस चक्की के कारण घर्षण द्वारा कणों पर आवेश उत्पन्न हो सकता है।
2. जब धातुओं का कोलाइड विलयन बनाया जाता है उस समय धातुओं के कणों को परिक्षेपण माध्यम में डालने पर कई बार धातु के कण , परिक्षेपण माध्यम से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेते है और ऋण आवेशित हो जाते है अर्थात कोलाइड कण ऋणावेशित हो जाते है।
3. जब आयनिक कोलाइडी विलयन बनाया जाता है तो कोलाइड कण विलयन से उस आयन का अधिमान्य अधिशोषण कर लेते है जो विलयन में और आयनिक कोलाइड पदार्थ में उभयनिष्ठ होता है।  अर्थात जब परिक्षेपण माध्यम में दो या दो से अधिक आयन उपस्थित रहने पर कोलाइड कण उस आयन का अधिशोषण कर लेते जो आयन कोलाइड में भी उपस्थित हो।
जब हमें किसी कोलाइड विलयन के कणों के आवेश की प्रकृति ज्ञात करनी हो तो इसके लिए विद्युत कण संचलन विधि काम में ली जाती है जो निम्न है –
विद्युत कण संचलन : जब किसी कोलाइड विलयन को विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में रखा जाए तो कोलाइड कण आवेशित होने के कारण अपन से विपरीत आवेश इलेक्ट्रोड की तरफ गति करते है इसे ही विद्युत कण संचलन कहते है।
कोलाइडी विलयन में उपस्थित में धन आवेशित कण , कैथोड की तरफ गति करते है क्यूंकि कैथोड ऋण आवेशित रहता है।
इसी प्रकार कोलाइड विलयन के जिन कणों पर ऋण आवेश विद्यमान रहता है वे कण एनोड की तरफ गति करते है क्यूंकि एनोड धन आवेशित इलेक्ट्रोड होता है।
स्कंदन : हमने पढ़ा की कोलाइड कणों पर आवेश रहना आवश्यक होता है या विद्यमान रहता है , यदि किसी विधि द्वारा इन कोलाइडी कणों का आवेश नष्ट कर दिया जाए तो ये कण उदासीन होने के के बाद आपस में संयुक्त हो जाते है और फिर गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में पात्र में पैंदे में बैठ जाते है या इक्कट्ठे हो जाते है इस प्रक्रिया को स्कन्दन कहते है।
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