कंप्यूटर की विशेषताएं एवं सीमाएं क्या है स्पीड , स्वचालन , शुद्धता , सार्वभौमिकता , कार्यक्षमता विशेषता

characteristics of computer and limitations in hindi कंप्यूटर की विशेषताएं एवं सीमाएं क्या है स्पीड , स्वचालन , शुद्धता , सार्वभौमिकता , कार्यक्षमता विशेषता ?

कम्प्यूटर की विशेषताएं

आजकल कम्प्यूटर का उपयोग हर क्षेत्र में हो रहा है, क्योंकि कम्प्यूटर ही एक ऐसी स्वचालित मशीन है जो कि बहुत सारे कार्य स्वतः ही कर लेती है। इसके कुछ कारण निम्नलिखित भी हैं :

(1) स्पीड (Speed) आप पैदल चलकर कहीं भी जा सकते हैं फिर भी आप साइकिल, स्कूटर या कार का प्रयोग करते हैं ताकि आप किसी भी काम को तेजी से कर सकें। मशीनों की सहायता से आप कार्य करने की स्पीड बढ़ा सकते हैं। इसी प्रकार कम्प्यूटर किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर सकता है। कम्प्यूटर कुछ ही क्षण में गुणा/भाग या जोड़/घटाव की लाखों क्रियाएं कर सकता है। यदि आपको । 440×56 का गुणा करना हो तो इसमें लगभग 1 से लेकर 2 मिनट तक का आपको समय लग सकता है। यही कार्य पॉकेट केलकुलेटर से करे तो वह लगभग 5 सेकण्ड में किया जा सकता है, लेकिन एक आधुनिक कम्प्यूटर में यदि प्रोग्राम दिया गया हो तो ऐसे 30 लाख ऑपरेशन एक साथ सम्पन्न हो सकते हैं।

(2) स्वचालन (Automation) हम अपने दैनिक जीवन के कार्यों में कई प्रकार की स्वचालित मशीनों का प्रयोग करते हैं। पहले आटा पीसने के लिए चक्की का प्रयोग होता था। काफी शक्ति का प्रयोग करना होता था तथा कार्य भी धीरे-धीरे होता था। अब सारा काम एक बटन दबाते ही हो जाता है। गाना सुनना है। तो कैसेट टेपरिकार्डर में डालिए और गाना सुन लीजिए। कम्प्यूटर भी अपना सारा कार्य लगभग स्वचालित रूप में करता है, लेकिन स्वचालन का कम्प्यूटर के लिए एक विशिष्ट अर्थ है। कैलकुलेशन तो पॉकेट कैलकुलेटर भी स्वचालित रूप से ही करता है, लेकिन कैलकुलेटर और कम्प्यूटर में काफी फर्क है। कम्प्यूटर गणनाएं करते समय कुछ तार्किक क्रियाएं भी करता है जैसे हम मार्कशीट बनाने का उदाहरण । ले। यदि प्रत्येक विद्यार्थी ने 6 विषयों में परीक्षा दी है तो हमें उसका कुल योग निकालने के लिए कैलकुलेटर म पहले एक विषय के अंक भरने पड़ेंगे तथा फिर + का बटन दबाने के बाद फिर दूसरे विषय के अंक भरने पड़गे। यही क्रम 6 बार करना पड़ेगा तथा अन्तिम विषय के अंक भरने के बाद = बटन से कुल योग किया जाएगा अगर यही कार्य हमें हजारों विद्यार्थियों के लिए करना हो तो कितना समय लगेगा। कम्प्यूटर स यहा काय पलक झपकते ही कराया जा सकता है। इस कार्य में सिर्फ सारे आकड़े कम्प्यूटर में डालने मात्र का समय लगगा, एक बार डाटा कम्प्यूटर में डाल दिया जाए तो एक प्रोग्राम देकर हम उससे तरह-तरह के कार्य करा सकते हैं।

(3) शुद्धता (Accuracy) कम्प्यूटर अपना कार्य बिना किसी गलती के करता है। यदि आपको 10 अका का 2 अलग-अलग संख्याओं को गुणा करने के लिए कहा जाए तो आप इसमें कई बार गलती करेगे, लेकिन साधारणतः सभी कम्प्यूटर 38 अंकों वाली संख्याओं के ऊपर किसी भी प्रक्रिया (Operation) को। बिना किसी गलती के पूरा कर सकते हैं। कम्प्यूटर द्वारा गलती किए जाने के कई उदाहरण सामने आते है, लेकिन इन सारी गलतियों में या तो गलती कम्प्यूटर में डाटा डालने के वक्त की गई होती है या प्रोग्राम देते समय कम्प्यूटर स्वयं कभी गलती नहीं करता है।

(4) सार्वभौमिकता (Versatility) कम्प्यूटर अपनी सर्वभौमिकता वाले गुण के कारण बड़ी तेजी से सारा दुनिया में छाता जा रहा है। कम्प्यूटर किसी भी यन्त्र का नाम न रहकर ऑटोमेटिक मशीनों के समूह । का नाम हो गया है। कम्प्यूटर को पहले गणितीय कार्यों को सम्पन्न करने के लिए बनाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यावसायिक कार्यो के लिए अधिक प्रयोग में लाया गया है।

(i) कम्प्यूटर के साथ प्रिन्टर लगाकर सभी प्रकार की सूचनाएं कई प्रकार के डिजाइनों में पेश की जा सकती हैं।

(ii) कम्प्यूटर के साथ प्रिन्टर/प्लाटर लगाकर तरह-तरह के डिजाइन बनाए जा सकते हैं।

(iii) कम्प्यूटर को टेलीफोन या टेलीफोन लाइन से जोडकर सारी दुनिया में सूचनाएं भेजी जा सकती है या प्राप्त की जा सकती हैं।

(iv) कम्प्यूटर पर तरह-तरह के खेल खेले जा सकते हैं, पहेलियां बुझाई जा सकती हैं, इत्यादि।

(5) उच्च संग्रह क्षमता (High Storage Capacity) एक कम्प्यूटर सिस्टम की डाटा की संग्रह क्षमता बहुत उच्च होती है। कम्प्यूटर लाखों शब्दों को बहुत कम जगह में संग्रहीत करके रख सकता है। यह सभी प्रकार के डाटा, चित्र, प्रोग्राम, गेम्स तथा आवाज को कई वर्षों तक संग्रहीत करके रख सकता है। हम कभी भी यह सूचना कुछ ही सेकण्ड में प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने उपयोग में ला सकते हैं।

(6) याद रखने की शक्ति (Power of Remembrance)– एक व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सारी बातें करता है तथा वह सिर्फ महत्वपूर्ण बातों को ही ध्यान में रखता है, लेकिन कम्प्यूटर सारी बातें, चाहे वह महत्वपूर्ण हों या न हों, संग्रहीत करके रखता है तथा बाद में कभी भी किसी भी सूचना को आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध कराता है तथा यह सूचना बहुत वर्षों के बाद भी उतनी ही शुद्ध रहती है जितनी कि पहले दिन।

(7) विश्वसनीयता (Reliability)- जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं कि कम्प्यूटर की याद रखने की शक्ति व शुद्धता बहुत उच्च कोटि की होती है तो कम्प्यूटर में या कम्प्यूटर से जुड़ी हुई सारी क्रियाएं विश्वसनीय होती हैं और यह वर्षों तक कार्य करते हुए थकता नहीं है। 10 वर्ष से अधिक समय के बाद भी यह अपनी मेमोरी में से डाटा को बिना किसी परेशानी के तुरन्त हमें दे सकता है। कम्प्यूटर के लाभ (Advantages of Computer) कम्प्यूटर से सम्बन्धित लाभ हम केवल एक श्रेणी में रखकर नहीं जान सकते हैं, इसलिए कम्प्यूटर के लाभों का वर्गीकरण निम्नलिखित रूपों में किया जाता है :

(1) कार्यक्षमता (Working Efficiency)

(a) कम्प्यूटर बहुत तेज गति से कार्य करता है। इसके कार्य करने की गति लाखों निर्देश प्रति सेकण्ड (MIPS-Millions of Instructions Per Second) में होती है।

(b) कम्प्यूटर शुद्ध एवं सही (Accurate) गणनाएं करते है। ये स्वयं कभी गलती नहीं करते हैं। कम्प्यूटर जटिल और दुहराए जाने वाले (Repetitive) कार्य अच्छी तरह कर सकता है और उसमें कोई त्रुटि (Error) भी नहीं छोड़ता। यह लम्बे समय तक एक ही कार्य को करते हुए थकता नहीं है और लापरवाही भी नहीं बरतता, क्योकि यह एक मशीन है।

(c) कम्प्यूटर की दक्षता में समय के साथ कोई कमी नहीं आती है। विद्युत या यान्त्रिक मशीनों की गति में निश्चित समयाविधि के बाद कमी आ जाती है, लेकिन कम्प्यूटर में ऐसा नही होता।’

(d) कम्प्यूटर का महत्व बहुमुखी (Versatile) है। यह विभिन्न प्रकार के कार्य इसमें संगृहीत निर्देशों (Instructions) के आधार पर कर सकता है।

(e) कम्प्यूटर में संग्रह करने की अद्भुत क्षमता होती है इसलिए यह अन्य मशीनों की तुलना में अधिक उपयोगी है। इसमें सम्पन्न कार्य भविष्य के लिए संरक्षित रहता है और पुनः आवश्यकता पड़ने पर यह सगृहात डाटा (Data) या सूचना (Information) तत्काल प्राप्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त यदि प्रोसेसिंग हतु डाटा (Data) कम्प्यूटर की गति के अनुसार उपलब्ध न हो तो इसे पहले संगृहीत किया जा सकता है।

(f) कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन (Automatic Machine) है और प्रोग्राम (Program) के निर्देशों के अनुसार कार्य करता है।

(2) उत्पादकता (Productivity) संयन्त्रों में कम्प्यूटर के माध्यम से स्वचालित मशीनों द्वारा अच्छे उत्पादों का निर्माण किया जाता है। इससे उत्पादों का स्तर भी बढ़ता है।

(3) रोजगार में वृद्धि (Increase in Employment) कम्प्यूटर ने रोजगार के नए क्षेत्रों को जन्म दिया है। संयन्त्रों व संगठनों के कम्प्यूटरीकृत हो जाने पर नए रोजगार के अवसर खुले है। भारत दुनिया के सबसे प्रमुख सॉफ्टवेयर-निर्यातकों में से एक है। सॉफ्टवेयर निर्यात 43% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है जिससे सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भी अच्छे रोजगार के अवसर प्रतिवर्ष बढ़ रहे हैं।

(4) जीवन-स्तर में वृद्धि (Improvement in Standard of Living) कम्प्यूटरों के कारण आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। कार्यालयों में एक समान नीरस कार्य को कम्प्यूटर कर लेता है जिससे कर्मचारी अब चुनौतीपूर्ण कार्यों की ओर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं।

कम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of Computers)

कम्प्यूटर के अनेक लाभ हैं, लेकिन इसमें भी कुछ कमियां है, अर्थात् इसकी उपयोगिता की कुछ सीमाएं हैं जो निम्नलिखित है:

(1) कम्प्यूटर मानव-मस्तिष्क के समान स्वयं सोचने की क्षमता नहीं रखता है। यह दिए गए निर्देश (Instruction) के अनुसार ही कार्य कर सकता है। कम्प्यूटर अपनी क्षमता से बाहर के कार्यों के लिए निर्देशों (Instructions) का पालन नहीं करता और त्रुटिपूर्ण परिणाम देता है।

(2) मानव के समान अप्रत्याशित (Unexpected) परिस्थितियों में विकल्प, कम्प्यूटर नहीं निकाल सकता।

(3) कम्प्यूटर में अन्तर्ज्ञान नहीं होता है। कम्प्यूटर सभी निर्देशों का पालन किए बिना, सीधे निष्कर्ष (Conclusion) तक नहीं पहुंच सकता।

(4) कम्प्यूटर किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए परिमित (निश्चित) संख्या के पदों (Steps) का पालन करके क्रिया (Process) करता है। प्रत्येक पद (Step) स्पष्ट होना चाहिए और सभी पद (Steps) क्रमानुसार होने चाहिए।

(5) कम्प्यूटर एक निश्चित वातावरण में ही कार्य कर सकता है, जहां तापमान 15°C से 35°C के मध्य हो।

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